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IIT मंडी का शोध, कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज में कर सकेंगे स्मार्ट नैनोपार्टिकल्स का उपयोग

IIT Mandi research for colorectal cancer treatment , अब कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज के लिए स्मार्ट नैनोपार्टिकल्स का उपयोग होगा. आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज के लिए यह शोध किया है. शोधकर्ताओं ने इलाज के लिए प्राकृतिक पॉलीमर आधारित स्मार्ट नैनोपार्टिकल्स का उपयोग किया. इससे कैंसर ग्रस्त हिस्से में होने वाली दर्द के बदले में नैनोपार्टिकल्स दवा रिलीज करते हैं.

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Published : Aug 31, 2022, 8:00 AM IST

Updated : Aug 31, 2022, 8:32 AM IST

IIT Mandi Researchers research for treatment of colorectal cancer in himachal
कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज के लिए आईआईटी मंडी ने किया शोध.

मंडी: कैंसर का नाम सुनते ही लोगों के दिलों में खौफ पैदा हो जाता है. कैंसर अनेकों प्रकार का होता है और शरीर के विभिन्न हिस्सों में कैंसर हो सकता है. सही समय पर इसका इलाज ना किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है. आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज के लिए प्राकृतिक पॉलीमर आधारित स्मार्ट नैनोपार्टिकल्स का उपयोग किया (IIT Mandi research for colorectal cancer treatment) है. ये नैनोपार्टिकल्स केवल कैंसर ग्रस्त हिस्से में होने वाली दर्द के बदले में दवा रिलीज करते हैं.

कोलोरेक्टल कैंसर एक जानलेवा बीमारी है ,जिसके चलते पूरी दुनिया में मृत्यु दर बढ़ी और यह पूरी दुनिया की स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था पर भारी आर्थिक बोझ है. यह पुरुषों में तीसरा सबसे आम कैंसर और महिलाओं को होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है. सभी कैंसरों से मृत्यु के मामलों में 8 प्रतिशत के लिए कोलोरेक्टल कैंसर जिम्मेदार है. इस तरह यह दुनिया में कैंसर से मृत्यु का चौथा सबसे आम कारण बन गया है.

IIT Mandi research for colorectal cancer treatment
कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज के लिए स्मार्ट नैनोपार्टिकल्स का होगा उपयोग.

इस शोध के निष्कर्ष कार्बोहाइड्रेट पॉलीमर नामक जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं. शोध प्रमुख डॉ. गरिमा अग्रवाल, सहायक प्रोफेसर, स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज ने अपने विद्यार्थी आईआईटी मंडी के डॉ. अंकुर सूद और आस्था गुप्ता के साथ यह अध्ययन किया (IIT Mandi Researchers research) है. टीम के साथ प्रो. नील सिल्वरमैन, मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल, वॉर्सेस्टर, एमए, संयुक्त राज्य अमेरिका इसके सह-लेखक हैं. शोध के बारे में डॉ. गरिमा अग्रवाल ने बताया कि मटीरियल साइंस और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़े विभिन्न विषयों के परस्पर संबंध पर कार्यरत लोगों में अक्षय संसाधनों से बायोडिग्रेडेबल नैनोपार्टिकल्स के विकास को लेकर दिलचस्पी बहुत बढ़ गई है.

ये नैनोपार्टिकल्स इस तरह डिजाइन किए गए हैं कि कैंसर ग्रस्त हिस्से में होने वाली दर्द के जगह दवा रिलीज करें. आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने रेडॉक्स रिस्पॉन्सिव चिटोसन / स्टीयरिक एसिड नैनोपार्टिकल्स (सीएसएसए एनपी) का विकास किया है जो कोलोरेक्टल कैंसर को लक्ष्य बनाने वाली दवाओं करक्यूमिन (हाइड्रोफोबिक; दैनिक खाने में उपयोगी हल्दी का एक घटक) और डॉक्सोरूबिसिन (हाइड्रोफिलिक) दोनों के लिए बतौर दवा वाहक काम (treatment of colorectal cancer in himachal) करेंगे.

कैंसर रोधी दवाओं के साथ कैंसर रोधी प्रक्रिया के इस तालमेल से कैंसर के इलाज का अधिक कारगर रास्ता मिलेगा. शोधकर्ताओं ने डिजाइन किए गए सिस्टम की कैंसर कोशिका मारक क्षमता का परीक्षण ‘इन विट्रो’ शोध के माध्यम से किया और c57bl/6j चूहों पर ‘इन विवो’ बायो डिस्ट्रिब्यूशन के प्रयोगों से यह भी परीक्षण किया है. शोध में यह देखा गया कि यह सिस्टम कोलोन को लक्ष्य बनाने में कितना सक्षम है.

ये भी पढ़ें: एंटी स्नेक वेनम ही है सर्पदंश का सही उपचार, पद्मश्री डॉ. ओमेश ने बताए जीवन रक्षक सूत्र

मंडी: कैंसर का नाम सुनते ही लोगों के दिलों में खौफ पैदा हो जाता है. कैंसर अनेकों प्रकार का होता है और शरीर के विभिन्न हिस्सों में कैंसर हो सकता है. सही समय पर इसका इलाज ना किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है. आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज के लिए प्राकृतिक पॉलीमर आधारित स्मार्ट नैनोपार्टिकल्स का उपयोग किया (IIT Mandi research for colorectal cancer treatment) है. ये नैनोपार्टिकल्स केवल कैंसर ग्रस्त हिस्से में होने वाली दर्द के बदले में दवा रिलीज करते हैं.

कोलोरेक्टल कैंसर एक जानलेवा बीमारी है ,जिसके चलते पूरी दुनिया में मृत्यु दर बढ़ी और यह पूरी दुनिया की स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था पर भारी आर्थिक बोझ है. यह पुरुषों में तीसरा सबसे आम कैंसर और महिलाओं को होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है. सभी कैंसरों से मृत्यु के मामलों में 8 प्रतिशत के लिए कोलोरेक्टल कैंसर जिम्मेदार है. इस तरह यह दुनिया में कैंसर से मृत्यु का चौथा सबसे आम कारण बन गया है.

IIT Mandi research for colorectal cancer treatment
कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज के लिए स्मार्ट नैनोपार्टिकल्स का होगा उपयोग.

इस शोध के निष्कर्ष कार्बोहाइड्रेट पॉलीमर नामक जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं. शोध प्रमुख डॉ. गरिमा अग्रवाल, सहायक प्रोफेसर, स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज ने अपने विद्यार्थी आईआईटी मंडी के डॉ. अंकुर सूद और आस्था गुप्ता के साथ यह अध्ययन किया (IIT Mandi Researchers research) है. टीम के साथ प्रो. नील सिल्वरमैन, मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल, वॉर्सेस्टर, एमए, संयुक्त राज्य अमेरिका इसके सह-लेखक हैं. शोध के बारे में डॉ. गरिमा अग्रवाल ने बताया कि मटीरियल साइंस और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़े विभिन्न विषयों के परस्पर संबंध पर कार्यरत लोगों में अक्षय संसाधनों से बायोडिग्रेडेबल नैनोपार्टिकल्स के विकास को लेकर दिलचस्पी बहुत बढ़ गई है.

ये नैनोपार्टिकल्स इस तरह डिजाइन किए गए हैं कि कैंसर ग्रस्त हिस्से में होने वाली दर्द के जगह दवा रिलीज करें. आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने रेडॉक्स रिस्पॉन्सिव चिटोसन / स्टीयरिक एसिड नैनोपार्टिकल्स (सीएसएसए एनपी) का विकास किया है जो कोलोरेक्टल कैंसर को लक्ष्य बनाने वाली दवाओं करक्यूमिन (हाइड्रोफोबिक; दैनिक खाने में उपयोगी हल्दी का एक घटक) और डॉक्सोरूबिसिन (हाइड्रोफिलिक) दोनों के लिए बतौर दवा वाहक काम (treatment of colorectal cancer in himachal) करेंगे.

कैंसर रोधी दवाओं के साथ कैंसर रोधी प्रक्रिया के इस तालमेल से कैंसर के इलाज का अधिक कारगर रास्ता मिलेगा. शोधकर्ताओं ने डिजाइन किए गए सिस्टम की कैंसर कोशिका मारक क्षमता का परीक्षण ‘इन विट्रो’ शोध के माध्यम से किया और c57bl/6j चूहों पर ‘इन विवो’ बायो डिस्ट्रिब्यूशन के प्रयोगों से यह भी परीक्षण किया है. शोध में यह देखा गया कि यह सिस्टम कोलोन को लक्ष्य बनाने में कितना सक्षम है.

ये भी पढ़ें: एंटी स्नेक वेनम ही है सर्पदंश का सही उपचार, पद्मश्री डॉ. ओमेश ने बताए जीवन रक्षक सूत्र

Last Updated : Aug 31, 2022, 8:32 AM IST
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