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मंडी में ट्रेड यूनियनों का हल्ला बोल, केंद्र पर महंगाई और बेरोजगारी बढ़ाने का लगाया आरोप - केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी

सीटू व अन्य यूनियनों ने सरकार को चेताया है कि यदि मांगों को लेकर सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी तो आने वाले समय में उग्र आंदोलन करेंगे. ट्रेड यूनियनों ने न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपये और नए श्रम कानून को वापस लेने और निजीकरण को बंद करने की मांग उठाई.

trade unions protest in mandi
ट्रेड यूनियनों का हल्ला बोल
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Published : Jan 8, 2020, 4:25 PM IST

मंडी: केन्द्रीय ट्रेड यूनियन व राष्ट्रीय फेडरेशन के संयुक्त आह्वान पर मंडी में सीटू, एटक, इंटक, बीईएफआई, एनजीआईईए व बीएसएनएलईयू ने संयुक्त रुप से सेरी मंच पर धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान सैंकड़ों की संख्या में यूनियन के सदस्यों ने पड्डल मैदान से शहर के सेरी मंच तक रैली निकाली.

प्रदर्शन में आंगनबाड़ी, मिड डे मील, रेहड़ी-फहड़ी, एचपीएमआरए, फोरलेन, आउटसोर्स वर्कर्स, सड़क एवं भवन निर्माण यूनियन, हिमाचल किसान सभा आदि संगठनों ने भाग लिया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार पर मंहगाई, बेरोजगारी बढ़ाने और मजदूर विरोधी कानून को लागू करने का आरोप लगाया लगाया. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार लगातार बाहरी निवेशकों के हाथों निजीकरण के कार्यों को बढ़ावा दे रही है.

सीटू व अन्य यूनियनों ने सरकार को चेताया है कि यदि मांगों को लेकर सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी तो आने वाले समय में उग्र आंदोलन करेंगे. ट्रेड यूनियनों ने न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपये और नए श्रम कानून को वापस लेने और निजीकरण को बंद करने की मांग उठाई.

वीडियो

प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मजदूरों को पेंशन सुविधा, मनरेगा में 120 दिन का रोजगार, आंगनबाड़ी, आशा वर्कर व मिड डे मील कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी और स्ट्रीट वेंडर एक्ट को लागू करने की मांग की भी उठाई है.

ये भी पढ़ें: ब्रेकिंग: पटवारी भर्ती मामले में HC ने दिए CBI जांच करवाने के आदेश

मंडी: केन्द्रीय ट्रेड यूनियन व राष्ट्रीय फेडरेशन के संयुक्त आह्वान पर मंडी में सीटू, एटक, इंटक, बीईएफआई, एनजीआईईए व बीएसएनएलईयू ने संयुक्त रुप से सेरी मंच पर धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान सैंकड़ों की संख्या में यूनियन के सदस्यों ने पड्डल मैदान से शहर के सेरी मंच तक रैली निकाली.

प्रदर्शन में आंगनबाड़ी, मिड डे मील, रेहड़ी-फहड़ी, एचपीएमआरए, फोरलेन, आउटसोर्स वर्कर्स, सड़क एवं भवन निर्माण यूनियन, हिमाचल किसान सभा आदि संगठनों ने भाग लिया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार पर मंहगाई, बेरोजगारी बढ़ाने और मजदूर विरोधी कानून को लागू करने का आरोप लगाया लगाया. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार लगातार बाहरी निवेशकों के हाथों निजीकरण के कार्यों को बढ़ावा दे रही है.

सीटू व अन्य यूनियनों ने सरकार को चेताया है कि यदि मांगों को लेकर सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी तो आने वाले समय में उग्र आंदोलन करेंगे. ट्रेड यूनियनों ने न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपये और नए श्रम कानून को वापस लेने और निजीकरण को बंद करने की मांग उठाई.

वीडियो

प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मजदूरों को पेंशन सुविधा, मनरेगा में 120 दिन का रोजगार, आंगनबाड़ी, आशा वर्कर व मिड डे मील कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी और स्ट्रीट वेंडर एक्ट को लागू करने की मांग की भी उठाई है.

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Intro:मंडी। केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फैडरेशनों के संयुक्त आहवान पर मंडी में सीटू, एटक, इंटक, बीईएफआई, एनजीआईईए व बीएसएनएलईयू ने संयुक्त रूप से बुधवार सेरी मंच पर धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान सैंकड़ों की संख्या में मजदूर यूनियनों के सदस्यों ने पड्डल मैदान से शहर के सेरी मंच तक रैली निकाली। इस दौरान विभिन्न संगठनों के सदस्यों ने केन्द्र व प्रदेश सरकार के विरोध में नारे लगाए।


Body:इस हड़ताल में आंगनबाड़ी, मिड डे मिल, रेहड़ी-फहड़ी, एचपीएमआरए, फोरलेन, आउटसोर्स वर्कर्स, सड़का एवं भवन निर्माण यूनियन, हिमाचल किसान सभा आदि संगठनों ने भाग लिया। इस दौरान हड़तालकर्ताओं ने सरकार पर मंहगाई और बेरोजगारी बढ़ाने का आरोप लगाया। इसके साथ ही केन्द्र सरकार पर श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी कानूनों को लाने का आरोप भी लगाया। इसके साथ ही यूनियनों ने आरोप लगाया है कि सरकार लगतार बाहरी निवेशकों के हाथों निजिकरण के कार्यों को बढ़ावा दे रही है। सीटू व अन्य यूनियनों ने सरकार को चेताया है कि यदि मांगों को लेकर सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं की जाएगी तो आने वाले समय में हड़ताल को और विकराल रूप दिया जाएगा। इसके साथ ही अपनी मांगों के लिए मजदूरों ने कड़े सघर्ष की चेतावनी भी दी है।

बाइट - राजेश शर्मा, जिला सचिव, सीटू


Conclusion:ट्रेड यूनियनों की मांग है कि न्यूनतम वेतन 21 हजार रूपये किया जाए, नए श्रम कानून को वापिस लिया जाए, देश में निजिकरण को बंद किया जाए, मजदूरों को पेंशन सुविधा, आंगनबाड़ी, आशा वर्कर व मिड डे मिल कर्मचारी को सरकारी कर्मचारी बनाया जाए, मनरेगा में 120 दिन का रोजगार, स्ट्रीट वेंडर एक्ट को लागू किया जाए।
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