ETV Bharat / city

प्राकृतिक आपदा आने से पहले ही मिलेगी जानकारी, IIT मंडी रिमोट सेंसिंग से रखेगी पैनी नजर

भूकंप की दृष्टि से प्रदेश में मंडी, शिमला, कुल्लू, कांगड़ा अति संवेदनशील माने जाते हैं. पिछले साल कोटरोपी में हुए लैंडस्लाइड में करीब 48 लोगों की गई थी जान. ऑप्टिकल और माइक्रोवेव रिमोट सेंसर की मदद से हिमालय क्षेत्र की रखी जाएगी निगरानी.

आईआईटी मंडी में शुरू हो रहे दो इलेक्टिव कोर्स
author img

By

Published : Mar 18, 2019, 7:02 PM IST

मंडी: अब हिमालय क्षेत्र में तेजी से बदलती और विषम परिस्थितियों के बारे में सूचना और संकेत जल्द मिल सकेंगे. हिमालय क्षेत्र में भूकंप समेत अन्य प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगाने में आसानी होगी. दरअसल आईआईटी मंडी में इस साल जियोलॉजी और जियोमॉर्फोलॉजी के दो इलेक्टिव कोर्स शुरू होने वाले हैं. जिसकी वजह से यह संभव हो सकेगा.

iit mandi campus
आईआईटी मंडी में शुरू हो रहे दो इलेक्टिव कोर्स

आईआईटी मंडी में शुरू होने वाले दोनों में ऑप्टिकल और माइक्रोवेव रिमोट सेंसर की मदद से हिमालय क्षेत्र की निगरानी रखी जाएगी. हिमालय क्षेत्र अत्याधिक परिवर्तनशील और भूकंप-सक्रिय क्षेत्र है और इसका मौसम अक्सर तेजी से बदलता है. इस क्षेत्र में जमीन पर ऑब्जर्वेटरी की संख्या बहुत सीमित होने की वजह से सैटेलाइट के आंकड़ों का बहुत महत्व है.

इस कोर्स की मदद से स्टूडेंट्स को बादल फटने, हिमस्खलन, बार-बार भूकंप आना और तेज बारिश जैसी अत्यधिक विषम परिस्थितियों से जुड़े भूमि, भूमि आवरण, वातावरण और मौसम विज्ञान के मानकों को आपस में जोड़ कर समझने पर पूरी मदद मिलेगी.

हर परिस्थितियों में काम करेंगे सेंसर
हिमालय क्षेत्र अक्सर बादल से ढक जाता है जो ऑप्टिकल सेंसर से पता नहीं चलता है. माइक्रोवेव सेंसर से दिन और रात इस क्षेत्र की निगरानी रखना मुमकिन होगा और ये सेंसर घने बादल के बावजूद काम करेंगे. माइक्रोवेव सेंसर्स से अत्याधिक तीव्र बदलाव की इन घटनाओं का मानचित्रण भी किया जा सकता है. रिमोट सेंसिंग के डाटा का उपयोग कई अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में हो सकता है जैसे जंगल की आग, वनस्पति बढ़ने की गति, हिम/ हिमनद का मानचित्रण और इस तरह प्राप्त मौसम विज्ञान एवं वातावरण मानकों का विश्लेषण.

कोर्स का ये है मकसद
जियोलॉजी और जियोमॉर्फोलॉजी कोर्स का मकसद विद्यार्थियों को जियोलॉजी, चट्टान बनने, चट्टान के प्रकार और जियोमॉर्फोलॉजिकल फीचर्स के बुनियादी कांसेप्ट के बारे में जानकारी देना है. इसमें पृथ्वी की सतह बनने की प्रक्रिया को गहराई से समझने के लिए बुनियादी जानकारी दी जाएगी.

आपको बता दें कि भूकंप की दृष्टि से प्रदेश में मंडी, शिमला, कुल्लू, कांगड़ा अति संवेदनशील माने जाते हैं. प्रदेश में लैंडस्लाइड के कारण भी भारी नुकसान होता है. सबसे अधिक नुकसान बरसात के मौसम में उठाना पड़ता है. इसके साथ ही सर्दियों के मौसम में लाहौल-स्पीति, कुल्लू, किन्नौर, चंबा और शिमला जिला में ग्लेशियर गिरने का खतरा होता है. जिसके कारण जान-माल की हानि होती है.
इन प्राकृतिक आपदाओं में नुकसान उस समय और बढ़ जाता है जब समय पर इसकी जानकारी नहीं मिला पाती. गौर रहे कि पिछलेसाल कोटरोपी में हुए लैंडस्लाइड के कारण करीब 48 लोगों की जान चली गई थी. इसी तरह हणोगी के पास हर साल लैंडस्लाइड होने से नुकसान होता है.

इन स्टूडेंट्स के लिए है ये कोर्स
यह कोर्स आईआईटी मंडी के अंडरग्रेजुएट विद्यार्थियों, विशेष कर सिविल इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों के लिए है. जबकि ऑप्टिकल एवं माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग से हिमालय क्षेत्र की निगरानी कोर्स संस्थान में एमएस, एमटेक और पीएचडी के विद्यार्थियों के लिए है.
इन कोर्स का संचालन आईआईटी मंडी में अमेरिका की विजिटिंग फैकल्टी- चैपमैन यूनिवर्सिटी, स्कूल ऑफ लाइफ एवं इन्वायरनमेंटल साइंसेस, स्मिड कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, कैलिफोर्निया के प्रो. रमेश पी. सिंह करेंगे.

मंडी: अब हिमालय क्षेत्र में तेजी से बदलती और विषम परिस्थितियों के बारे में सूचना और संकेत जल्द मिल सकेंगे. हिमालय क्षेत्र में भूकंप समेत अन्य प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगाने में आसानी होगी. दरअसल आईआईटी मंडी में इस साल जियोलॉजी और जियोमॉर्फोलॉजी के दो इलेक्टिव कोर्स शुरू होने वाले हैं. जिसकी वजह से यह संभव हो सकेगा.

iit mandi campus
आईआईटी मंडी में शुरू हो रहे दो इलेक्टिव कोर्स

आईआईटी मंडी में शुरू होने वाले दोनों में ऑप्टिकल और माइक्रोवेव रिमोट सेंसर की मदद से हिमालय क्षेत्र की निगरानी रखी जाएगी. हिमालय क्षेत्र अत्याधिक परिवर्तनशील और भूकंप-सक्रिय क्षेत्र है और इसका मौसम अक्सर तेजी से बदलता है. इस क्षेत्र में जमीन पर ऑब्जर्वेटरी की संख्या बहुत सीमित होने की वजह से सैटेलाइट के आंकड़ों का बहुत महत्व है.

इस कोर्स की मदद से स्टूडेंट्स को बादल फटने, हिमस्खलन, बार-बार भूकंप आना और तेज बारिश जैसी अत्यधिक विषम परिस्थितियों से जुड़े भूमि, भूमि आवरण, वातावरण और मौसम विज्ञान के मानकों को आपस में जोड़ कर समझने पर पूरी मदद मिलेगी.

हर परिस्थितियों में काम करेंगे सेंसर
हिमालय क्षेत्र अक्सर बादल से ढक जाता है जो ऑप्टिकल सेंसर से पता नहीं चलता है. माइक्रोवेव सेंसर से दिन और रात इस क्षेत्र की निगरानी रखना मुमकिन होगा और ये सेंसर घने बादल के बावजूद काम करेंगे. माइक्रोवेव सेंसर्स से अत्याधिक तीव्र बदलाव की इन घटनाओं का मानचित्रण भी किया जा सकता है. रिमोट सेंसिंग के डाटा का उपयोग कई अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में हो सकता है जैसे जंगल की आग, वनस्पति बढ़ने की गति, हिम/ हिमनद का मानचित्रण और इस तरह प्राप्त मौसम विज्ञान एवं वातावरण मानकों का विश्लेषण.

कोर्स का ये है मकसद
जियोलॉजी और जियोमॉर्फोलॉजी कोर्स का मकसद विद्यार्थियों को जियोलॉजी, चट्टान बनने, चट्टान के प्रकार और जियोमॉर्फोलॉजिकल फीचर्स के बुनियादी कांसेप्ट के बारे में जानकारी देना है. इसमें पृथ्वी की सतह बनने की प्रक्रिया को गहराई से समझने के लिए बुनियादी जानकारी दी जाएगी.

आपको बता दें कि भूकंप की दृष्टि से प्रदेश में मंडी, शिमला, कुल्लू, कांगड़ा अति संवेदनशील माने जाते हैं. प्रदेश में लैंडस्लाइड के कारण भी भारी नुकसान होता है. सबसे अधिक नुकसान बरसात के मौसम में उठाना पड़ता है. इसके साथ ही सर्दियों के मौसम में लाहौल-स्पीति, कुल्लू, किन्नौर, चंबा और शिमला जिला में ग्लेशियर गिरने का खतरा होता है. जिसके कारण जान-माल की हानि होती है.
इन प्राकृतिक आपदाओं में नुकसान उस समय और बढ़ जाता है जब समय पर इसकी जानकारी नहीं मिला पाती. गौर रहे कि पिछलेसाल कोटरोपी में हुए लैंडस्लाइड के कारण करीब 48 लोगों की जान चली गई थी. इसी तरह हणोगी के पास हर साल लैंडस्लाइड होने से नुकसान होता है.

इन स्टूडेंट्स के लिए है ये कोर्स
यह कोर्स आईआईटी मंडी के अंडरग्रेजुएट विद्यार्थियों, विशेष कर सिविल इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों के लिए है. जबकि ऑप्टिकल एवं माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग से हिमालय क्षेत्र की निगरानी कोर्स संस्थान में एमएस, एमटेक और पीएचडी के विद्यार्थियों के लिए है.
इन कोर्स का संचालन आईआईटी मंडी में अमेरिका की विजिटिंग फैकल्टी- चैपमैन यूनिवर्सिटी, स्कूल ऑफ लाइफ एवं इन्वायरनमेंटल साइंसेस, स्मिड कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, कैलिफोर्निया के प्रो. रमेश पी. सिंह करेंगे.

Intro:Body:

MANDI NEWS 


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.