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शारदीय नवरात्रि 2022: शारदीय नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व, गुप्त नवरात्रि में भी होती है मां दुर्गा की साधना

इस साल शारदीय नवरात्रि 2022 की शुरुआत 26 सितंबर से हो रही (Shardiya Navratri 2022) है, जो 5 अक्टूबर तक चलेंगे. 9 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते (Navratri Puja Vidhi) है.

Shardiya Navratri 2022
शारदीय नवरात्रि 2022
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Published : Sep 22, 2022, 4:32 AM IST

Updated : Sep 22, 2022, 9:29 AM IST

कुल्लू: 26 सितंबर यानी सोमवार से शारदीय नवरात्रि का पर्व शुरू हो रहा (Shardiya Navratri 2022) है, जो 5 अक्टूबर तक चलेंगे. हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व होता है. नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि में हर दिन माता रानी के पूजन का खास महत्व होता है. मां भगवती के नौ रूपों की भक्ति करने से हर मनोकामना पूरी होती है. इन नौ दिनों में मां के पूजा पाठ का खास ख्याल रखा जाता है और उनको प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जाते हैं.

साल में चार बार आती है नवरात्री: हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू से ज्योतिषाचार्य दीप कुमार बताते हैं कि हिंदू धर्म के अनुसार नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है. चार बार का अर्थ यह है कि यह वर्ष के महत्वपूर्ण चार पवित्र माह में आते हैं. यह चार माह है माघ, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन. प्रत्येक माह की प्रतिपदा यानी एकम से नवमी तक का समय नवरात्रि का होता है. इसमें से चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को छोटी नवरात्रि कहते हैं. दरअसल, बड़ी नवरात्रि को बसंत नवरात्रि और छोटी नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं.

शारदीय नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व

अश्विन मास की नवरात्रि ज्यादा प्रचलित: ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि प्रथम संवत प्रारंभ होते ही बसंत नवरात्रि व दूसरा शरद नवरात्रि, जो कि आपस में 6 माह की दूरी पर है. भारत में आम जनता के बीच अश्विन मास की नवरात्रि ज्यादा प्रचलित है. इस दिन उत्सव का माहौल रहता है. लोग गरबा नृत्य करते हैं और कन्याओं को भोजन करवाते हैं. यह नवरात्रि दीपावली के पहले आती है. पितृपक्ष के 16 दिनों की समाप्ति के बाद आश्विन मास की नवरात्रि का प्रारंभ होता है.

3-3 माह के अंतर पर नवरात्रि: इसी नवरात्रि के प्रारंभ होने के साथ ही भारत में लगातार उत्सव और त्योहारों का प्रारंभ भी हो जाता है. आषाढ़ और माघ माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं. यह नवरात्रि साधना के लिए महत्वपूर्ण होती है. जिसमें कि आषाढ़ सुदी प्रतिपदा एकम से नवमी तक दूसरा पौष सुदी प्रतिपदा एकम से नवमी तक. ये दोनों नवरात्रि युक्त संगत है, क्योंकि ये दोनों नवरात्रि अयन के पूर्व संध्या संक्रांति के हैं. ये चारों नवरात्रि वर्ष में 3-3 माह की दूरी पर हैं.

गुप्त नवरात्रि में की जाती हैं तांत्रिक क्रियाएं: देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है. ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है. गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है. इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं. इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं.

Shardiya Navratri 2022
शारदीय नवरात्रि 2022 की तिथि.

गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां: गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते (Navratri Kalash Sthapana Time) हैं. कहा जाता है कि भगवान विष्णु शयन काल की अवधि के बीच होते हैं तब देव शक्तियां कमजोर होने लगती हैं. उस समय पृथ्वी पर रुद्र, वरुण, यम आदि का प्रकोप बढ़ने लगता है इन विपत्तियों से बचाव के लिए गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना की जाती है.

गुप्त नवरात्रि का महात्म्य: माघ और आषाढ़ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं, क्योंकि इसमें गुप्त रूप से शिव व शक्ति की उपासना की जाती है. जबकि चैत्र व शारदीय नवरात्रि में सार्वजनिक रूप में माता की भक्ति करने का विधान है. माघ मास की नवरात्रि में सनातन, वैदिक रीति के अनुसार देवी साधना करने का विधान निश्चित किया गया है. गुप्त नवरात्रि विशेष तौर पर गुप्त सिद्धियां पाने का समय है. साधक इन दोनों गुप्त नवरात्र (माघ और आषाढ़) में विशेष साधना करते हैं और चमत्कारिक शक्तियां प्राप्त करते हैं.

बच्चों का मुंडन करवाना शुभ: ज्योतिषाचार्य दीप कुमार का कहना है कि नवरात्रि में नौ दिन का व्रत रखने वालों को दाढ़ी-मूंछ और बाल नहीं कटवाने चाहिए. इस दौरान बच्चों का मुंडन करवाना शुभ होता है. वहीं, श्रद्धालु को नौ दिनों तक नाखून नहीं काटने चाहिए. इसके अलावा अगर आप नवरात्रि में कलश स्थापना कर रहे (Navratri Puja Vidhi) हैं. माता की चौकी का आयोजन कर रहे हैं या अखंड ज्योति‍ जला रहे हैं तो इन दिनों घर खाली छोड़कर नहीं जाएं. इस दौरान खाने में प्याज, लहसुन और नॉन वेज बिल्कुल न खाएं. नौ दिन का व्रत रखने वालों को काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए.

इन चीजों से करें परहेज: व्रत रखने वाले लोगों को बेल्ट, चप्पल-जूते, बैग जैसी चमड़े की चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. व्रत रखने वालों को नौ दिन तक नींबू नहीं काटना चाहिए. व्रत में नौ दिनों तक खाने में अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. खाने में कुट्टू का आटा, समारी के चावल, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना, सेंधा नमक, फल, आलू, मेवे, मूंगफली खा सकते हैं. विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि व्रत के समय दिन में सोने, तंबाकू चबाने और शारीरिक संबंध बनाने से भी व्रत का फल नहीं मिलता है.

ये भी पढ़ें: Shardiya Navratri 2022: नवरात्र में भूलकर भी ना करें ये गलतियां, जानें क्या करें क्या ना करें

कुल्लू: 26 सितंबर यानी सोमवार से शारदीय नवरात्रि का पर्व शुरू हो रहा (Shardiya Navratri 2022) है, जो 5 अक्टूबर तक चलेंगे. हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व होता है. नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि में हर दिन माता रानी के पूजन का खास महत्व होता है. मां भगवती के नौ रूपों की भक्ति करने से हर मनोकामना पूरी होती है. इन नौ दिनों में मां के पूजा पाठ का खास ख्याल रखा जाता है और उनको प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जाते हैं.

साल में चार बार आती है नवरात्री: हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू से ज्योतिषाचार्य दीप कुमार बताते हैं कि हिंदू धर्म के अनुसार नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है. चार बार का अर्थ यह है कि यह वर्ष के महत्वपूर्ण चार पवित्र माह में आते हैं. यह चार माह है माघ, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन. प्रत्येक माह की प्रतिपदा यानी एकम से नवमी तक का समय नवरात्रि का होता है. इसमें से चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को छोटी नवरात्रि कहते हैं. दरअसल, बड़ी नवरात्रि को बसंत नवरात्रि और छोटी नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं.

शारदीय नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व

अश्विन मास की नवरात्रि ज्यादा प्रचलित: ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि प्रथम संवत प्रारंभ होते ही बसंत नवरात्रि व दूसरा शरद नवरात्रि, जो कि आपस में 6 माह की दूरी पर है. भारत में आम जनता के बीच अश्विन मास की नवरात्रि ज्यादा प्रचलित है. इस दिन उत्सव का माहौल रहता है. लोग गरबा नृत्य करते हैं और कन्याओं को भोजन करवाते हैं. यह नवरात्रि दीपावली के पहले आती है. पितृपक्ष के 16 दिनों की समाप्ति के बाद आश्विन मास की नवरात्रि का प्रारंभ होता है.

3-3 माह के अंतर पर नवरात्रि: इसी नवरात्रि के प्रारंभ होने के साथ ही भारत में लगातार उत्सव और त्योहारों का प्रारंभ भी हो जाता है. आषाढ़ और माघ माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं. यह नवरात्रि साधना के लिए महत्वपूर्ण होती है. जिसमें कि आषाढ़ सुदी प्रतिपदा एकम से नवमी तक दूसरा पौष सुदी प्रतिपदा एकम से नवमी तक. ये दोनों नवरात्रि युक्त संगत है, क्योंकि ये दोनों नवरात्रि अयन के पूर्व संध्या संक्रांति के हैं. ये चारों नवरात्रि वर्ष में 3-3 माह की दूरी पर हैं.

गुप्त नवरात्रि में की जाती हैं तांत्रिक क्रियाएं: देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है. ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है. गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है. इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं. इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं.

Shardiya Navratri 2022
शारदीय नवरात्रि 2022 की तिथि.

गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां: गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते (Navratri Kalash Sthapana Time) हैं. कहा जाता है कि भगवान विष्णु शयन काल की अवधि के बीच होते हैं तब देव शक्तियां कमजोर होने लगती हैं. उस समय पृथ्वी पर रुद्र, वरुण, यम आदि का प्रकोप बढ़ने लगता है इन विपत्तियों से बचाव के लिए गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना की जाती है.

गुप्त नवरात्रि का महात्म्य: माघ और आषाढ़ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं, क्योंकि इसमें गुप्त रूप से शिव व शक्ति की उपासना की जाती है. जबकि चैत्र व शारदीय नवरात्रि में सार्वजनिक रूप में माता की भक्ति करने का विधान है. माघ मास की नवरात्रि में सनातन, वैदिक रीति के अनुसार देवी साधना करने का विधान निश्चित किया गया है. गुप्त नवरात्रि विशेष तौर पर गुप्त सिद्धियां पाने का समय है. साधक इन दोनों गुप्त नवरात्र (माघ और आषाढ़) में विशेष साधना करते हैं और चमत्कारिक शक्तियां प्राप्त करते हैं.

बच्चों का मुंडन करवाना शुभ: ज्योतिषाचार्य दीप कुमार का कहना है कि नवरात्रि में नौ दिन का व्रत रखने वालों को दाढ़ी-मूंछ और बाल नहीं कटवाने चाहिए. इस दौरान बच्चों का मुंडन करवाना शुभ होता है. वहीं, श्रद्धालु को नौ दिनों तक नाखून नहीं काटने चाहिए. इसके अलावा अगर आप नवरात्रि में कलश स्थापना कर रहे (Navratri Puja Vidhi) हैं. माता की चौकी का आयोजन कर रहे हैं या अखंड ज्योति‍ जला रहे हैं तो इन दिनों घर खाली छोड़कर नहीं जाएं. इस दौरान खाने में प्याज, लहसुन और नॉन वेज बिल्कुल न खाएं. नौ दिन का व्रत रखने वालों को काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए.

इन चीजों से करें परहेज: व्रत रखने वाले लोगों को बेल्ट, चप्पल-जूते, बैग जैसी चमड़े की चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. व्रत रखने वालों को नौ दिन तक नींबू नहीं काटना चाहिए. व्रत में नौ दिनों तक खाने में अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. खाने में कुट्टू का आटा, समारी के चावल, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना, सेंधा नमक, फल, आलू, मेवे, मूंगफली खा सकते हैं. विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि व्रत के समय दिन में सोने, तंबाकू चबाने और शारीरिक संबंध बनाने से भी व्रत का फल नहीं मिलता है.

ये भी पढ़ें: Shardiya Navratri 2022: नवरात्र में भूलकर भी ना करें ये गलतियां, जानें क्या करें क्या ना करें

Last Updated : Sep 22, 2022, 9:29 AM IST
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