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IIT मंडी के बनाए दो पोर्टेबल वेंटिलेटर, नए विकसित प्रोटोटाइप को नहीं चाहिए कम्प्रेस्ड हवा - आईआईटी मंडी वेंटिलेटर बनाए

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने दो कम लागत के पोर्टेबल वेंटिलेटर विकसित किए हैं. इसमें एक वेंटिलेटर की लागत 25,000 रुपये से कम होगी और एक अन्य 4,000 रुपये की लागत में स्मार्ट वेंटिलेटर विकसित किया है.

IIT Mandi Portable Ventilator
IIT Mandi Portable Ventilator
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Published : May 28, 2020, 6:57 PM IST

मंडी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने दो कम लागत के पोर्टेबल वेंटिलेटर विकसित किए हैं. विकसित किए गए प्रोटोटाइप उपयोग में आसान हैं और इन्हें आपातकालीन चिकित्सा के लिए गांव-देहात भी ले जा सकते हैं. आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अर्पण गुप्ता ने शोध विद्वान लोकेन्द्र सिंह और सौरभ डोगरा के साथ मिल कर केवल 4,000 रुपये की लागत में स्मार्ट वेंटिलेटर विकसित किया है.

मोबाइल एप्लिकेशन पर वाईफाई से किया जा सकता है कंट्रोल

मैकेनाइज्ड आर्टिफिशियल मैनुअल ब्रीदिंग यूनिट (एम्बू) बैग के रूप में विकसित प्रोटोटाइप में सांस की दर और मरीज के फेफड़ों में प्रवाहित हवा की मात्रा को नियंत्रित करने जैसे विकल्प भी हैं. खास तौर से विकसित प्रोडक्ट की विशिष्टता यह है कि मैनुअल उपयोग करने के अलावा मोबाइल एप्लिकेशन पर वाईफाई से इसका उपयोग एवं नियंत्रण किया जा सकता है.

इस मकसद से आईआईटी मंडी ने एक स्मार्टफोन एप्लीकेशन ‘आईआईटी मंडी वेंटिलेटर’ भी विकसित किया है. मोबाइल एप्लीकेशन से वेंटिलेटर को चालू-बंद कर सकते और सांस/मिनट (बीपीएम) की दर भी बदल सकते हैं. डिजाइन किए गए प्रोटोटाइप में हवा पम्प करने के लिए स्लाइडर-क्रैंक मैकेनिज्म है और यह वेंटिलेटर बनाना, असेम्बल करना और उपयोग करना भी आसान है.

कोविड-19 महामारी के मद्देनजर डिजाइन

वेंटिलेटर के बारे में आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अर्पण गुप्ता ने कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर डिजाइन किया गया है. कम लागत का यह वेंटिलेटर मैन्युअली उपयोग करने के साथ-साथ स्मार्टफोन ऐप से वाई-फाई उपयोग किया जा सकता है.

दूर से वेंटिलेटर कर सकते हैं ऑपरेट

इससे चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा होगी जो दूर से वेंटिलेटर का उपयोग कर सकते हैं. वेंटिलेटर पर एक इमरजेंसी स्विच और मोबाइल एप्लीकेशन का भी विकल्प है ताकि वेंटिलेटर में किसी खराबी आने पर इसे रोक दिया जाए और इसमें चेतावनी का अलार्म भी लगा है. वेंटिलेटर सीधे एसी सप्लाई या बाहरी बैट्री पर काम करेगा. यह वेंटिलेटर गैर-गंभीर मरीजों के लिए है जिन्हें सांस लेने में मदद चाहिए.

प्रोटोटाइप के विकास के लिए आवश्यक सलाह देते हुए एक मेडिकल टीम बनाई गई है जिसमें आईआईटी मंडी के चिकित्सा अधिकारी डॉ. चंदर सिंह और जागृति अस्पताल, मंडी के डॉ. मंजुल शर्मा और डॉ. जसदीप शामिल रहे.

25,000 रुपये से कम लागत में मैकेनिकल वेंटिलटर किया विकसित

वहीं, आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजीव कुमार ने अपनी शोध टीम के साथ मिलकर कम लागत में मैकेनिकल वेंटिलटर विकसित किया है. इलैक्ट्रिक मोटर चालित सेल्फ-इन्फ्लेटेबल बैग के इस्तेमाल से बने इस वेंटिलेटर की लागत 25,000 रुपये से कम होगी.

इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए शोध टीम ने आम तौर पर इलैक्ट्रिक वेंटिलेटर में उपयोग होने वाले मोटर के साथ आर्टिफिशियल मैनुअल ब्रीदिंग यूनिट (एएमबीयू) बैग या सेल्फ-इन्फ्लेटेबल बैग उपयोग किया है. इस वेंटिलेटर में सिंगल रैक और पिनियन मैकेनिज्म का उपयोग किया गया है जिसके तहत सेल्फ-इन्फ्लेटेबल बैग को एक तरफ से कम्प्रेस किया जाता है जो मरीज के फेफड़ों में ऑक्सीजन पहुंचाता है.

गांवों के मरीजों के लिए साबित होगा उपयोगी

यह काम इनवेसिव या गैर-इनवेसिव माध्यम से हो सकता है. इस तरह विकसित किए वेंटिलेटर का मरीज और वेंटिलेटर का ऑपरेटर से इंटरफेस होता है. इनोवेशन के बारे में आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि कोविड-19 महामारी के संकट में कम लागत का यह वेंटिलेटर खास कर गांवों के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी होगा क्योंकि यह पोर्टेबल है.

यह वेंटिलेटर पोर्टेबल है और उपयोगकर्ता इसमें सांस/ मिनट (बीपीएम), टाइडल वॉल्यूम और सांस लेने-छोड़ने का समय अनुपात भी निर्धारित कर सकते हैं. वायुमार्ग के उच्च दबाव के लिए इसमें सेटिंग्स और स्टैटस और अलार्म के डिस्प्ले भी हैं. ये फीचर आमतौर पर प्रोटोटाइप की तुलना में बहुत कीमती वेंटिलेटरों में होते हैं.

ये भी पढ़ें- कोविड-19 ट्रैकर: हिमाचल में 200 के पार पहुंची एक्टिव मरीजों की संख्या

मंडी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने दो कम लागत के पोर्टेबल वेंटिलेटर विकसित किए हैं. विकसित किए गए प्रोटोटाइप उपयोग में आसान हैं और इन्हें आपातकालीन चिकित्सा के लिए गांव-देहात भी ले जा सकते हैं. आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अर्पण गुप्ता ने शोध विद्वान लोकेन्द्र सिंह और सौरभ डोगरा के साथ मिल कर केवल 4,000 रुपये की लागत में स्मार्ट वेंटिलेटर विकसित किया है.

मोबाइल एप्लिकेशन पर वाईफाई से किया जा सकता है कंट्रोल

मैकेनाइज्ड आर्टिफिशियल मैनुअल ब्रीदिंग यूनिट (एम्बू) बैग के रूप में विकसित प्रोटोटाइप में सांस की दर और मरीज के फेफड़ों में प्रवाहित हवा की मात्रा को नियंत्रित करने जैसे विकल्प भी हैं. खास तौर से विकसित प्रोडक्ट की विशिष्टता यह है कि मैनुअल उपयोग करने के अलावा मोबाइल एप्लिकेशन पर वाईफाई से इसका उपयोग एवं नियंत्रण किया जा सकता है.

इस मकसद से आईआईटी मंडी ने एक स्मार्टफोन एप्लीकेशन ‘आईआईटी मंडी वेंटिलेटर’ भी विकसित किया है. मोबाइल एप्लीकेशन से वेंटिलेटर को चालू-बंद कर सकते और सांस/मिनट (बीपीएम) की दर भी बदल सकते हैं. डिजाइन किए गए प्रोटोटाइप में हवा पम्प करने के लिए स्लाइडर-क्रैंक मैकेनिज्म है और यह वेंटिलेटर बनाना, असेम्बल करना और उपयोग करना भी आसान है.

कोविड-19 महामारी के मद्देनजर डिजाइन

वेंटिलेटर के बारे में आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अर्पण गुप्ता ने कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर डिजाइन किया गया है. कम लागत का यह वेंटिलेटर मैन्युअली उपयोग करने के साथ-साथ स्मार्टफोन ऐप से वाई-फाई उपयोग किया जा सकता है.

दूर से वेंटिलेटर कर सकते हैं ऑपरेट

इससे चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा होगी जो दूर से वेंटिलेटर का उपयोग कर सकते हैं. वेंटिलेटर पर एक इमरजेंसी स्विच और मोबाइल एप्लीकेशन का भी विकल्प है ताकि वेंटिलेटर में किसी खराबी आने पर इसे रोक दिया जाए और इसमें चेतावनी का अलार्म भी लगा है. वेंटिलेटर सीधे एसी सप्लाई या बाहरी बैट्री पर काम करेगा. यह वेंटिलेटर गैर-गंभीर मरीजों के लिए है जिन्हें सांस लेने में मदद चाहिए.

प्रोटोटाइप के विकास के लिए आवश्यक सलाह देते हुए एक मेडिकल टीम बनाई गई है जिसमें आईआईटी मंडी के चिकित्सा अधिकारी डॉ. चंदर सिंह और जागृति अस्पताल, मंडी के डॉ. मंजुल शर्मा और डॉ. जसदीप शामिल रहे.

25,000 रुपये से कम लागत में मैकेनिकल वेंटिलटर किया विकसित

वहीं, आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजीव कुमार ने अपनी शोध टीम के साथ मिलकर कम लागत में मैकेनिकल वेंटिलटर विकसित किया है. इलैक्ट्रिक मोटर चालित सेल्फ-इन्फ्लेटेबल बैग के इस्तेमाल से बने इस वेंटिलेटर की लागत 25,000 रुपये से कम होगी.

इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए शोध टीम ने आम तौर पर इलैक्ट्रिक वेंटिलेटर में उपयोग होने वाले मोटर के साथ आर्टिफिशियल मैनुअल ब्रीदिंग यूनिट (एएमबीयू) बैग या सेल्फ-इन्फ्लेटेबल बैग उपयोग किया है. इस वेंटिलेटर में सिंगल रैक और पिनियन मैकेनिज्म का उपयोग किया गया है जिसके तहत सेल्फ-इन्फ्लेटेबल बैग को एक तरफ से कम्प्रेस किया जाता है जो मरीज के फेफड़ों में ऑक्सीजन पहुंचाता है.

गांवों के मरीजों के लिए साबित होगा उपयोगी

यह काम इनवेसिव या गैर-इनवेसिव माध्यम से हो सकता है. इस तरह विकसित किए वेंटिलेटर का मरीज और वेंटिलेटर का ऑपरेटर से इंटरफेस होता है. इनोवेशन के बारे में आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि कोविड-19 महामारी के संकट में कम लागत का यह वेंटिलेटर खास कर गांवों के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी होगा क्योंकि यह पोर्टेबल है.

यह वेंटिलेटर पोर्टेबल है और उपयोगकर्ता इसमें सांस/ मिनट (बीपीएम), टाइडल वॉल्यूम और सांस लेने-छोड़ने का समय अनुपात भी निर्धारित कर सकते हैं. वायुमार्ग के उच्च दबाव के लिए इसमें सेटिंग्स और स्टैटस और अलार्म के डिस्प्ले भी हैं. ये फीचर आमतौर पर प्रोटोटाइप की तुलना में बहुत कीमती वेंटिलेटरों में होते हैं.

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