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सराज के बागवानों की पहली पसंद बन रही सघन बागवानी, विशेषज्ञों से सीखी बारीकियां - परंपरागत बागवानी

जिला मंडी में बागवानी विभाग ने सराज उपमंडल के माणी और पंजाई गांव में बागवान जागरूकता शिविरों का आयोजन किया. इस दौरान बागवानों को सघन बागवानी की बारीकियां बताई गई. साथ ही परंपरागत बागवानी छोड़कर सघन बागवानी से कम संसाधनों में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए प्रेरित किया गया.

सघन बागवानी
जागरूकता शिविर में विशेषज्ञों के साथ स्थानीय बागवान.
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Published : Jul 14, 2020, 8:48 PM IST

सराज/मंडी: जिला के सराज विधानसभा क्षेत्र के बगस्याड़ में जहां बागवानी विभाग के प्रयासों के चलते सेब की सघन बागवानी पहली पसंद बनती जा रही है, वहीं अब विभाग सेब बागवानी के इस नए प्रयोग को समूचे सराज में विस्तार देने के लिए प्रयासरत है.

इस कड़ी के तहत मंगलवार को माणी और पंजाई गांव में बागवान जागरूकता शिविरों का आयोजन किया गया. शिविर में विशेषज्ञों ने बागवानों को महत्वपूर्ण जानकारी दी. इस दौरान विशेषज्ञ डॉक्टर चिंतराम ठाकुर ने सेब बागवानों से आग्रह किया कि सेब की परंपरागत बागवानी से हटकर बागवानों को अब क्लोनल रूट स्टॉक पर कार्य करना चाहिए.

सघन बागवानी
जागरूकता शिविर में विशेषज्ञों के साथ स्थानीय बागवान.

उन्होंने कहा कि सराज के संपूर्ण क्षेत्र में इन बागवानी की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन अभी तक चुनिंदा क्षेत्रों को छोड़कर कोई भी बागवान इस बागवानी को लेकर उत्साह नहीं दिखा रहा है. उन्होंने कहा कि बागवानों को रूट स्टॉक की जानकारी देने के लिए ही इस तरह के शिविर आयोजित किये जा रहे हैं.

शिविर में उद्यान विकास अधिकारी सराज संजय भारद्वाज ने बताया कि आने वाले समय में सराज के थाटा, माणी व पंजाई पंचायतों को सेब की सघन बागवानी के लिए चुना गया है, जहां बागवानों के क्लस्टर बनाकर उन्हें सरकार की कई सुविधाएं दी जाएंगी.

असिंचित क्षेत्रों में सिंचाई योजनाओं को अमलीजामा पहनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि सेब की सघन बागवानी के लिए समय की जरूरत है और इस कॉन्सेप्ट को अपनाकर बागवान अच्छी खासी आय अर्जित की जा सकती है.

बागवानी विभाग द्वारा आयोजित इन शिविरों को लेकर जहां लोग काफी उत्साहित दिखे, वहीं कुछ पंचायतों में पंचायत प्रतिनिधि लोगों को इस बारे सूचना तक उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं. मंगलवार को ग्राम पंचायत माणी में उपस्थित लोगों ने इस बारे में विभागीय अधिकारियों से शिकायत भी की. शिकायत के आधार पर पंचायत प्रतिनिधियों को उचित कदम उठाने के निर्देश दिये गए.

बता दें कि सघन बागवानी में खाद, पानी, सूर्य की रोशनी, फफूंदनाशी, कीटनाशी का लगभग पूरा का पूरा उपयोग हो जाता है जिससे कि परंपरागत बागवानी की अपेक्षा प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होता है. ऐसे में प्रदेश के बागवान सघन बागवानी की ओर ज्यादा रूचि दिखा रहे हैं और विभाग भी लोगों को सघन बागवानी की ओर प्रेरित करने के लिए जागरूक कर रहा है.

ये भी पढ़ें- 75 करोड़ की सौगात पर मंत्री ने जताया CM का आभार, बोले- मनाली की तर्ज पर होगा बंजार का विकास

सराज/मंडी: जिला के सराज विधानसभा क्षेत्र के बगस्याड़ में जहां बागवानी विभाग के प्रयासों के चलते सेब की सघन बागवानी पहली पसंद बनती जा रही है, वहीं अब विभाग सेब बागवानी के इस नए प्रयोग को समूचे सराज में विस्तार देने के लिए प्रयासरत है.

इस कड़ी के तहत मंगलवार को माणी और पंजाई गांव में बागवान जागरूकता शिविरों का आयोजन किया गया. शिविर में विशेषज्ञों ने बागवानों को महत्वपूर्ण जानकारी दी. इस दौरान विशेषज्ञ डॉक्टर चिंतराम ठाकुर ने सेब बागवानों से आग्रह किया कि सेब की परंपरागत बागवानी से हटकर बागवानों को अब क्लोनल रूट स्टॉक पर कार्य करना चाहिए.

सघन बागवानी
जागरूकता शिविर में विशेषज्ञों के साथ स्थानीय बागवान.

उन्होंने कहा कि सराज के संपूर्ण क्षेत्र में इन बागवानी की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन अभी तक चुनिंदा क्षेत्रों को छोड़कर कोई भी बागवान इस बागवानी को लेकर उत्साह नहीं दिखा रहा है. उन्होंने कहा कि बागवानों को रूट स्टॉक की जानकारी देने के लिए ही इस तरह के शिविर आयोजित किये जा रहे हैं.

शिविर में उद्यान विकास अधिकारी सराज संजय भारद्वाज ने बताया कि आने वाले समय में सराज के थाटा, माणी व पंजाई पंचायतों को सेब की सघन बागवानी के लिए चुना गया है, जहां बागवानों के क्लस्टर बनाकर उन्हें सरकार की कई सुविधाएं दी जाएंगी.

असिंचित क्षेत्रों में सिंचाई योजनाओं को अमलीजामा पहनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि सेब की सघन बागवानी के लिए समय की जरूरत है और इस कॉन्सेप्ट को अपनाकर बागवान अच्छी खासी आय अर्जित की जा सकती है.

बागवानी विभाग द्वारा आयोजित इन शिविरों को लेकर जहां लोग काफी उत्साहित दिखे, वहीं कुछ पंचायतों में पंचायत प्रतिनिधि लोगों को इस बारे सूचना तक उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं. मंगलवार को ग्राम पंचायत माणी में उपस्थित लोगों ने इस बारे में विभागीय अधिकारियों से शिकायत भी की. शिकायत के आधार पर पंचायत प्रतिनिधियों को उचित कदम उठाने के निर्देश दिये गए.

बता दें कि सघन बागवानी में खाद, पानी, सूर्य की रोशनी, फफूंदनाशी, कीटनाशी का लगभग पूरा का पूरा उपयोग हो जाता है जिससे कि परंपरागत बागवानी की अपेक्षा प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होता है. ऐसे में प्रदेश के बागवान सघन बागवानी की ओर ज्यादा रूचि दिखा रहे हैं और विभाग भी लोगों को सघन बागवानी की ओर प्रेरित करने के लिए जागरूक कर रहा है.

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