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ये बच्चे हैं खतरों के खिलाड़ी! ऑनलाइन पढ़ाई के लिए नेटवर्क की खातिर चढ़ते हैं 'एवरेस्ट' - ऑनलाइन पढ़ाई

गाड़ापारली ग्राम पंचायत के मझाण गांव में मोबाइल का नेटवर्क नहीं आता. ऐसे में गांव के करीब 110 बच्चों को मोबाइल का नेटवर्क तलाश करने के लिए 4 से 5 किलोमीटर दूर पैदल चलकर खतरनाक पहाड़ी पर बैठ कर बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं. जहां पर हर समय बच्चों के गिरने की संभावना बनी रहती है.

people of  Gadaparli panchayat demanded mobile towers in the area
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Published : Aug 13, 2020, 3:15 PM IST

कुल्लूः प्रदेश में कोरोना महामारी के चलते बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है, लेकिन बच्चों को यह ऑनलाइन पढ़ाई अपनी जान को जोखिम में डाल कर करनी पड़ रही है. दरअसल गाड़ापारली ग्राम पंचायत के मझाण गांव में मोबाइल का नेटवर्क नहीं आता. ऐसे में गांव के करीब 110 बच्चों को मोबाइल का नेटवर्क तलाश करने के लिए 4 से 5 किलोमीटर दूर पैदल चलकर खतरनाक पहाड़ी पर बैठ कर पढ़ाई करनी पड़ती है. जहां पर हर समय बच्चों के गिरने की संभावना बनी रहती है.

वीडियो रिपोर्ट

अभिभावकों का कहना है कि बच्चों के साथ अगर किसी भी तरह का हादसा होता है, तो इसके लिए सरकार जिम्मेवार होगी. अभिभावक कुंज लाल, नोक सिंह, शादी लाल, जवाहर लाल, तेजा सिंह, शिवदयाल, अनिल कुमार, तीर्थ राम, रमेश चंद ने कहा कि गांव से सड़क 10 किलोमीटर दूर है.

अभिभावकों का कहना है कि सरकार एक मोबाइल टावर लगाती तो बच्चों को पढ़ाई के लिए भागदौड़ नहीं करनी पड़ती. उन्होंने कहा कि इस समस्या को कई बार सरकार व प्रशासन के समक्ष उठाया गया है, लेकिन उनकी समस्या की ओर अभी तक किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया है.

अभिभावकों ने मांग की है कि मझाण में मोबाइल टावर लगाकर जनता को राहत प्रदान की जाए. सैंज संघर्ष समिति के प्रधान महेश शर्मा ने कहा कि इस मामले को लेकर उपायुक्त कुल्लू व शिक्षा उपनिदेशक से मिलेंगे और ज्ञापन सौंपा जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार जल्द गाड़ापारली गांव के लिए मोबाइल टावर का प्रबंध करें, जिससे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई में कोई दिक्कत न आए.

वहीं, एसडीएम हेम चंद वर्मा ने कहा कि इस संबंध में बीएसएनएल व निजी कंपनी के अधिकारियों को मौके पर जाने के निर्देश दिए गए हैं.

कुल्लूः प्रदेश में कोरोना महामारी के चलते बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है, लेकिन बच्चों को यह ऑनलाइन पढ़ाई अपनी जान को जोखिम में डाल कर करनी पड़ रही है. दरअसल गाड़ापारली ग्राम पंचायत के मझाण गांव में मोबाइल का नेटवर्क नहीं आता. ऐसे में गांव के करीब 110 बच्चों को मोबाइल का नेटवर्क तलाश करने के लिए 4 से 5 किलोमीटर दूर पैदल चलकर खतरनाक पहाड़ी पर बैठ कर पढ़ाई करनी पड़ती है. जहां पर हर समय बच्चों के गिरने की संभावना बनी रहती है.

वीडियो रिपोर्ट

अभिभावकों का कहना है कि बच्चों के साथ अगर किसी भी तरह का हादसा होता है, तो इसके लिए सरकार जिम्मेवार होगी. अभिभावक कुंज लाल, नोक सिंह, शादी लाल, जवाहर लाल, तेजा सिंह, शिवदयाल, अनिल कुमार, तीर्थ राम, रमेश चंद ने कहा कि गांव से सड़क 10 किलोमीटर दूर है.

अभिभावकों का कहना है कि सरकार एक मोबाइल टावर लगाती तो बच्चों को पढ़ाई के लिए भागदौड़ नहीं करनी पड़ती. उन्होंने कहा कि इस समस्या को कई बार सरकार व प्रशासन के समक्ष उठाया गया है, लेकिन उनकी समस्या की ओर अभी तक किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया है.

अभिभावकों ने मांग की है कि मझाण में मोबाइल टावर लगाकर जनता को राहत प्रदान की जाए. सैंज संघर्ष समिति के प्रधान महेश शर्मा ने कहा कि इस मामले को लेकर उपायुक्त कुल्लू व शिक्षा उपनिदेशक से मिलेंगे और ज्ञापन सौंपा जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार जल्द गाड़ापारली गांव के लिए मोबाइल टावर का प्रबंध करें, जिससे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई में कोई दिक्कत न आए.

वहीं, एसडीएम हेम चंद वर्मा ने कहा कि इस संबंध में बीएसएनएल व निजी कंपनी के अधिकारियों को मौके पर जाने के निर्देश दिए गए हैं.

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