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मंडी में Check Bounce मामले में 6 महीने की सजा, इतना देना होगा जुर्माना - six months imprisonment for check bounce

मंडी में कोर्ट ने चेक बाउंस के एक मामले में आरोप सिद्द होने पर 6 महीने की साधारण कैद और 15 लाख रुपए मुआवजा अदा करने की सजा सुनाई. मामला सन 2014 का है और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया प्रबंधन ने दर्ज कराया था.

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Published : Sep 28, 2021, 7:54 PM IST

मंडी: मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी राजेंद्र कुमार ने चेक बाउंस के एक मामले में आरोप सिद्द होने पर 6 महीने की साधारण कैद और 15 लाख रुपए मुआवजा अदा करने की सजा सुनाई. एडवोकेट महेश चोपड़ा ने बताया कि यह मामला मंडी के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया प्रबंधन ने दर्ज किया था, चेक बाउंस का यह मामला वर्ष 2014 का है. महेश चोपड़ा ने बताया नरेंद्र शर्मा पुत्र कृष्ण लाल शर्मा 331-11 टारना हिल्स मंडी ने बैंक से लोन लिया था. जब उसकी देनदारी 10 लाख हो गई तो और बैंक ने पैसा वापस करने को कहा.

उसने बैंक को 27 दिसंबर 2014 को दस लाख का चेक दिया जो मंडी में पंजाब नेशनल बैंक का था. बैंक ने जब इसे क्लीयरिंग के लिए लगाया तो यह खाते में पर्याप्त पैसा न होने की टिप्पणी के साथ वापस आ गया. इस पर आरोपी को नोटिस भेजा गया और जब पैसा नहीं मिला तो मामला नेगोशियल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत अदालत में दायर किया गया. मामले में सुनवाई में गवाहों के बयानों के आधार पर अदालत ने पाया कि आरोपी ने जानबूझ खाते में पैसा न होने पर भी चेक जारी कर दिया.

बचाव पक्ष ने आरोपी के घर में अकेला कमाने वाला सदस्य होने का हवाला देते हुए बरी करने का आग्रह भी किया अदालत ने उसे दोषी करार दिया और 6 महीने की साधारण कैद और 15 लाख रुपए मुआवजा भरने की सजा सुनाई. मुआवजा अदा करने में विफल रहने पर उसे डेढ़ महीने की और सजा भुगतनी होगी.

ये भी पढ़ें :हिमाचल के आठ जिलों में आदर्श आचार संहिता लागू, मतदान के समय प्रत्येक मतदाता को मिलेंगे Disposable Gloves

मंडी: मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी राजेंद्र कुमार ने चेक बाउंस के एक मामले में आरोप सिद्द होने पर 6 महीने की साधारण कैद और 15 लाख रुपए मुआवजा अदा करने की सजा सुनाई. एडवोकेट महेश चोपड़ा ने बताया कि यह मामला मंडी के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया प्रबंधन ने दर्ज किया था, चेक बाउंस का यह मामला वर्ष 2014 का है. महेश चोपड़ा ने बताया नरेंद्र शर्मा पुत्र कृष्ण लाल शर्मा 331-11 टारना हिल्स मंडी ने बैंक से लोन लिया था. जब उसकी देनदारी 10 लाख हो गई तो और बैंक ने पैसा वापस करने को कहा.

उसने बैंक को 27 दिसंबर 2014 को दस लाख का चेक दिया जो मंडी में पंजाब नेशनल बैंक का था. बैंक ने जब इसे क्लीयरिंग के लिए लगाया तो यह खाते में पर्याप्त पैसा न होने की टिप्पणी के साथ वापस आ गया. इस पर आरोपी को नोटिस भेजा गया और जब पैसा नहीं मिला तो मामला नेगोशियल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत अदालत में दायर किया गया. मामले में सुनवाई में गवाहों के बयानों के आधार पर अदालत ने पाया कि आरोपी ने जानबूझ खाते में पैसा न होने पर भी चेक जारी कर दिया.

बचाव पक्ष ने आरोपी के घर में अकेला कमाने वाला सदस्य होने का हवाला देते हुए बरी करने का आग्रह भी किया अदालत ने उसे दोषी करार दिया और 6 महीने की साधारण कैद और 15 लाख रुपए मुआवजा भरने की सजा सुनाई. मुआवजा अदा करने में विफल रहने पर उसे डेढ़ महीने की और सजा भुगतनी होगी.

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