मंडी: प्यार अगर सच्चा हो, तो उसे कोई जुदा नहीं कर सकता. 9 साल पहले शुरू हुई एक प्रेम कहानी में कई मोड़ आए. लेकिन, युवती ने अपने प्यार को पाने के लिए सब कुछ दांव पर लगाते हुए उसे अपना जीवनसाथी बना लिया. यह कहानी कोई फिल्मी नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से संबंधित है. 9 साल पुराने दोस्त पुष्पराज को हिमा देवी ने गले में वरमाला डाल दी और सात फेरे लिये. यह शादी सच्चे प्रेम की जीत है.
मंडी जिले के बल्ह विधानसभा क्षेत्र में हुई एक शादी ने इस (pushpraj and hima of mandi) कहावत को पूरी तरह से चरितार्थ कर दिया. शादी खास इसलिए है, क्योंकि दूल्हा पुष्पराज चल फिर नहीं सकता. 2010 में लेदा के समीप हुए एक सड़क हादसे ने पुष्पराज की चलने फिरने की शक्ति छीन ली, लेकिन पुष्पराज का सहारा बनीं हिमा देवी.
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दोनों ने 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद अलग-अलग जगहों पर स्नातक की पढ़ाई पूरी की. व्हील चेयर पर बैठकर लड़के ने सिविल में बीटेक और लड़की ने मंडी कॉलेज से राजनीतिक शास्त्र में एमए किया. बल्ह विधानसभा क्षेत्र के सिद्धयाणी के पुष्पराज और रिवालसर पंचायत के चढ़ी गांव की हिमा देवी की यह शादी पूरे क्षेत्र में चर्चा की विषय बनी हुई है. सिद्धयाणी पंचायत के भावत गांव के पुष्पराज 2010 में लेदा के समीप हुए एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए. हादसे में उनके छोटे भाई सहित करीब 40 लोगों की मौत हो गई थी.
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गंभीर अवस्था में उन्हें आईजीएमसी ले जाया गया. जहां उनकी स्पाइन सर्जरी हुई. वर्तमान में भी उनका आईजीएमसी उपचार चल रहा है. पिता नरोत्तम दास जेएनजीसी में आउटसोर्स पर चपरासी के पद पर कार्यरत हैं. वहीं चढ़ी गांव की हिमा देवी के पिता नोता राम लोक निर्माण विभाग में लेबर का काम करते हैं. हिमा ने जब माता-पिता को अपनी पसंद और पूरे घटनाक्रम से अवगत करवाया तो बेटी की पसंद को उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया.
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इस शादी में गांव का हर शख्स गवाह बना. बढ़े बूढ़ों के आर्शीवाद के बीच पुष्पराज में जीवनसाथी हिमा के साथ बैसाखियों के सहारे सात फेरे लिए. वर्ष 2010 में एक शादी के बाद होने वाले धार्मिक कार्य के लिए एक ट्रक में लोग जा रहे थे. लेदा के समीप ट्रक के गहरी खाई में गिरने से इस हादसे में करीब 40 लोगों की मृत्यु हो गई थी. हादसे में पुष्पराज के छोटे भाई की मौत हो गई थी. उस समय पुष्पराज 9वीं कक्षा में सिद्धयाणी स्कूल में पढ़ता था.
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