कुल्लू: कोविड-19 के खतरे और श्रीखंड जाने वाले रास्ते में बीते साल हुई भारी बर्फबारी के खतरे को देखते हुए एसडीएम आनी की तरफ से भी यात्रा को निलंबित करने की सिफारिश की गई है. इसके अलावा स्थानीय पंचायतों चायल, भालसी, अरसु, सराहन, नोर, तुनन, निशानी और रहाणु की तरफ से भी इस यात्रा को स्थगित करने करने की अपील की गई है.
आदेशों में इसका जिक्र करते हुए कहा गया है कि लोगों की सुरक्षा और सरकार के दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए यात्रा को निलंबित किया जा रहा है. ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे और आगामी आदेशों तक जारी रहेंगे. यदि कोई भी आदेश का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
डीसी ऋचा वर्मा ने कहा कि इस साल कोरोना संक्रमण के चलते यात्रा पर रोक लगाई गई है. यात्रा से पहले जूना अखाड़ा निरमंड से माता अम्बिका की छड़ी यात्रा दर्शनों के लिए निकलती थी, उस पर भी रोक लगाई गई है. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने की दृष्टि से ये फैसला लिया गया है. हर साल श्रीखंड महादेव यात्रा15 जुलाई से शुरू होती थी, जिसमें देश-विदेशों के हजारों श्रदालु दर्शन करने के लिए आते थे.
डीसी ने कहा कि पुलिस की तैनाती जगह-जगह की गई है. इसलिए कोई भी श्रद्धालु चोरी-छिपे जाने का प्रयास न करें. हिमालय की गोद में विराजमान श्रीखंड महादेव के दर्शन करना आसान नहीं है. यह जिला कुल्लू के आनी में है लेकिन निरमंड से होकर ही यहां पहुंचा जा सकता है. यहां पहुंचने के लिये पैदल ही चलना पड़ता है. दुनिया की सबसे दुर्गम धार्मिक यात्राओं में शामिल होने के बावजूद श्रीखंड यात्रा के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यात्रा में पहुंचते हैं. निरमंड से श्रीखंड यात्रा के लिए 32 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई श्रद्धालुओं के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है.
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