कुल्लू: देश में रक्षाबंधन का त्योहार जहां धूमधाम के साथ मनाया जाता है तो वहीं, बहनें भी अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनसे रक्षा का वचन लेती हैं. लेकिन जिला कुल्लू के पर्यटन नगरी मनाली में एक ऐसी पर्यावरणविद भी हैं जो पेड़ों को भाई मानकर राखी बांधती हैं और पेड़ों की रक्षा करने का भी संकल्प लेती हैं. आज पर्यावरणविद कल्पना ठाकुर हिमालय क्षेत्र को भी हरा-भरा बनाने के अभियान में जुटी हुई हैं और लाहौल-स्पीति, किन्नौर में 15000 फलदार पेड़ों का लक्ष्य लेकर भी उसे पूरा करने में जुटी हुई हैं.
कल्पना ठाकुर 3 साल की उम्र से पेड़ों को राखी बांध (Kalpana ties rakhi to trees) रही है और पिछले 14 साल से पेड़ों को राखी बांधकर उनका रक्षा कवच बनी हुई है. 17 साल की कल्पना ठाकुर ने तीन साल की उम्र में पेड़ को राखी बांध भाई बनाकर दुनिया को पर्यावरण संरक्षण का सराहनीय संदेश दिया था. 17 वर्षीय कल्पना अपने पिता राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता किशन ठाकुर के नक्शे कदम पर चल रही है. कल्पना अपने पिता किशन के साथ रहकर तीन साल से पेड़ पौधों के महत्व को समझने लगी थी. तब से पौधे लगाकर उनके संरक्षण का समाज को संदेश दे रही हैं.
आज भी कल्पना रक्षाबंधन पर पेड़ को राखी बांधती है व अपने पिता किशन के साथ मिलकर अलेउ के जंगल में देवदार के पेड़ लगाने का काम करती है. 17 साल की कल्पना पर्यावरण संरक्षण के साथ ही लोगों को जागरूक करने के काम में भी जुटी रहती हैं. कल्पना हर साल उस पेड़ को रक्षाबंधन पर राखी बांधती है जिसे उसने 3 साल की उम्र में पहले भाई बनाया था. कल्पना ने कहा (World Environment Day) की लोग अधिक से अधिक पेड़ लगाने को आगे आएं और वन विभाग द्वारा चिन्हित स्थान बाड़बंदी के बाद ही पौधे लगाएं. ताकि इनका संरक्षण भी आसानी से हो सके.
कल्पना ने कहा उनका कोई भाई नहीं है. पिता की मदद से तीन साल (Kalpana ties rakhi to trees) से पेड़ को भाई मानना शुरू किया. कल्पना का कहना है कि वह पढ़ाई पूरी कर भारतीय सेना में जाना चाहती हैं और देश सेवा करना चाहती हैं. वहीं, कल्पना को पर्यावरण एवं वन्य प्राणी सुरक्षा समिति सहित मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट एंड फॉरेस्ट्री सहित ठाकुर वेदराम मैमोरियल सोसायटी, हिम उत्कर्ष साहित्य अकादमी, सुर संगम कला अकादमी, भुटि्टको कुल्लू सम्मानित कर चुके हैं.
कल्पना के पिता किशन लाल का कहना है उनकी बेटी को बचपन से ही पेड़-पौधों से काफी लगाव है और वह उनके साथ मिलकर हर काम करती है. उन्होंने बताया कि कल्पना अब हिमालय क्षेत्र को भी हरा-भरा करने का प्रयास कर रही है और स्थानीय लोग भी इसमें उनकी मदद कर रहे हैं. वह हिमालय के क्षेत्रों में गुठली धार फलों के पेड़ों को लगा रहे हैं.