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तंबुओं के नीचे होता है 150 करोड़ का कारोबार, 22 सालों से नहीं बदली सब्जी मंडी की दशा

कुल्लू के बंदरोल में साल 1998 से सब्जी मंडी तंबुओं के सहारे चल रही है. इस सब्जी मंडी में हर साल करीब 150 करोड़ का कारोबार होता है फिर भी इस सब्जी मंडी का स्थाई निर्माण नहीं करवाया जा रहा है.

Bandrol vegetable market
बंदरोल सब्जी मंडी
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Published : Jul 3, 2020, 2:26 PM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू के बंदरोल सब्जी मंडी में हर साल फल और सब्जियों का करीब 150 करोड़ का कारोबार होता है फिर भी इस सब्जी मंडी में कोई सुधार नहीं है. सालों से सब्जी मंडी को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की बातें की जा रही हैं, लेकिन धरातल पर कुछ काम नहीं हो रहा.

जाहिर है कि इस बार भी यह सब्जी मंडी तिरपाल के तंबुओं से सज रही है. इस बार करोड़ों का कारोबार एक बार फिर से तंबू के नीचे शुरू होगा. बंदरोल सब्जी मंडी साल 1998 में शुरू हुई थी, लेकिन सुविधाओं के नाम पर राजनेताओं ने सिर्फ आश्वासन और औपचारिकता की है. सब्जी मंडी में आधुनिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए 10 साल पहले जमीन एपीएमसी को स्थानांतरित हो चुकी है लेकिन इन 10 सालों में अभी तक स्ट्रक्चर के नाम पर तिरपाल लगाके तंबुओं के सहारे अस्थाई सब्जी मंडी बनाई गई है.

वीडियो

मंडी को आधुनिक बनाने के लिए कुछ सालों में डीपीआर बनाने का काम चल रहा है, लेकिन हकीकत ये है कि अभी तक डीपीआर नहीं बन पाई है. ऐसे में घाटी के किसानों को सालों से यहां आधुनिक सुविधाएं मुहैया करवाने का आश्वासन दिया जा रहा है. एक हेक्टेयर जमीन में फैली इस सब्जी मंडी को लेकर किसानों के लिए साल 1998 से ही दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन सब्जी मंडी शुरू होने के 12 साल बाद भी कुछ नहीं किया गया है. इतने सालों तक पहले ही तंबू में कारोबार होता रहा और जमीन के स्थानांतरित होने के बाद भी किसानों को कोई सुविधा नहीं मिल पाई.

एपीएमसी कुल्लू के सचिव सुशील गुलेरिया ने कहा कि सब्जी मंडी में सुविधाएं देने को लेकर डीपीआर तैयार की जा रही है. एफसीए के लिए भी आवेदन किया जा रहा है. इस सब्जी मंडी में सुविधाएं देने के लिए वर्ल्ड बैंक से भी बजट का प्रावधान किया जा रहा है. फिलहाल इसके लिए 10 करोड़ टोकन मनी के रूप में रखा गया है. बंदरोल सब्जी मंडी एक ऐसी सब्जी मंडी है जहां हर साल 150 करोड़ तक का कारोबार होता है. एपीएमसी को भी हर साल एक से डेढ़ करोड़ की कमीशन मिल रही है, लेकिन एपीएमसी इतने सालों से सिर्फ कमीशन लेने वाला ही बना रहा और सब्जी मंडी की दशा को सुधारने के लिए कोई प्रयास नहीं किया.

ये भी पढ़ें: खाद्य सुरक्षा विभाग ने बढ़ाई सतर्कता, जांच के लिए सोलन-बद्दी से भरे दूध-चिकन के 11 सैंपल

कुल्लू: जिला कुल्लू के बंदरोल सब्जी मंडी में हर साल फल और सब्जियों का करीब 150 करोड़ का कारोबार होता है फिर भी इस सब्जी मंडी में कोई सुधार नहीं है. सालों से सब्जी मंडी को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की बातें की जा रही हैं, लेकिन धरातल पर कुछ काम नहीं हो रहा.

जाहिर है कि इस बार भी यह सब्जी मंडी तिरपाल के तंबुओं से सज रही है. इस बार करोड़ों का कारोबार एक बार फिर से तंबू के नीचे शुरू होगा. बंदरोल सब्जी मंडी साल 1998 में शुरू हुई थी, लेकिन सुविधाओं के नाम पर राजनेताओं ने सिर्फ आश्वासन और औपचारिकता की है. सब्जी मंडी में आधुनिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए 10 साल पहले जमीन एपीएमसी को स्थानांतरित हो चुकी है लेकिन इन 10 सालों में अभी तक स्ट्रक्चर के नाम पर तिरपाल लगाके तंबुओं के सहारे अस्थाई सब्जी मंडी बनाई गई है.

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मंडी को आधुनिक बनाने के लिए कुछ सालों में डीपीआर बनाने का काम चल रहा है, लेकिन हकीकत ये है कि अभी तक डीपीआर नहीं बन पाई है. ऐसे में घाटी के किसानों को सालों से यहां आधुनिक सुविधाएं मुहैया करवाने का आश्वासन दिया जा रहा है. एक हेक्टेयर जमीन में फैली इस सब्जी मंडी को लेकर किसानों के लिए साल 1998 से ही दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन सब्जी मंडी शुरू होने के 12 साल बाद भी कुछ नहीं किया गया है. इतने सालों तक पहले ही तंबू में कारोबार होता रहा और जमीन के स्थानांतरित होने के बाद भी किसानों को कोई सुविधा नहीं मिल पाई.

एपीएमसी कुल्लू के सचिव सुशील गुलेरिया ने कहा कि सब्जी मंडी में सुविधाएं देने को लेकर डीपीआर तैयार की जा रही है. एफसीए के लिए भी आवेदन किया जा रहा है. इस सब्जी मंडी में सुविधाएं देने के लिए वर्ल्ड बैंक से भी बजट का प्रावधान किया जा रहा है. फिलहाल इसके लिए 10 करोड़ टोकन मनी के रूप में रखा गया है. बंदरोल सब्जी मंडी एक ऐसी सब्जी मंडी है जहां हर साल 150 करोड़ तक का कारोबार होता है. एपीएमसी को भी हर साल एक से डेढ़ करोड़ की कमीशन मिल रही है, लेकिन एपीएमसी इतने सालों से सिर्फ कमीशन लेने वाला ही बना रहा और सब्जी मंडी की दशा को सुधारने के लिए कोई प्रयास नहीं किया.

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