पांवटा साहिब: तिब्बती समुदाय में शाक्य सम्प्रदाय के 42वें रिमपोचे रत्नाबजरा ने ज्ञानाबजरा को गद्दी सौंपी. सवर्ण गद्दी समारोह में प्रदेश के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर बतौर मुख्यातिथि पहुंचे. यहां राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि विश्व भर में जिस तरह के हालात चले हुए हैं. ऐसे समय में भारतीय धर्म ज्ञान ही विश्व शांति की स्थापना में कारगर साबित हो सकता है.
इस अवसर पर 43वें गुरु त्रिंज़िन रिंपोचे भी उपस्थित रहे. हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर पुरुवाला स्थित तिब्बती कॉलोनी में 43वें शाक्य ट्रिजिन धर्मगुरु के राज्याभिषेक समारोह में बतौर मुख्य अथिति शिरकत की. पांवटा साहिब के पुरुवाला साकया तिब्बतन सेटेलमेंट में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया.
दो दिवसीय इस कार्यक्रम के दौरान शाक्य संप्रदाय को एक और धर्म गुरु प्राप्त हुए. दरअसल शाक्य संप्रदाय की मुख्य धार्मिक गद्दी सौंपने के अवसर पर सवर्ण गद्दी समारोह आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे.
ऊर्जा मंत्री एवं स्थानीय विधायक सुखराम चौधरी भी मौजूद रहे. इस अवसर पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ ओर्लेकर ने कहा कि आज विश्व में अशांति और एक दूसरे पर आक्रमण की परिस्थितियां बन रही है. ऐसे समय में मानसिकता में बदलाव की सख्त जरूरत है और मानसिकता में बदलाव प्राचीन भारतीय शिक्षा और परंपराओं का ज्ञान सार्थक साबित हो सकता है. उन्होंने परंपराओं और संस्कृति के संरक्षण के लिए तिब्बती समुदाय का आभार जताया.
इस अवसर पर 43वें रिमपोचे ज्ञानाबजरा ने कहा कि उनको नई जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं. इन जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए वह सतत प्रयासरत रहेंगे. उन्होंने कहा कि चीन और तिब्बत की समस्या को धार्मिक तरीके से ही सुलझाया जा सकता है.
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