ETV Bharat / city

कुल्लू के पंकी सूद जो कभी खुद थे नशे का शिकार, आज बने युवाओं के मददगार

कुल्लू का पंकी सूद (Panki Sood of Kullu) आज 300 से अधिक युवाओं को नशे से मुक्ति (drugs addicted youth in himachal) दिलाने में मदद कर चुके हैं. इसके अलावा पर्यटन के क्षेत्र में भी स्थानीय युवाओं को जोड़ने का काम कर रहे हैं. पंकी सूद का कहना हैं कि किशोरावस्था में मौज-मस्ती करते हुए कब वे नशे के आदी बन गए, उन्हें इस बात का पता ही नहीं चला. अपने जीवन के अनमोल आठ साल नशे के गर्त में स्वाह कर दिए. पंकी कहते हैं कि नशे की खातिर जिस हालात से वे गुजरे हैं, कोई दूसरा युवा न गुजरे, उनके जीवन का मिशन है.

panki-sood of kullu.
पंकी सूद.
author img

By

Published : Dec 2, 2021, 2:00 PM IST

Updated : Dec 2, 2021, 3:19 PM IST

कुल्लू: देश में लगातार बढ़ रहे नशे के जाल से आज जहां सरकारें चिंतित हो रही हैं तो वहीं, अभिभावकों की चिंता भी लगातार बढ़ रही है कि आखिर कब नशा उनके नौनिहालों को अपनी चपेट में ले लेगा. सरकारें भी नशे जैसी बुराइयों को खत्म करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, उसके बाद भी आए दिन कई तरह के नशों के जाल में आज का युवा फंसता जा रहा है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में एक ऐसा व्यक्ति भी है जो पहले कभी खुद नशे का शिकार था और अब युवाओं को नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित कर रहा है.

कुल्लू के पंकी सूद (Kullu Panki Sood ) आज 300 से अधिक युवाओं को नशे से मुक्ति दिला चुके हैं. इसके अलावा पर्यटन के क्षेत्र में भी स्थानीय युवाओं को जोड़ने का काम कर रहे हैं. पंकी सूद का कहना है कि यह नब्बे के दशक की बात है. उन दिनों सिंथेटिक ड्रग्स कोकीन, एलएसडी, किटमिन, हेरोइन, मैथ आदि भारत में आए ही थे. किशोरावस्था में मौज-मस्ती करते हुए कब इन घातक नशे का आदी बन गया, उन्हें इस बात का पता ही नहीं चला. अपने जीवन के अनमोल आठ साल (drugs addicted youth in himachal) नशे के गर्त में स्वाह कर दिए.

दरअसल, हिमालयन नेशनल पार्क (Himalayan National Park) के आसपास तीर्थन वैली, पार्वती वैली, कसौल और मलाना जैसी हसीन वादियां हैं, जहां बहुत से इजरायली व अन्य युवा ड्रग्स के इस्तेमाल के लिए खींचे चले आते हैं. ऐसे ही नशेड़ी विदेशी सैलानियों के संपर्क में आकर पंकी सूद नशे का आदि बन गए और रोज उन्हें नया नशा करना अच्छा लगने लगा.

परिवार ने पंकी की नशे की लत छुड़वाने की हर कोशिश करके देख ली. परिवार वालों ने सोचा कि बेटे की शादी हो जाएगी और सिर पर जिम्मेदारी आएगी तो वह नशा छोड़ देगा. पंकी की शादी कर दी गई. वे एक बच्चे के पिता भी बन गए, लेकिन नशे की लत नहीं छूटी.

पंकी सूद अपने स्याह दिन को याद करते हुए कहते हैं कि नशे की लत पूरी करने के लिए वे कुछ भी कर सकते थे. यहां तक की चोरी भी की. वे अपने नवजात बच्चे को ढाल बनाकर भी अपनी तलब को पूरा कर लेते थे. उसकी सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो चुकी थी. ऐसे में एक दिन नवजात बच्चे के जीवन को कड़ाके की ठंड के दांव पर लगा कर वह नशा करने निकल गया. इसके बाद परिजनों ने तय किया कि किसी भी सूरत में उन्हें नशे के अंधेरे से बाहर निकालना है.

पंकी के परिजन उन्हें नशे के दलदल से निकालने के लिए दिल्ली के एक नशा मुक्ति केंद्र (how to quit drugs) में ले गए. 6 माह तक उस केंद्र रहे पंकी को उनके काउंसलर ने बहुत समझाया. पंकी अब स्वयं भी नशे के इस जंजाल से बाहर निकलना चाहते थे. धीरे-धीरे वह सामान्य होने लगे. उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से अपनी नशे की लत पर काबू पाया.

पंकी सूद ने बताया कि सब बहुत मुश्किल तो था, लेकिन नामुमकिन नहीं था. नशा मुक्ति केंद्र से लौटकर उन्हें यह बात समझ आई कि जो युवा नशे की गिरफ्त में आ जाते हैं, उनसे नफरत कर उन्हें उनके हाल पर छोड़ देना आसान है, लेकिन इससे नशे की समस्या तो हल नहीं हो सकती. यहीं से उन्होंने ऐसे युवाओं के लिए काम करने की पहल की.

पंकी बताते हैं कि नशे की जड़ें पहाड़ के समाज में बहुत गहराई तक फैल चुकी हैं. बच्चे स्कूल जाने की उम्र में ही इस बुराई के शिकार हो रहे हैं. उन्हें इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताना जरूरी है. अब वे और उनकी पत्नी कुल्लू और आसपास के इलाकों के स्कूलों में जाकर बच्चों के बीच अवेयरनेस प्रोग्राम (himachal drug addiction Awareness) चलाते हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल भाजपा महा जनसंपर्क अभियान: कार्यकर्ता घर-घर जाकर बताएंगे उपलब्धियां

अब लोग खुल कर इस विषय पर बात करने लगे और जरूरत पड़ने पर मदद मांगने के लिए आगे भी आने लगे हैं. पंकी सूद व उनकी पत्नी नशे की चपेट में आए युवाओं को नशे से मुक्त करने के लिए 300 से ज्यादा परिवारों की मदद कर चुके हैं. पंकी कई बड़े मंच टेड टॉक्स जैसे प्लेटफॉर्म पर जाकर भी युवाओं से संवाद करते हैं.

पंकी को नशा छोड़ फिर से जीवन की नई शुरूआत करने में परिजनों के अलावा और कई लोगों का सहयोग मिला है. उस समय नेहरू युवा केंद्र के मुख्य अधिकारी योगेन्द्र चौधरी ने उन्हें प्रोत्साहित किया, जिससे उन्हें नया जीवन शुरू करने की हिम्मत मिली. पंकी कहते हैं कि नशे के खिलाफ उनकी (say no to drugs campaign) मुहिम में कुल्लू पुलिस का पूरा सहयोग रहा है. पंकी कहते हैं कि नशे की खातिर जिस हालात से वे गुजरे हैं, कोई दूसरा युवा न गुजरे, उनके जीवन का मिशन है.

गौर रहे कि पंकी सूद कुल्लू के हिमालय नेशनल पार्क की तीर्थन घाटी के युवा पर्यटन कारोबारी हैं. वे तीर्थन नदी के किनारे एक स्टे होम व एक कॉटेज चलाते हैं. हिमाचल प्रदेश के आर्किटेक्चर के अनुसार बनाए गए इस कॉटेज में सैलानियों को हिमाचल की समृद्व लोक संस्कृति को करीब से जानने का अवसर मिलता है. पंकी सूंद एडवेंचर ट्रेकिंग में माहिर हैं और पर्यटकों को हिमालय की दुर्गम चोटियों पर ट्रेकिंग और कैम्पिंग करवाते हैं.

पंकी सूद ने खुद नशे के अंधकार से निकल कर न केवल पर्यटन के अनूठे मॉडल की पहल की, बल्कि नशे की गिरफ्त में आ चुके घाटी के सैकड़ों युवाओं के लिए मसीहा बन कर काम कर रहे हैं. वे नशे के आदी युवाओं की काउंसलिंग से लेकर उन्हें नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करवाने में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल हाईकोर्ट ने केंद्र से पूछा, क्या फैमिली कोर्ट्स कानून के प्रावधान में हैं या नहीं ? स्पष्ट करें

कुल्लू: देश में लगातार बढ़ रहे नशे के जाल से आज जहां सरकारें चिंतित हो रही हैं तो वहीं, अभिभावकों की चिंता भी लगातार बढ़ रही है कि आखिर कब नशा उनके नौनिहालों को अपनी चपेट में ले लेगा. सरकारें भी नशे जैसी बुराइयों को खत्म करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, उसके बाद भी आए दिन कई तरह के नशों के जाल में आज का युवा फंसता जा रहा है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में एक ऐसा व्यक्ति भी है जो पहले कभी खुद नशे का शिकार था और अब युवाओं को नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित कर रहा है.

कुल्लू के पंकी सूद (Kullu Panki Sood ) आज 300 से अधिक युवाओं को नशे से मुक्ति दिला चुके हैं. इसके अलावा पर्यटन के क्षेत्र में भी स्थानीय युवाओं को जोड़ने का काम कर रहे हैं. पंकी सूद का कहना है कि यह नब्बे के दशक की बात है. उन दिनों सिंथेटिक ड्रग्स कोकीन, एलएसडी, किटमिन, हेरोइन, मैथ आदि भारत में आए ही थे. किशोरावस्था में मौज-मस्ती करते हुए कब इन घातक नशे का आदी बन गया, उन्हें इस बात का पता ही नहीं चला. अपने जीवन के अनमोल आठ साल (drugs addicted youth in himachal) नशे के गर्त में स्वाह कर दिए.

दरअसल, हिमालयन नेशनल पार्क (Himalayan National Park) के आसपास तीर्थन वैली, पार्वती वैली, कसौल और मलाना जैसी हसीन वादियां हैं, जहां बहुत से इजरायली व अन्य युवा ड्रग्स के इस्तेमाल के लिए खींचे चले आते हैं. ऐसे ही नशेड़ी विदेशी सैलानियों के संपर्क में आकर पंकी सूद नशे का आदि बन गए और रोज उन्हें नया नशा करना अच्छा लगने लगा.

परिवार ने पंकी की नशे की लत छुड़वाने की हर कोशिश करके देख ली. परिवार वालों ने सोचा कि बेटे की शादी हो जाएगी और सिर पर जिम्मेदारी आएगी तो वह नशा छोड़ देगा. पंकी की शादी कर दी गई. वे एक बच्चे के पिता भी बन गए, लेकिन नशे की लत नहीं छूटी.

पंकी सूद अपने स्याह दिन को याद करते हुए कहते हैं कि नशे की लत पूरी करने के लिए वे कुछ भी कर सकते थे. यहां तक की चोरी भी की. वे अपने नवजात बच्चे को ढाल बनाकर भी अपनी तलब को पूरा कर लेते थे. उसकी सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो चुकी थी. ऐसे में एक दिन नवजात बच्चे के जीवन को कड़ाके की ठंड के दांव पर लगा कर वह नशा करने निकल गया. इसके बाद परिजनों ने तय किया कि किसी भी सूरत में उन्हें नशे के अंधेरे से बाहर निकालना है.

पंकी के परिजन उन्हें नशे के दलदल से निकालने के लिए दिल्ली के एक नशा मुक्ति केंद्र (how to quit drugs) में ले गए. 6 माह तक उस केंद्र रहे पंकी को उनके काउंसलर ने बहुत समझाया. पंकी अब स्वयं भी नशे के इस जंजाल से बाहर निकलना चाहते थे. धीरे-धीरे वह सामान्य होने लगे. उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से अपनी नशे की लत पर काबू पाया.

पंकी सूद ने बताया कि सब बहुत मुश्किल तो था, लेकिन नामुमकिन नहीं था. नशा मुक्ति केंद्र से लौटकर उन्हें यह बात समझ आई कि जो युवा नशे की गिरफ्त में आ जाते हैं, उनसे नफरत कर उन्हें उनके हाल पर छोड़ देना आसान है, लेकिन इससे नशे की समस्या तो हल नहीं हो सकती. यहीं से उन्होंने ऐसे युवाओं के लिए काम करने की पहल की.

पंकी बताते हैं कि नशे की जड़ें पहाड़ के समाज में बहुत गहराई तक फैल चुकी हैं. बच्चे स्कूल जाने की उम्र में ही इस बुराई के शिकार हो रहे हैं. उन्हें इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताना जरूरी है. अब वे और उनकी पत्नी कुल्लू और आसपास के इलाकों के स्कूलों में जाकर बच्चों के बीच अवेयरनेस प्रोग्राम (himachal drug addiction Awareness) चलाते हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल भाजपा महा जनसंपर्क अभियान: कार्यकर्ता घर-घर जाकर बताएंगे उपलब्धियां

अब लोग खुल कर इस विषय पर बात करने लगे और जरूरत पड़ने पर मदद मांगने के लिए आगे भी आने लगे हैं. पंकी सूद व उनकी पत्नी नशे की चपेट में आए युवाओं को नशे से मुक्त करने के लिए 300 से ज्यादा परिवारों की मदद कर चुके हैं. पंकी कई बड़े मंच टेड टॉक्स जैसे प्लेटफॉर्म पर जाकर भी युवाओं से संवाद करते हैं.

पंकी को नशा छोड़ फिर से जीवन की नई शुरूआत करने में परिजनों के अलावा और कई लोगों का सहयोग मिला है. उस समय नेहरू युवा केंद्र के मुख्य अधिकारी योगेन्द्र चौधरी ने उन्हें प्रोत्साहित किया, जिससे उन्हें नया जीवन शुरू करने की हिम्मत मिली. पंकी कहते हैं कि नशे के खिलाफ उनकी (say no to drugs campaign) मुहिम में कुल्लू पुलिस का पूरा सहयोग रहा है. पंकी कहते हैं कि नशे की खातिर जिस हालात से वे गुजरे हैं, कोई दूसरा युवा न गुजरे, उनके जीवन का मिशन है.

गौर रहे कि पंकी सूद कुल्लू के हिमालय नेशनल पार्क की तीर्थन घाटी के युवा पर्यटन कारोबारी हैं. वे तीर्थन नदी के किनारे एक स्टे होम व एक कॉटेज चलाते हैं. हिमाचल प्रदेश के आर्किटेक्चर के अनुसार बनाए गए इस कॉटेज में सैलानियों को हिमाचल की समृद्व लोक संस्कृति को करीब से जानने का अवसर मिलता है. पंकी सूंद एडवेंचर ट्रेकिंग में माहिर हैं और पर्यटकों को हिमालय की दुर्गम चोटियों पर ट्रेकिंग और कैम्पिंग करवाते हैं.

पंकी सूद ने खुद नशे के अंधकार से निकल कर न केवल पर्यटन के अनूठे मॉडल की पहल की, बल्कि नशे की गिरफ्त में आ चुके घाटी के सैकड़ों युवाओं के लिए मसीहा बन कर काम कर रहे हैं. वे नशे के आदी युवाओं की काउंसलिंग से लेकर उन्हें नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करवाने में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल हाईकोर्ट ने केंद्र से पूछा, क्या फैमिली कोर्ट्स कानून के प्रावधान में हैं या नहीं ? स्पष्ट करें

Last Updated : Dec 2, 2021, 3:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.