मंडी: हिमाचली बोलियों को पहचान दिलाने वाली टांकरी लिपि को अब फिर से पुनर्जीवन देने की दिशा में प्रयास होना शुरू हो गए हैं. भारतीय सांस्कृतिक निधि मंडी चैप्टर ने (Art and Culture Heritage Mandi Chapter) इस दिशा में कदम आगे बढ़ाए हैं. इसी के तहत भारतीय सांस्कृतिक निधि मंडी चैप्टर की ओर से मंडी में टांकरी लिपि पर हेरिटेज टॉक का आयोजन किया गया, जिसमें शहर के वरिष्ठ नागरिकों, इतिहासकारों और साहित्यकारों ने भाग लिया.
टांकरी लिपि पर शोध करने वाले सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी जगदीश कपूर को इस हेरिटेज टॉक में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था. उन्होंने बताया कि पहले पहाड़ी बोलियों की टांकरी लिपि हुआ करती थी, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत आने के बाद धीरे-धीरे ये लिपि विलुप्त होती गई. आज इतिहास के बहुत से पन्नों पर टांकरी लिपि में लिखे हुए (revival of Tankari script) लेख मिलते हैं. आज इस लिपि को फिर से जीवित करने की जरूरत है, ताकि भावी पीढ़ी को इसके महत्व से अवगत करवाया जा सके.