लाहौल-स्पीति: हिमाचल प्रदेश में जहां इन दिनों तापमान में तेजी आई है तो वहीं, निचले इलाकों में भी गर्मी ने अपनी रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है. हिमाचल के ऊपरी इलाकों की बात करें तो यहां पर जिला कुल्लू में प्लम, नाशपाती, खुमानी के पेड़ फूलों से लद गए हैं तो वहीं, ऊपरी इलाकों में भी बर्फ पिघलने के क्रम में बदलाव हुआ है. इस माह बारिश या हिमपात नहीं हुआ है और दिन में तेज धूप लग रही है. दो सप्ताह से तापमान में अचानक वृद्धि हुई है. तापमान बढ़ने के साथ ही बर्फ भी तेजी से गायब हो रही है.
शीत मरुस्थल कहे जाने वाले लाहौल स्पीति में (Rapidly melting snow in Lahaul) अब की बार सूरज की गर्मी अधिक पड़ रही है. जिसका नतीजा यह हो रहा है कि मार्च माह में ही लोग अपने कृषि कार्यों में जुट गए हैं. हालांकि अप्रैल माह के अंत में लाहौल घाटी में कृषि कार्य शुरू होते थे और उसके लिए भी लोगों को अपने खेतों में मिट्टी डालकर बर्फ हटानी पढ़ती थी. लेकिन अब की बार मार्च माह में ही लाहौल की पहाड़ियां बर्फ से खाली हो रही हैं और अपने खेतों को कृषि कार्यों के लिए तैयार करते हुए नजर आ रहे हैं.
ऐसे में यह जलवायु परिवर्तन लाहौल के (Climate Change in Lahaul) लोगों के बीच भी असमंजस पैदा कर रहा है कि आखिर इस साल इतनी गर्मी क्यों हो रही है. घाटी में आमतौर पर अप्रैल तक टिकी रहने वाली बर्फ इस बार तापमान बढ़ने से समय से पहले ही पिघलने लगी है. घाटी का तापमान असामान्य रूप से बढ़ रहा है. मार्च लाहौल घाटी में सर्दी का महीना होता है जब न्यूनतम और अधिकतम तापमान क्रमश: शून्य से पांच और पांच डिग्री सेल्सियस से नीचे रहता है.
स्थानीय निवासियों की मानें तो उन्होंने इतनी तेज गति से बर्फ पिघलते हुए कभी नहीं देखी. जिला परिषद सदस्य एंव किसान कुंगा बौद्ध, इंद्रजीत, शमशेर और नवांग का कहना है कि हर साल फसलों की बिजाई के लिए खेतों में मिट्टी डालकर बर्फ हटाते थे, लेकिन इस बार समय से पहले ही बर्फ गायब होने लगी है. किसान नवांग ने कहा कि घाटी में जनवरी व फरवरी में लगातार (Lahaul climate change) हिमपात का क्रम चला है लेकिन 28 फरवरी के बाद घाटी में बर्फ के फाहे नहीं गिरे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि मार्च में हिमपात न होने से उनकी चिंता बढ़ गई है और फरवरी के बाद घाटी में बारिश न होने से किसान-बागवान चिंतित हैं.
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