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दफ्तरों के चक्कर लगाकर चप्पल घिस गई, पर बुजुर्ग दंपति को नहीं मिला 'घर' - बुजुर्ग दंपति को नहीं मिला 'घर'

मैहरन पंचायत के तहत आने वाले नाग ककनो गांव के 82 साल के बुजुर्ग भगतराम डर के साए में जिंदगी बसर कर रहे हैं. दरअसल इस गरीब दंपति का मकान जर्जर हालत में है, लेकिन आज उन्हें आवास योजना के तहत घर नहीं दिया गया है.

elderly couple demanding for a house
elderly couple demanding for a house
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Published : Sep 13, 2020, 3:17 PM IST

मंडी: सरकार के आवास योजनाओं के दावे के बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला में एक बुजुर्ग दंपति जर्जर कच्चे मकान में रहने को मजबूर है. मैहरन पंचायत के तहत आने वाले नाग ककनो गांव के 82 साल के बुजुर्ग भगतराम ने हर सरकारी दफ्तर में जाकर सिर पर छत के लिए गुहार लगाई, लेकिन उनकी आवाज नक्कार खाने में तूती बनकर रह गई.

पीड़ित भगतराम ने बताया कि उनका पत्थर का बना कच्चा मकान गिरने वाला है. पहाड़ी पत्थर से तैयार छत पर लकड़ी पूरी तरह से सड़ चुकी है. ऐसे में कभी भी छत पर लगे पत्थर उन पर गिर सकते हैं, जिससे उन्हें रात में सोते हुए कोई अनहोनी होने का खतरा बना रहता है. उन्होंने कहा कि हम गरीब हैं, इसलिए मकान की मरम्मत के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं. सरकार से जो सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिलती है, उससे सिर्फ खाने का ही गुजारा होता है.

वीडियो.

भगतराम ने बताया कि पंचायत सहित सभी विभाग के अधिकारियों को इस संबंध में अवगत कराया गया, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने कहा कि उन्हें सरकार द्वारा जीते जी मकान मिलना चाहिए, ताकि वो डर के साए से हटकर बेफिक्र होकर अपनी जिदंगी बसर कर सकें.

करसोग के माहूंनाग में 1 जुलाई 2018 को आयोजित जनमंच कार्यक्रम के दौरान समाज कल्याण विभाग के अधिकारी भी भगतराम के घर का मौका कर चुके हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि करीब दो साल का समय बीतने पर भी भगतराम को मकान नहीं मिला है.

बता दें कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों, विधवाओं और विशेष रूप से सक्षम लोगों के लिए समाज कल्याण विभाग की ओर से भी आवास की सुविधा दी जाती है. साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भी पंचायत से भगतराम का नाम प्राथमिकता की सूची में भेजा गया है, लेकिन कहीं पर भी इस गरीब परिवार के लिए उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही है.

तहसील कल्याण अधिकारी भोपाल शर्मा ने बताया कि इस मामले पर रिकॉर्ड देखकर ही कुछ कहा जा सकता है. वहीं, बीडीओ करसोग भवनेश चड्डा का कहना है कि मामला उनके ध्यान में आया है और मार्च व अप्रैल में आवास योजना के तहत इन्हें प्राथमिकता के आधार पर मकान दिया जाएगा.

मैहरन पंचायत के सचिव एमन्त कुमार का कहना है कि अनुसूचित जनजाति के तहत गृह निर्माण का मामला करीब दो साल पहले कल्याण विभाग को भेजा जा चुका है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हुए सर्वे में भी भगतराम का नाम शामिल है, जिसकी जियो टैगिंग हो चुकी है.

ये भी पढ़ें: पूरी सावधानी बरत रहा जेल प्रशासन, जिला कारागार धर्मशाला में लौट रहे कैदियों को किया जा रहा क्वारंटाइन

मंडी: सरकार के आवास योजनाओं के दावे के बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला में एक बुजुर्ग दंपति जर्जर कच्चे मकान में रहने को मजबूर है. मैहरन पंचायत के तहत आने वाले नाग ककनो गांव के 82 साल के बुजुर्ग भगतराम ने हर सरकारी दफ्तर में जाकर सिर पर छत के लिए गुहार लगाई, लेकिन उनकी आवाज नक्कार खाने में तूती बनकर रह गई.

पीड़ित भगतराम ने बताया कि उनका पत्थर का बना कच्चा मकान गिरने वाला है. पहाड़ी पत्थर से तैयार छत पर लकड़ी पूरी तरह से सड़ चुकी है. ऐसे में कभी भी छत पर लगे पत्थर उन पर गिर सकते हैं, जिससे उन्हें रात में सोते हुए कोई अनहोनी होने का खतरा बना रहता है. उन्होंने कहा कि हम गरीब हैं, इसलिए मकान की मरम्मत के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं. सरकार से जो सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिलती है, उससे सिर्फ खाने का ही गुजारा होता है.

वीडियो.

भगतराम ने बताया कि पंचायत सहित सभी विभाग के अधिकारियों को इस संबंध में अवगत कराया गया, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने कहा कि उन्हें सरकार द्वारा जीते जी मकान मिलना चाहिए, ताकि वो डर के साए से हटकर बेफिक्र होकर अपनी जिदंगी बसर कर सकें.

करसोग के माहूंनाग में 1 जुलाई 2018 को आयोजित जनमंच कार्यक्रम के दौरान समाज कल्याण विभाग के अधिकारी भी भगतराम के घर का मौका कर चुके हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि करीब दो साल का समय बीतने पर भी भगतराम को मकान नहीं मिला है.

बता दें कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों, विधवाओं और विशेष रूप से सक्षम लोगों के लिए समाज कल्याण विभाग की ओर से भी आवास की सुविधा दी जाती है. साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भी पंचायत से भगतराम का नाम प्राथमिकता की सूची में भेजा गया है, लेकिन कहीं पर भी इस गरीब परिवार के लिए उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही है.

तहसील कल्याण अधिकारी भोपाल शर्मा ने बताया कि इस मामले पर रिकॉर्ड देखकर ही कुछ कहा जा सकता है. वहीं, बीडीओ करसोग भवनेश चड्डा का कहना है कि मामला उनके ध्यान में आया है और मार्च व अप्रैल में आवास योजना के तहत इन्हें प्राथमिकता के आधार पर मकान दिया जाएगा.

मैहरन पंचायत के सचिव एमन्त कुमार का कहना है कि अनुसूचित जनजाति के तहत गृह निर्माण का मामला करीब दो साल पहले कल्याण विभाग को भेजा जा चुका है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हुए सर्वे में भी भगतराम का नाम शामिल है, जिसकी जियो टैगिंग हो चुकी है.

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