कुल्लूः जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार की तीर्थन घाटी के कई गांव अभी भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. वहीं, यहां पर प्रदेश सरकार की ओर से किए जा रहे विकास के दावों की भी पोल खुल रही है. तीर्थन घाटी के नोहंडा पंचायत के कई गांव अब भी सड़क नहीं होने से मुश्किलें झेल रहे हैं. कई बार मरीजों को पालकी में बैठाकर मुख्य सड़क तक पहुंचाना पड़ता है. ऐसे में मरीज को अस्पताल पहुंचाने में देरी हो जाती है. जो मरीज पर भारी पड़ सकती है.
तीर्थन घाटी की नोहंडा पंचायत के नाही गांव में बीती शाम एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा के बाद ग्रामीणों ने पालकी में डालकर पहले 3 किलोमीटर पैदल चल कर मुख्य सड़क तक पहुंचाया. उसके बाद उसे बंजार अस्पताल भेजा गया.
गनीमत रही कि मौसम साफ था.मौसम खराब होने से गर्भवती महिला समेत परिजनों की मुसीबतें और बढ़ सकती थी. ग्राम पंचायत नोहण्डा कहने को तो विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क का प्रवेश द्वार है. जहां पर जैविक विविधता का अनमोल खजाना छिपा पड़ा है, लेकिन इस क्षेत्र के सैंकड़ों बाशिंदे आजतक आजादी के सात दशक बाद भी विकास से दूर है.
पंचायत के गांव दारन, शूंगचा, घाट, लाकचा, नाहीं, शालींगा, टलींगा, डींगचा, खरुंगचा और झनियार गांव के सैंकड़ों लोग अभी तक सरकार व प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कब तक उनकी दहलीज तक भी सड़क पहुंच जाए. लोगों का कहना है कि पंचायत में सड़क, पीने के पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा की मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही है.
यहां के लोग अभी तक अपनी पीठ पर बोझ ढोने को मजबूर है. यही नहीं जब गांव में कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाए तो मरीज को दुर्गम पहाड़ी के रास्तों से लकड़ी की पालकी में उठा कर सड़क तक पहुंचाना पड़ता है. इस क्षेत्र से पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को हाई स्कूल व इससे आगे की पढ़ाई करने के लिए प्रतिदिन करीब दो से पांच घंटे तक का सफर पैदल तय करना होता है.
नाहीं गांव के लोगों का कहना है कि यहां के स्कूलों में भी शिक्षा के स्तर को बेहतर किए जाने की जरुरत है. लोगों ने सरकार व प्रशासन से बुनियादी सुविधाएं दिए जाने की मांग की है.
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