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मकर संक्रांति 2022: कुल्लू में धूमधाम से मनाया गया मकर संक्रांति का त्योहार

कुल्लू में मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया (Makar Sankranti 2022) गया. वहीं, एक माह के बाद जिला कुल्लू में अधिकतर देवी-देवताओं के मंदिर भी खोल दिए गए हैं. ऐसी मान्यता है कि पौष माह में जिला कुल्लू के सभी देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर चले जाते हैं और माघ मास संक्रांति पर वापस धरती पर (makar sankranti celebration in kullu) लौटते हैं.

makar sankranti celebration in kullu
मकर संक्रांति 2022
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Published : Jan 14, 2022, 2:24 PM IST

कुल्लू: जिले में मकर संक्रांति का त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया (Makar Sankranti 2022) गया. मकर सक्रांति के शुभ अवसर पर जहां कई पवित्र संगम स्थलों पर लोगों ने पवित्र स्नान (makar sankranti celebrated in kullu) किया. करीब एक माह के बाद जिला कुल्लू के अधिकतर देवी-देवताओं के मंदिर भी खोल दिए गए हैं. मान्यता है कि पौष माह में जिला कुल्लू के सभी देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर चले जाते हैं और माघ मास संक्रांति पर वापस धरती पर आते हैं.

मकर संक्रांति पर जगह-जगह श्रद्धालुओं ने जहां अपने इष्ट देवी-देवताओं के दर्शन किए, तो वहीं गुर के माध्यम से देवी-देवताओं ने भविष्यवाणियां भी की. शुक्रवार की सुबह होते ही घाटी घी और खिचड़ी की खुशबू से महक उठी. बाह्य सराज आनी, बंजार की तीन कोठी, तीर्थन तथा सैंज आदि में मकर संक्रांति को धूमधाम से मनाया गया. ग्रामीण रमेश कुमार, राजेश कुमार, भारत भूषण ने कहा कि घाटी में मकर संक्रांति उत्सव को पारंपरिक तरीके से मनाया गया और मेहमानों को खिचड़ी (makar sankranti celebrated in hp) खिलाई गई.

वहीं, पौष संक्रांति पर स्वर्ग प्रवास पर गए, जिला के सैकड़ों देवी-देवता माघ संक्रांति को देवालय वापस लौट आए. कई देवता फाल्गुन व कुछ शिवरात्रि के दिन दर्शन देंगे, लेकिन अधिकतर देवी-देवताओं के कपाट मकर संक्रांति को खुल गए हैं. देव परंपरा के अनुसार मकर संक्रांति की सुबह वाद्ययंत्रों की थाप के साथ पूजा-अर्चना की गई और देवता के गुर भविष्यवाणी के माध्यम से श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते रहे.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में कोरोना से 6 माह के मासूम की मौत, एक दिन में आए 1700 से ज्यादा मामले

कुल्लू: जिले में मकर संक्रांति का त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया (Makar Sankranti 2022) गया. मकर सक्रांति के शुभ अवसर पर जहां कई पवित्र संगम स्थलों पर लोगों ने पवित्र स्नान (makar sankranti celebrated in kullu) किया. करीब एक माह के बाद जिला कुल्लू के अधिकतर देवी-देवताओं के मंदिर भी खोल दिए गए हैं. मान्यता है कि पौष माह में जिला कुल्लू के सभी देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर चले जाते हैं और माघ मास संक्रांति पर वापस धरती पर आते हैं.

मकर संक्रांति पर जगह-जगह श्रद्धालुओं ने जहां अपने इष्ट देवी-देवताओं के दर्शन किए, तो वहीं गुर के माध्यम से देवी-देवताओं ने भविष्यवाणियां भी की. शुक्रवार की सुबह होते ही घाटी घी और खिचड़ी की खुशबू से महक उठी. बाह्य सराज आनी, बंजार की तीन कोठी, तीर्थन तथा सैंज आदि में मकर संक्रांति को धूमधाम से मनाया गया. ग्रामीण रमेश कुमार, राजेश कुमार, भारत भूषण ने कहा कि घाटी में मकर संक्रांति उत्सव को पारंपरिक तरीके से मनाया गया और मेहमानों को खिचड़ी (makar sankranti celebrated in hp) खिलाई गई.

वहीं, पौष संक्रांति पर स्वर्ग प्रवास पर गए, जिला के सैकड़ों देवी-देवता माघ संक्रांति को देवालय वापस लौट आए. कई देवता फाल्गुन व कुछ शिवरात्रि के दिन दर्शन देंगे, लेकिन अधिकतर देवी-देवताओं के कपाट मकर संक्रांति को खुल गए हैं. देव परंपरा के अनुसार मकर संक्रांति की सुबह वाद्ययंत्रों की थाप के साथ पूजा-अर्चना की गई और देवता के गुर भविष्यवाणी के माध्यम से श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते रहे.

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