कुल्लू: मुझे ना तो 35 सालों से मेरा हिस्सा दिया जा रहा है और ना ही अल्पसंख्यक आयोग के द्वारा दिए गए आदेशों की पालना की जा रही है. ये बात जिला में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान स्थानीय निवासी परविंदर सिंह ने कही.
स्थानीय निवासी परविंदर सिंह ने कहा कि नगर परिषद द्वारा मुझ से कुछ दस्तावेजों पर जबरदस्ती साइन करवाए गए हैं, जिसे मैं नहीं मानता हूं. उन्होंने कहा कि एक बार फिर से अल्पसंख्यक आयोग द्वारा बुधवार को डीसी कुल्लू के बाद नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी को तलब होने के लिए कहा गया है और मैं भी इस दौरान दिल्ली में मौजूद रहूंगा.
परविंदर सिंह ने बताया कि 1984 के दंगों में ढालपुर के मुख्य बाजार में उनकी दुकान को भी नुकसान पहुंचा था और उनके पिताजी ने 1964 को लीज पर नगर परिषद कुल्लू से ये जमीन का टुकड़ा लिया था. ऐसे में दंगों के बाद जब उन्होंने अपनी जमीन को वापस लेना चाहा तो नगर परिषद ने उन्हें आश्वासन दिया कि यहां पर कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है और उन्हें उनकी जमीन वापस दी जाएगी, लेकिन आज तक जमीन नहीं दी गई.
परविंदर सिंह ने बताया कि बीते साल भी नगर परिषद कुल्लू के कार्यकारी अधिकारी व डीसी कुल्लू को अल्पसंख्यक आयोग के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया था. जिसमें उन्होंने आयोग के समक्ष अपना बयान पेश किया था कि उन्हें 90 दिन के भीतर जमीन उपलब्ध करवाई जाएगी. नगर परिषद उन्हें इधर-उधर की जमीन दिखा रही है, जबकि कानून के अनुसार उन्हें वहीं भूमि मिलनी चाहिए जो उनके नाम पर नगर परिषद में लीज पर दी गई है.
स्थानीय निवासी परविंदर सिंह ने कहा कि बीते शाम भी नगर परिषद के कार्यालय में उन्हें बुलाया गया और कुछ दस्तावेजों पर उनके हस्ताक्षर लिए गए, जिसमें लिखा गया था कि वे अब दोबारा आयोग में नहीं जाएंगे और ना ही किसी प्रकार के मुआवजे की मांग करेंगे, जो पूरी तरह से गलत है. उन्होंने कहा कि इस बारे भी अल्पसंख्यक आयोग को सूचित कर दिया गया है और वो एक बार फिर से नगर परिषद कुल्लू से मांग करते हैं कि उन्हें उनकी जमीन जल्द से जल्द दिलाई जाए.