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सड़कों पर चलने से हो सकेगा बिजली का उत्पादन, IIT मंडी के शोधकर्ताओं ने प्रस्तावित की तकनीक - भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी तकनीक का प्रस्ताव दिया है जिससे पीजोइलेक्ट्रिक सामग्रियों से बिजली उत्पादन बढ़ेगा. डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि पीजोइलेक्ट्रिक सामग्रियों पर बल पड़ने पर वे बिजली की ऊर्जा पैदा कर सकती हैं इसलिए बहुत उपयोगी हैं.

IIT Mandi Piezoelectric Technique
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Published : Dec 7, 2020, 9:46 PM IST

मंडीः भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी तकनीक का प्रस्ताव दिया है जिससे पीजोइलेक्ट्रिक सामग्रियों से बिजली उत्पादन बढ़ेगा. इसके लिए शोधकर्ताओं ने पीजोइलेक्ट्रिक सामग्री यांत्रिक ऊर्जा और विद्युत ऊर्जा को इंटरकन्वर्ट करने वाली सामग्री का संख्यात्मक अध्ययन किया है और नई व्यवस्था का प्रस्ताव दिया है जिसमें ये सामग्रियां तनाव (स्ट्रेस) पड़ने पर बिजली उत्पादन बढ़ा देंगी.

उनके शोध परिणाम इंजीनियरिंग रिपोर्ट्स नामक जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं. शोधपत्र के सह-लेखक हैं रिसर्च स्काॅलर-उत्तर कोरिया के हयांग विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं और आईआईटी मंडी में स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसरें डॉ. राजीव कुमार और डॉ. राहुल वैश्य हैं.

वाहन का वजन पड़ने पर पैदा की सकती है बिजली

डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि पीजोइलेक्ट्रिक सामग्रियों पर बल पड़ने पर वे बिजली की ऊर्जा पैदा कर सकती हैं इसलिए बहुत उपयोगी हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह की सामग्रियां फर्श की टाइल या सड़कों में उपयोग करने पर जब इंसान चलेंगे तो वे सामग्रियां बिजली ऊर्जा उत्पन्न कर सकती हैं. वाहन का वजन पड़ने पर उत्पन्न इस बिजली से सड़क और सिग्नल की रोशनी मिल सकती है. हालांकि इन सामग्रियों से उत्पन्न बिजली की ऊर्जा वर्तमान में बहुत कम है इसलिए इसके वास्तविक उपयोग की अपनी सीमाएं हैं.

ग्रेडेड पोलिंग तकनीक की विकसित

डॉ. राहुल वैश्य ने कहा कि हमने ‘ग्रेडेड पोलिंग’ नामक एक तकनीक विकसित की है जिससे पीजोइलेक्ट्रिक सामग्री का आउटपुट 100 गुना से अधिक बढ़ सकता है. वहीं, डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि वर्तमान में ग्रेडेड पोलिंग का व्यावहारिक उपयोग चुनौतीपूर्ण है. हालांकि इस अध्ययन के परिणाम और ग्रेडिंग पोलिंग तकनीक से होने वाले भारी सुधार शोधकर्ताओं को वास्तविक पीजोइलेक्ट्रिक डिजाइन विकसित करने को प्रोत्साहित करते हैं, जिसमें ग्रेडिंग पोलिंग तकनीक लगा कर यह उपयोग किया जा सके.

स्मार्ट डिवाइस को मिल सकता है पावर

शोधकर्ताओं ने इन डिजाइनों को व्यावहारिक रूप से सफल बनाने के संभावित कदम भी बताए हैं जैसे कि सैम्पल के दाहिने फेस को जमीन से जोड़ना और सबसे ऊपर के फेस को विद्युत क्षमता के साथ उपयोग करना. यांत्रिक गति से अधिक मात्रा में बिजली उत्पादन की इस संभावना से ऐसे उपयोग किए जा सकते हैं जिनमें स्मार्ट डिवाइस को इंसान के स्पर्श मात्रा से 'पावर' मिल जाएगा.

शोधकर्ता प्रस्तावित सामग्री के यांत्रिक गुणों पर पोलिंग तकनीक के प्रभावों के अधिक सटीक अनुमान के लिए कार्यरत रहे हैं जिससे वास्तविक जीवन में इस तकनीक के लाभ लेने की बेहतर सूझबूझ मिलेगी.

ये भी पढ़ें- पांवटा साहिब में सीएम जयराम ने 94 करोड़ की दी सौगात, एक साल में पूरे होंगे सभी काम

मंडीः भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी तकनीक का प्रस्ताव दिया है जिससे पीजोइलेक्ट्रिक सामग्रियों से बिजली उत्पादन बढ़ेगा. इसके लिए शोधकर्ताओं ने पीजोइलेक्ट्रिक सामग्री यांत्रिक ऊर्जा और विद्युत ऊर्जा को इंटरकन्वर्ट करने वाली सामग्री का संख्यात्मक अध्ययन किया है और नई व्यवस्था का प्रस्ताव दिया है जिसमें ये सामग्रियां तनाव (स्ट्रेस) पड़ने पर बिजली उत्पादन बढ़ा देंगी.

उनके शोध परिणाम इंजीनियरिंग रिपोर्ट्स नामक जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं. शोधपत्र के सह-लेखक हैं रिसर्च स्काॅलर-उत्तर कोरिया के हयांग विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं और आईआईटी मंडी में स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसरें डॉ. राजीव कुमार और डॉ. राहुल वैश्य हैं.

वाहन का वजन पड़ने पर पैदा की सकती है बिजली

डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि पीजोइलेक्ट्रिक सामग्रियों पर बल पड़ने पर वे बिजली की ऊर्जा पैदा कर सकती हैं इसलिए बहुत उपयोगी हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह की सामग्रियां फर्श की टाइल या सड़कों में उपयोग करने पर जब इंसान चलेंगे तो वे सामग्रियां बिजली ऊर्जा उत्पन्न कर सकती हैं. वाहन का वजन पड़ने पर उत्पन्न इस बिजली से सड़क और सिग्नल की रोशनी मिल सकती है. हालांकि इन सामग्रियों से उत्पन्न बिजली की ऊर्जा वर्तमान में बहुत कम है इसलिए इसके वास्तविक उपयोग की अपनी सीमाएं हैं.

ग्रेडेड पोलिंग तकनीक की विकसित

डॉ. राहुल वैश्य ने कहा कि हमने ‘ग्रेडेड पोलिंग’ नामक एक तकनीक विकसित की है जिससे पीजोइलेक्ट्रिक सामग्री का आउटपुट 100 गुना से अधिक बढ़ सकता है. वहीं, डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि वर्तमान में ग्रेडेड पोलिंग का व्यावहारिक उपयोग चुनौतीपूर्ण है. हालांकि इस अध्ययन के परिणाम और ग्रेडिंग पोलिंग तकनीक से होने वाले भारी सुधार शोधकर्ताओं को वास्तविक पीजोइलेक्ट्रिक डिजाइन विकसित करने को प्रोत्साहित करते हैं, जिसमें ग्रेडिंग पोलिंग तकनीक लगा कर यह उपयोग किया जा सके.

स्मार्ट डिवाइस को मिल सकता है पावर

शोधकर्ताओं ने इन डिजाइनों को व्यावहारिक रूप से सफल बनाने के संभावित कदम भी बताए हैं जैसे कि सैम्पल के दाहिने फेस को जमीन से जोड़ना और सबसे ऊपर के फेस को विद्युत क्षमता के साथ उपयोग करना. यांत्रिक गति से अधिक मात्रा में बिजली उत्पादन की इस संभावना से ऐसे उपयोग किए जा सकते हैं जिनमें स्मार्ट डिवाइस को इंसान के स्पर्श मात्रा से 'पावर' मिल जाएगा.

शोधकर्ता प्रस्तावित सामग्री के यांत्रिक गुणों पर पोलिंग तकनीक के प्रभावों के अधिक सटीक अनुमान के लिए कार्यरत रहे हैं जिससे वास्तविक जीवन में इस तकनीक के लाभ लेने की बेहतर सूझबूझ मिलेगी.

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