मंडी: आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं (IIT Mandi researchers) ने वायरलेस संचार के भावी उपयोगों में स्पेक्ट्रम की कमी दूर करने की तकनीक विकसित करने में सफलता हासिल की है. शोधकर्ताओं ने कॉपरेटिव स्पेक्ट्रम सेंसर (सीएसआर) का विकास किया है जो 5जी और 6जी वायरलेस संचार की आने वाली तकनीकों में स्पेक्ट्रम क्षमता बढ़ाएगा. इससे देश के दूरदराज और गांव-देहात में भी दूरसंचार की बेहतर सुविधा (telecom services in the rural area) देने के साथ-साथ हाई स्पीड ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू करने में भी मदद मिलेगी.
शोध के अनुसार वैज्ञानिकों ने एक ऐसी कोडिंग तैयार की है, जिसे विभिन्न दूरसंचार माध्यमों से इस्तेमाल न होने वाले अन यूज्ड स्पेक्ट्रम सेंसर को दूसरे स्थान पर डाइवर्ट किया जाएगा. जिससे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्पेक्ट्रम सेंसर की कमी दूर होगी. वहीं, विकसित कॉपरेटिव स्पेक्ट्रम सेंसर ( cooperative spectrum sensor) वायरलेस संचार के उपयोगों में डाटा संचार की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम के दोबारा उपयोग की क्षमता को बढ़ाएगा.
शोध कार्य के निष्कर्ष हाल ही में आईईईई ट्रांजेक्शन ऑन कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य आईईईई जर्नल जैसे आईईईई ट्रांजेक्शन ऑन वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन (वीएलएसआई) सिस्टम और आईईईई ट्रांजेक्शन ऑन सर्किट्स एंड सिस्टम्स (IEEE Transactions on Circuits and Systems) में प्रकाशित किए गए हैं. इस शोध में डॉ. राहुल श्रेष्ठ, सहायक प्रोफेसर कंप्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग स्कूल आईआईटी मंडी (electrical engineering school iit mandi) और स्कॉलर पीएचडी रोहित बी चौरसिया शामिल हैं.
![IIT Mandi researcher](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/hp-mnd-iit-mandi-avb-hp10010_01062022170716_0106f_1654083436_194.jpg)
डॉ. राहुल श्रेष्ठ ने बताया कि उनकी टीम ने कॉपरेटिव स्पेक्ट्रम सेंसिंग के लिए आसान एल्गोरिदम पेश किया है. इसमें कम्प्यूटेशन की जटिलता कम है और फिर सीएसआर और उनके सब मॉड्यूल के लिए कई नए हार्डवेयर-आर्किटेक्चर भी विकसित किए गए हैं.
![IIT Mandi researcher develop cooperative spectrum sensor](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15451368_322_15451368_1654152918642.png)
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