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मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना: इंजीनियरिंग छोड़ कैश्यू हाउस चला रहे मंडी के आशीष कुमार, युवाओं के लिए बने प्रेरणास्त्रोत

मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना (Mukhyamantri Swavalamban Yojana) से हिमाचल प्रदेश के बहुत से युवा लाभान्वित हो रहें हैं. वहीं, जिला मंडी से संबंध रखने वाले पेशे से सिविल इंजीनियर आशीष कुमार (civil engineer ashish kumar of mandi) भी योजना का भरपूर लाभ उठा रहे हैं और युवा उद्यम का बेहतरीन उदाहरण बन गए हैं. प्रदेश के हजारों युवा इस योजना का लाभ लेकर खुद तो आत्मनिर्भर बना रहे हैं, साथ ही औरों को रोजगार भी दे रहे हैं.

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Published : Dec 10, 2021, 7:00 PM IST

Mukhyamantri Swavalamban Yojana
मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना

मंडी: पेशे से सिविल इंजीनियर आशीष कुमार (civil engineer ashish kumar of mandi) की सफलता की कहानी स्वाद, सेहत, स्वरोजगार और सरकारी सहयोग के शानदार मेल से युवा उद्यम का बेहतरीन उदाहरण बन गई है. मंडी जिले की सुंदरनगर तहसील के रामपुर, कनैड़ के 32 वर्षीय आशीष ने मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना ( Mukhyamantri Swavalamban Yojana) में सरकारी मदद से काजू की प्रोसेसिंग-पैकेजिंग में स्वरोजगार का स्वाद पाया है.


आशीष बताते हैं कि, 'यूं तो उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, पर रोजगार मांगने की बजाय रोजगार देने वाला बनने के मन में इतनी मजबूत चाह थी कि अपना काम शुरू करने की ठान ली. सेहत बनाने और दिमाग बढ़ाने के लिए ड्राई फ्रूट्स का राजा माने जाने वाले काजू के काम में अपना इंजीनियरिंग वाला दिमाग लगाया जिससे उन्हें अब जीवन में स्वरोजगार का स्वाद मिल रहा है.'

आशीष कुमार उन हजारों सफल युवा उद्यमियों में एक हैं जो उनके सपनों को पूरा करने में हिमाचल सरकार से मिली मदद के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का आभार जताते नहीं थकते. बता दें, अपना काम धंधा शुरू करने के चाहवान युवाओं के लिए हिमाचल सरकार की मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना (ashish kumar running Cashew House in mandi) वरदान बनी है. प्रदेश के हजारों युवा इस योजना का लाभ लेकर खुद तो आत्मनिर्भर बना रहे हैं साथ ही औरों को भी रोजगार दे रहे हैं. मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना (Mukhyamantri Swavalamban Yojana in himachal) में युवाओं को अपनी पसंद का काम काज शुरू करने को सरकार की ओर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.

आशीष बताते हैं कि मार्च 2020 में मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में उनके प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिली थी. कोविड-19 के चलते काम शुरु करने में 6-8 महीने निकल गए. नवंबर 2020 से 'आरडा कैश्यू हाउस' (Aarda Cashew House in mandi) नाम से अपना यूनिट आरंभ किया. इसके लिए योजना के तहत बैंक से 27 लाख रुपए का केस बनाया. जिस पर सरकार ने 5.11 लाख रुपए की सब्सिडी दी.


रामपुर, कनैड़ में यूनिट लगने से ग्रामीण महिलाओं को घर पर ही रोजगार उपलब्ध हो रहा है. यूनिट में काम कर रही बिमला, राजकुमारी, गीतादेवी और कुन्ता सहित अन्य महिलाओं का कहना है कि घरद्वार पर रोजगार से वे आर्थिक रूप से सक्षम हुई हैं.

आशीष बताते हैं कि काजू की साइजिंग और ग्रेडिंग के लिए सूरत गुजरात से मशीनरी लाई गई है. इसके लिए गांव की 7 महिलाएं प्लांट में रेगुलर काम कर रही हैं. इसके अलावा गांव की 20 से ज्यादा महिलाओं को समय समय पर काजू की छंटाई का काम दिया जाता है. वे छंटाई के लिए काजू अपने घर ले जाती हैं जिससे वे अपनी फुरसत के मुताबिक काम कर सकती हैं. इसके लिए उन्हें 25 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से भुगतान किया जाता है. वहीं तकनीकी काम काज के लिए दूसरे राज्यों के 5 लोग भी प्लांट में काम पर रखे हैं.

आशीष बताते हैं कि वे साल में 4 महीने भारत के अलग अलग राज्यों से कच्चा काजू मंगाते हैं, बाकी 8 महीने अफ्रीका से काजू मंगाया जाता है. इसकी यहां प्रोसेसिंग और पैकेजिंग कराते हैं. इस काजू की मंडी के साथ साथ हमीरपुर और कुल्लू में भी सप्लाई हो रही है. अलग अलग क्वालिटी के काजू की बाजार में विभिन्न दरों पर बिक्री होती है. ये 600 से लेकर 1600 रुपए तक प्रति किलो के हिसाब से बिकता है. अभी फैक्ट्री में रोजाना करीब 100 किलो काजू प्रोसेस होता है. इसके बाद पैकिंग की जाती है. आगे इसे रोजाना 500 किलो तक बढ़ाने की सोच रहे हैं. इसके लिए वे साइजिंग और ग्रेडिंग की नई मशीनरी लाने वाले हैं.

आयुष विभाग में आयुर्वेद अधिकारी रहे आशीष के पिता डॉ. अनिल कुमार कौंडल (Ashish's father Dr. Anil Kumar Kaundal) भी सेवानिवृति के बाद अब बेटे के व्यवसाय में हाथ बंटा रहे हैं. वे बेटे की सफलता से बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि युवाओं के सपने पूरा करने वाली मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का जितना आभार जताएं कम है.

वहीं जिला उद्योग केंद्र मंडी के महाप्रबंधक ओपी जरयाल (OP Jaryal, General Manager of District Industries Center Mandi) का कहना है कि अगर किसी को अपना काम-धंधा शुरू करने में आर्थिक मदद की दरकार है तो हिमाचल सरकार की मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना उनके लिए बहुत फायदेमंद है. उद्योग विभाग के सौजन्य से लागू की गई मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार लगाने के लिए सरकार की ओर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. मंडी जिले में मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में 2018 से अब तक करीब साढ़े चार सौ युवाओं को अपना काम धंधा शुरु करने के लिए 16 करोड़ रुपए से ज्यादा की सब्सिडी दी जा चुकी है.

ओ.पी जरयाल बताते हैं कि योजना में 1 करोड़ रुपए लागत तक की परियोजनाओं पर महिलाओं को 30 प्रतिशत और पुरुषों को 25 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है. साथ ही सरकार ने महिलाओं के लिए पात्रता आयु 45 से बढ़ा कर 50 साल करने का निर्णय भी लिया है.

जिला उद्योग केंद्र मंडी के प्रबंधक विनय कुमार (Vinay Kumar, Manager of District Industries Center Mandi) बताते हैं कि स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में पहले की गतिविधियों के साथ अब उन्नत डेयरी विकास, दूध व दुग्ध उत्पादों के लिए कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की स्थापना, कृषि उपकरणों व औजारों का निर्माण तथा रेशम प्रसंस्करण इकाई जैसी 18 नई गतिविधियां भी सम्मिलित की हैं. इससे अब योजना के तहत कवर की गई स्वरोजगार गतिविधियों की संख्या बढ़कर 103 हो गई है.

उपायुक्त (डीसी) मंडी अरिंदम चौधरी (Deputy Commissioner Mandi Arindam Choudhary) का कहना है कि हिमाचल सरकार का इस ओर विशेष जोर है कि अधिक से अधिक युवा स्वरोजगार से जुड़ें और नौकरी मांगने के स्थान पर नौकरी देने की स्थिति में आएं. स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना युवाओं को स्वरोजगार के अनेकों अवसर बना रही है. हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक युवाओं को इसमें लाभ दिया जाए.

ये भी पढ़ें: एनआईटी हमीरपुर में बीटेक कंप्यूटर साइंस के छात्रों को लंदन में मिला 1.12 करोड़ का पैकेज

मंडी: पेशे से सिविल इंजीनियर आशीष कुमार (civil engineer ashish kumar of mandi) की सफलता की कहानी स्वाद, सेहत, स्वरोजगार और सरकारी सहयोग के शानदार मेल से युवा उद्यम का बेहतरीन उदाहरण बन गई है. मंडी जिले की सुंदरनगर तहसील के रामपुर, कनैड़ के 32 वर्षीय आशीष ने मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना ( Mukhyamantri Swavalamban Yojana) में सरकारी मदद से काजू की प्रोसेसिंग-पैकेजिंग में स्वरोजगार का स्वाद पाया है.


आशीष बताते हैं कि, 'यूं तो उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, पर रोजगार मांगने की बजाय रोजगार देने वाला बनने के मन में इतनी मजबूत चाह थी कि अपना काम शुरू करने की ठान ली. सेहत बनाने और दिमाग बढ़ाने के लिए ड्राई फ्रूट्स का राजा माने जाने वाले काजू के काम में अपना इंजीनियरिंग वाला दिमाग लगाया जिससे उन्हें अब जीवन में स्वरोजगार का स्वाद मिल रहा है.'

आशीष कुमार उन हजारों सफल युवा उद्यमियों में एक हैं जो उनके सपनों को पूरा करने में हिमाचल सरकार से मिली मदद के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का आभार जताते नहीं थकते. बता दें, अपना काम धंधा शुरू करने के चाहवान युवाओं के लिए हिमाचल सरकार की मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना (ashish kumar running Cashew House in mandi) वरदान बनी है. प्रदेश के हजारों युवा इस योजना का लाभ लेकर खुद तो आत्मनिर्भर बना रहे हैं साथ ही औरों को भी रोजगार दे रहे हैं. मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना (Mukhyamantri Swavalamban Yojana in himachal) में युवाओं को अपनी पसंद का काम काज शुरू करने को सरकार की ओर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.

आशीष बताते हैं कि मार्च 2020 में मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में उनके प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिली थी. कोविड-19 के चलते काम शुरु करने में 6-8 महीने निकल गए. नवंबर 2020 से 'आरडा कैश्यू हाउस' (Aarda Cashew House in mandi) नाम से अपना यूनिट आरंभ किया. इसके लिए योजना के तहत बैंक से 27 लाख रुपए का केस बनाया. जिस पर सरकार ने 5.11 लाख रुपए की सब्सिडी दी.


रामपुर, कनैड़ में यूनिट लगने से ग्रामीण महिलाओं को घर पर ही रोजगार उपलब्ध हो रहा है. यूनिट में काम कर रही बिमला, राजकुमारी, गीतादेवी और कुन्ता सहित अन्य महिलाओं का कहना है कि घरद्वार पर रोजगार से वे आर्थिक रूप से सक्षम हुई हैं.

आशीष बताते हैं कि काजू की साइजिंग और ग्रेडिंग के लिए सूरत गुजरात से मशीनरी लाई गई है. इसके लिए गांव की 7 महिलाएं प्लांट में रेगुलर काम कर रही हैं. इसके अलावा गांव की 20 से ज्यादा महिलाओं को समय समय पर काजू की छंटाई का काम दिया जाता है. वे छंटाई के लिए काजू अपने घर ले जाती हैं जिससे वे अपनी फुरसत के मुताबिक काम कर सकती हैं. इसके लिए उन्हें 25 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से भुगतान किया जाता है. वहीं तकनीकी काम काज के लिए दूसरे राज्यों के 5 लोग भी प्लांट में काम पर रखे हैं.

आशीष बताते हैं कि वे साल में 4 महीने भारत के अलग अलग राज्यों से कच्चा काजू मंगाते हैं, बाकी 8 महीने अफ्रीका से काजू मंगाया जाता है. इसकी यहां प्रोसेसिंग और पैकेजिंग कराते हैं. इस काजू की मंडी के साथ साथ हमीरपुर और कुल्लू में भी सप्लाई हो रही है. अलग अलग क्वालिटी के काजू की बाजार में विभिन्न दरों पर बिक्री होती है. ये 600 से लेकर 1600 रुपए तक प्रति किलो के हिसाब से बिकता है. अभी फैक्ट्री में रोजाना करीब 100 किलो काजू प्रोसेस होता है. इसके बाद पैकिंग की जाती है. आगे इसे रोजाना 500 किलो तक बढ़ाने की सोच रहे हैं. इसके लिए वे साइजिंग और ग्रेडिंग की नई मशीनरी लाने वाले हैं.

आयुष विभाग में आयुर्वेद अधिकारी रहे आशीष के पिता डॉ. अनिल कुमार कौंडल (Ashish's father Dr. Anil Kumar Kaundal) भी सेवानिवृति के बाद अब बेटे के व्यवसाय में हाथ बंटा रहे हैं. वे बेटे की सफलता से बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि युवाओं के सपने पूरा करने वाली मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का जितना आभार जताएं कम है.

वहीं जिला उद्योग केंद्र मंडी के महाप्रबंधक ओपी जरयाल (OP Jaryal, General Manager of District Industries Center Mandi) का कहना है कि अगर किसी को अपना काम-धंधा शुरू करने में आर्थिक मदद की दरकार है तो हिमाचल सरकार की मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना उनके लिए बहुत फायदेमंद है. उद्योग विभाग के सौजन्य से लागू की गई मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार लगाने के लिए सरकार की ओर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. मंडी जिले में मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में 2018 से अब तक करीब साढ़े चार सौ युवाओं को अपना काम धंधा शुरु करने के लिए 16 करोड़ रुपए से ज्यादा की सब्सिडी दी जा चुकी है.

ओ.पी जरयाल बताते हैं कि योजना में 1 करोड़ रुपए लागत तक की परियोजनाओं पर महिलाओं को 30 प्रतिशत और पुरुषों को 25 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है. साथ ही सरकार ने महिलाओं के लिए पात्रता आयु 45 से बढ़ा कर 50 साल करने का निर्णय भी लिया है.

जिला उद्योग केंद्र मंडी के प्रबंधक विनय कुमार (Vinay Kumar, Manager of District Industries Center Mandi) बताते हैं कि स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में पहले की गतिविधियों के साथ अब उन्नत डेयरी विकास, दूध व दुग्ध उत्पादों के लिए कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की स्थापना, कृषि उपकरणों व औजारों का निर्माण तथा रेशम प्रसंस्करण इकाई जैसी 18 नई गतिविधियां भी सम्मिलित की हैं. इससे अब योजना के तहत कवर की गई स्वरोजगार गतिविधियों की संख्या बढ़कर 103 हो गई है.

उपायुक्त (डीसी) मंडी अरिंदम चौधरी (Deputy Commissioner Mandi Arindam Choudhary) का कहना है कि हिमाचल सरकार का इस ओर विशेष जोर है कि अधिक से अधिक युवा स्वरोजगार से जुड़ें और नौकरी मांगने के स्थान पर नौकरी देने की स्थिति में आएं. स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना युवाओं को स्वरोजगार के अनेकों अवसर बना रही है. हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक युवाओं को इसमें लाभ दिया जाए.

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