नाहन: स्वास्थ्य विभाग में रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य करने वाली आशा वर्कर्स को पिछले 4 महीने से मानदेय जारी नहीं हुआ है. ऐसे में आशा वर्करों को अपने परिवारों को पालन पोषण करने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यहीं नहीं महीने के निर्धारित मानदेय के अलावा अन्य इंसेंटिव भी समय पर जारी नहीं हो रहे. इसके चलते आशा वर्करों में सरकार के प्रति रोष व्याप्त है. 4 महीने से वेतन का इतंजार कर रही आशा वर्करों ने कहा कि जल्द उनका मानदेय जारी नहीं हुआ, तो वह सभी कार्य को बंद कर देंगी. दरअसल इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की धगेड़ा ब्लॉक की आशा वर्कर्स इस मामले में जिले के सीएमओ से मिलने पहुंची थी और अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा. इस मामले में आशा वर्करों ने डीसी सिरमौर राम कुमार गौतम से भी मुलाकात कर उनकी समस्याओं के समाधान की गुहार लगाई है. बता दें कि जिला सिरमौर में 605 आशा वर्कर्स कार्यरत है.
मीडिया से बात करते हुए आशा वर्कर धगेड़ा ब्लॉक की अध्यक्ष किरण बाला ने कहा कि आशा वर्करों को फरवरी माह से अभी तक मानदेय नहीं मिला है, जिसकी वजह से आशा वर्करों को परिवारों का पालन पोषण करने में बड़ी परेशानी उठानी पड़ रही है. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि समय पर मानदेय जारी किया जाए अन्यथा आशा वर्कर्स काम बंद कर देंगी. उन्होंने कहा कि एसीएफ के तहत लिए (Asha workers of Dhageda block) जाने वाले सैंपलों के दौरान भी आशा वर्करों की सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा जा रहा. इसका भी कोई इंसेंटिव नहीं दिया जाता. साथ ही कहा कि सरकार में कोरोना काल में 2021 में जो मानदेय बढ़ाने की घोषणा की थी, वह भी अभी तक नहीं मिला है. यही नहीं वर्दी का बढ़ा हुआ इंसेंटिव भी अभी तक नहीं दिया गया है. उन्होंने सरकार से आशा वर्करों की मांगों को जल्द पूरा करने की मांग की.
आशा वर्कर धगेड़ा ब्लॉक की उपाध्यक्ष अनीता शर्मा ने आशा वर्करों की अनदेखी पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि सरकार समय-समय पर आशा वर्करों के कार्य की सराहना करती आ रही है. यही नहीं प्रधानमंत्री मोदी भी तारीफ कर रहे है, लेकिन तारीफों से पेट नहीं भरता. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भी अपनी जिंदगी की पवाह किए बिना आशा वर्करों ने पूरी ईमानदारी से कार्य किया. उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द आशा वर्करों की मांगों को पूरा करने की मांग की है.
उधर, नाहन शहर में तैनात आशा वर्कर मीना शर्मा ने कहा कि यह मौका नहीं है जब आशा वर्करों को समय पर मानदेय नहीं मिला है और अब भी फरवरी माह से आशाएं ने मानदेय का इंतजार कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने निर्धन व जरूरतमंद परिवारों से ही आशा वर्करों की नियुक्ति की थी. उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार आशा वर्करों को महीने की 7 तारीख को मानदेय जारी करने के निर्देश देती है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. कई आशाएं तो एकल महिलाएं हैं, ऐसे में आशा वर्करों को अपने परिवारों का भरण पोषण करने में दिक्कत आ रही है. सरकार को इस दिशा में उचित कदम उठाना चाहिए. वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने आशा वर्करों को जल्द ही उनकी समस्याओं के समाधान का आश्वसन दिया है.