धर्मपुर/मंडी: प्रदेश आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने शुक्रवार को धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में पिछले 20 सालों से विभिन्न विभागों के पास पड़े अनखर्च धन का ब्यौरा लेने और विकास योजनाओं की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की. इस दौरान मंत्री ने साल 2001 से मार्च 2020 तक विभिन्न विभागों में अनखर्च धन का ब्यौरा लिया.
जलशक्ति मंत्री ने विभागों को निर्देश दिये कि अनखर्च धनराशि को क्षेत्र में अन्य विकास कार्यों के लिए डाइवर्ट किया जाए. आईपीएच मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विभिन्न विभागों के पास लंबे अरसे से अनखर्च धन का ब्यौरा लेने की ये एक सार्थक पहल की है ताकि इन पैसों का सदुपयोग हो सके और विकासात्मक गतिविधियों को गति प्रदान की जा सके. इसे लेकर मुख्यमंत्री ने विशेष कैबिनेट सब कमेटी बनाई है. सब कमेटी ने प्रदेशभर में विभिन्न विभागों के साथ बैठकें की हैं और ये सामने आया कि करीब 15 हजार करोड़ रुपये ऐसे हैं जो बीते 20 सालों में विभागों के पास अनखर्च पड़े हैं.
मंत्री ने बताया कि धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में ही करीब 90 करोड़ रुपये की अनखर्च धन राशि विभिन्न विभागों में पड़ी है. उन्होंने विभागों विशेषकर पीडब्लयूडी व जलशक्ति के अधिकारियों से ठेकेदारों से गुणवत्तापूर्ण कार्य करवाने को कहा. वहीं, विकास कार्यों में किसी तरह की देरी नहीं हो ताकि सरकार व लोगों के पैसे का सही और समयबद्ध उपयोग हो सके.
महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान निजी क्षेत्र में कार्यरत कई लोग नौकरी छोड़कर प्रदेश में वापस आ गए हैं. ऐसे लोगों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए सरकार प्रयासरत है. मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि इन लोगों को कृषि और बागवानी के क्षेत्र में अपना रोजगार शुरू करने के लिए प्रेरित करें.
जल शक्ति मंत्री ने तहसील कल्याण अधिकारी से पिछले 10 वर्षों में अनुसूचित जाति के लोगों के लिए विभाग द्वारा बनाए गए मकानों की सूची उन्हें उपलबध करवाने के लिए कहा. शिक्षा विभाग से विभिन्न स्कूलों के भवन ,चारदीवारी, साइंस ब्लॉक के निर्माण को सुनिश्चित बनाने को प्राथमिकता देने के निर्देश दिये. उन्होंने सभी विभागों के अध्यक्षों को निर्देश दिये कि सरकार की घोषणाओं पर प्राथमिकता के आधार पर पर कार्य करें, ताकि लोग उनसे लाभान्वित हो सकें. महेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि शिवा परियोजना के तहत प्रदेश में सात खंडों में 17 कलस्टरों में साढ़े छह हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं ताकि बागवानी गतिविधियों को एक नई दिशा दी जा सके.
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