करसोग: मंडी जिले के करसोग में किसान अब रासायनिक खेती (chemical farming ) को छोड़ रहे हैं. पिछले तीन सालों में उपमंडल के विभिन्न क्षेत्रों में 2718 किसान रासायनिक खेती को छोड़कर सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं. जिससे रासायनिक खेती की तुलना में किसानों की कृषि पैदावार लेने पर आने वाली लागत 80 से 90 फीसदी घटी है. इस तकनीक को अपनाने से गुणवत्ता बढ़ने के साथ किसानों को कृषि उत्पादों का मूल्य भी अच्छा मिल रहा है, जिससे किसानों की आर्थिक सेहत भी सुधरी है.
ये जानकारी कृषि विभाग विकासखंड करसोग के सहायक तकनीकी प्रबंधक लेखराज ने सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती (Subhash Palekar Natural Farming) पर बुधवार को मैहरन पंचायत में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में दी. इस दौरान किसानों को रासायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक खेती की तकनीक को अपनाने के लिए प्ररित किया. उन्होंने कहा कि करसोग में पिछले तीन सालों में हजारों किसान सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की तकनीक को अपना चुके हैं.
ऐसे में उपमंडल में अब 166 हेक्टेयर भूमि में प्राकृतिक खेती की जा रही है. आने वाले समय में और भी किसान रासायनिक खेती को छोड़ सकते हैं. सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के मास्टर ट्रेनर (Master Trainer of Subhash Palekar Natural Farming ) कैप्टन नेतराम शर्मा ने भी किसानों को प्राकृतिक खेती के फायदों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए किसानों के पास घर पर ही पर्याप्त मात्रा में संसाधन उपलब्ध है. इस खेती के लिए बाजार से कुछ भी सामान खरीदने की आवश्यकता नहीं है.
ऐसे में प्राकृतिक खेती से किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. इस दौरान किसानों को जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत, अग्नि अस्त्र आदि तैयार करने की विधि भी बताई गई. कृषि विभाग हर पंचायत में वार्ड स्तर पर कैम्प आयोजित कर किसानों को सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की जानकारी दे रहा है.
कृषि विभाग विकासखंड करसोग के सहायक तकनीकी प्रबंधक लेखराज ने बताया कि सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की जानकारी देने के लिए मैहरन पंचायत में दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर लगाया गया. उन्होंने कहा कि लोगों को प्रेरित करने के लिए हर पंचायत में प्राकृतिक खेती के लिए कैम्प आयोजित किए जा रहे हैं. इसका नतीजा है कि तीन सालों में 2718 किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ चुके हैं.
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