मंडीः कोरोना संकट के सात माहीनों तक मंदिरों के बंद रहने के बाद अब जिला प्रशासन ने मंदिरों को खोलने और देवताओं के रथों व पालकी को स्थानीय हारियानों में निकालने की अनुमति दे दी है. इसके साथ ही कोरोना के बचाव के चलते मंडी जिला प्रशासन ने इस बारे में एसओपी भी जारी की गई है.
जिला प्रशासन मंडी के आदेशों के बाद सर्व देवता सेवा समिति जिला मंडी ने खंड स्तर पर जाकर विभिन्न स्थानों पर देवता समितियों, गुरों, पुजारियों व बजंतरियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. इस बैठक में चुहार घाटी और द्रंगशिरा के 25 कारदारो की बैठक पधर में, सनोर बालीचौकी, पंजाई (सराज) के 42 कारदारों की बैठक थलौट में आयोजित हुई. वहीं, बदार, चौलचौक, श्री देव बालाकामेशवर कांढी (बल्ह) में सदर और बल्ह के 34 कारदारों व कटौला में उतरशाल के 22 कारदारो के साथ बैठकें की गई.
सर्व देवता सेवा समिति मंडी के प्रधान शिव पाल शर्मा ने बताया कि सरकार की ओर से जारी एसओपी का पालना की जाएगी. इसी को लेकर खंड स्तर पर बैठकें की गई हैं. उन्होंने बताया कि देवता के साथ 100 श्रद्धालु गण और 15 बजंत्रीगण होंगे. जहां देवता ठहरेगें, वहां समितियां सभी दिशा निर्देशों का पालन करेंगी.
उन्होंने बताया कि नवरात्रों के दौरान जिला में सभी देव समितियां मंदिरों में पूजा पाठ और यज्ञ के समय यह ध्यान रखेंगी कि जो श्रृद्धालु 65 साल से अधिक और दस साल से छोटे बच्चों व गर्भवती महिलाएं मंदिरों में आती हैं तो उनको कोरोना के दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करने के बाद लाइन में सभी के साथ खड़ा नहीं किया जाएगा, उन्हें अलग से दर्शन करवाऐं जाएंगें. वहीं, देवता समिति ने मंदिरों को खोलने के लिए सरकार का आभार भी जताया है.
बता दें कि कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए समस्त देव समाज को देवता के अपनी हरियानों मे संचालन करने के लिए जिलाधीश द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार देवरथ कोठी भंडार से निकालने पर समस्त श्रद्धालुगण, समितियां और बजंत्रीगण मास्क का प्रयोग करेंगे और उचित दूरी बनाकर देवी देवताओं के साथ संचालन करेंगे.
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