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Kullu Dussehra: भगवान रघुनाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा से होगा दशहरा पर्व का आगाज - देवमहाकुंभ

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में दशहरा सबसे अलग और अनोखे अंदाज में मनाया जाता है. यहां इस त्योहार को दशमी कहते हैं. जब पूरे भारत में विजयादशमी की समाप्ति होती है. उस दिन से कुल्लू की घाटी में इस उत्सव का रंग और भी अधिक बढ़ने लगता है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव इस बार 50 साल पुराने रूप में नजर आएगा.

दशहरा पर्व
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Published : Oct 15, 2021, 9:24 AM IST

Updated : Oct 15, 2021, 9:30 AM IST

कुल्लू: देवभूमि कुल्लू में सात दिनों तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय दशहरा पर्व का आगाज अधिष्ठाता देवता रघुनाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा से होगा. राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) बतौर मुख्य अतिथि अटल सदन में संध्या 7 बजे सात दिवसीय दशहरा उत्सव के शुभारंभ की रस्म को पूरा करेंगे.

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में दशहरा सबसे अलग और अनोखे अंदाज में मनाया जाता है. यहां इस त्योहार को दशमी कहते हैं. जब पूरे भारत में विजयादशमी की समाप्ति होती है. उस दिन से कुल्लू की घाटी में इस उत्सव का रंग और भी अधिक बढ़ने लगता है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव इस बार 50 साल पुराने रूप में नजर आएगा. इस बार दशहरा उत्सव में न तो व्यापारिक गतिविधियां होंगी और न ही सांस्कृतिक कार्यक्रम. सिर्फ देवता और उनके रथ ही ढालपुर मैदान की शोभा बढ़ाएंगे.

साल 1966 में दशहरा उत्सव को राज्य स्तरीय उत्सव का दर्जा दिया गया और 1970 को इस उत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्तर का दर्जा देने की घोषणा तो हुई, लेकिन मान्यता नहीं मिली. इसके बाद करीब 47 साल बाद यानी 2017 में इसे अंतरराष्ट्रीय उत्सव का दर्जा प्राप्त हुआ है. दशहरा उत्सव के दौरान राज परिवार प्राचीन परम्पराओं का निर्वाहन करता है. भगवान रघुनाथ की पूजा, हार-श्रृंगार, नरसिंह भगवान की जलेब के साथ लंका दहन की प्राचीन परम्परा भी निभाई जाती है.

इस बार दशहरा उत्सव के लिए 332 देवी-देवताओं को जिला प्रशासन की ओर से आमंत्रित किया गया है. ढालपुर मैदान में उनके स्थानों को पहले ही निर्धारित किया गया है. अधिकतर देवी-देवतताओं के आज पहुंचने की संभावना है. पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष कोरोना के मामले कम हुए हैं तथापि लोगों को कोरोना से बचाव के लिए एसओपी का विशेष ध्यान रखना होगा. देवी-देवेताओं के साथ आने वाले देवलुओं के लिए वैक्सीन की डबल डोज जरूरी की गई है, ताकि कोराना संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके.

दशहरा उत्सव के दौरान कानून व व्यवस्था बनाए रखने के लिए 500 पुलिस जवानों तथा 50 गृह रक्षकों की तैनाती की गई है. मेला क्षेत्र को पांच सेक्टरों में बांटा गया है. प्रत्येक सेक्टर में एक राजपत्रित अधिकारी की तैनाती की गई है. इसके अतिरिक्त किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए दो क्यूआरटी की टीमों की तैनाती की गई है.

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को मेला पुलिस अधिकारी नियुक्त किया गया है और ओवरऑल सुपरविजन का कार्य उनके जिम्मे होगा. रघुनाथ जी की सुल्तानपुर से रथ मैदान के लिए शोभा यात्रा के दौरान सुल्तानपुर से ढालपुर तक पूरी सड़क को क्लियर रखा जाएगा और इस दौरान लोगों को निजी गाड़ियों को सड़क के किनारे खड़ी न करने का आग्रह किया गया है. क्षेत्रीय अस्पताल से सर्कुलर सड़क को नो पार्किंग जोन घोषित किया गया है और इस सड़क पर किसी भी प्रकार की गाड़ियों की पार्क करने की इजाजत नहीं होगी. पशु मैदान गाड़ियों की पार्किंग के लिए खुला रहेगा.

ये भी पढ़ें: International Kullu Dussehra Festival: राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर करेंगे शुभारंभ

कुल्लू: देवभूमि कुल्लू में सात दिनों तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय दशहरा पर्व का आगाज अधिष्ठाता देवता रघुनाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा से होगा. राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) बतौर मुख्य अतिथि अटल सदन में संध्या 7 बजे सात दिवसीय दशहरा उत्सव के शुभारंभ की रस्म को पूरा करेंगे.

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में दशहरा सबसे अलग और अनोखे अंदाज में मनाया जाता है. यहां इस त्योहार को दशमी कहते हैं. जब पूरे भारत में विजयादशमी की समाप्ति होती है. उस दिन से कुल्लू की घाटी में इस उत्सव का रंग और भी अधिक बढ़ने लगता है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव इस बार 50 साल पुराने रूप में नजर आएगा. इस बार दशहरा उत्सव में न तो व्यापारिक गतिविधियां होंगी और न ही सांस्कृतिक कार्यक्रम. सिर्फ देवता और उनके रथ ही ढालपुर मैदान की शोभा बढ़ाएंगे.

साल 1966 में दशहरा उत्सव को राज्य स्तरीय उत्सव का दर्जा दिया गया और 1970 को इस उत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्तर का दर्जा देने की घोषणा तो हुई, लेकिन मान्यता नहीं मिली. इसके बाद करीब 47 साल बाद यानी 2017 में इसे अंतरराष्ट्रीय उत्सव का दर्जा प्राप्त हुआ है. दशहरा उत्सव के दौरान राज परिवार प्राचीन परम्पराओं का निर्वाहन करता है. भगवान रघुनाथ की पूजा, हार-श्रृंगार, नरसिंह भगवान की जलेब के साथ लंका दहन की प्राचीन परम्परा भी निभाई जाती है.

इस बार दशहरा उत्सव के लिए 332 देवी-देवताओं को जिला प्रशासन की ओर से आमंत्रित किया गया है. ढालपुर मैदान में उनके स्थानों को पहले ही निर्धारित किया गया है. अधिकतर देवी-देवतताओं के आज पहुंचने की संभावना है. पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष कोरोना के मामले कम हुए हैं तथापि लोगों को कोरोना से बचाव के लिए एसओपी का विशेष ध्यान रखना होगा. देवी-देवेताओं के साथ आने वाले देवलुओं के लिए वैक्सीन की डबल डोज जरूरी की गई है, ताकि कोराना संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके.

दशहरा उत्सव के दौरान कानून व व्यवस्था बनाए रखने के लिए 500 पुलिस जवानों तथा 50 गृह रक्षकों की तैनाती की गई है. मेला क्षेत्र को पांच सेक्टरों में बांटा गया है. प्रत्येक सेक्टर में एक राजपत्रित अधिकारी की तैनाती की गई है. इसके अतिरिक्त किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए दो क्यूआरटी की टीमों की तैनाती की गई है.

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को मेला पुलिस अधिकारी नियुक्त किया गया है और ओवरऑल सुपरविजन का कार्य उनके जिम्मे होगा. रघुनाथ जी की सुल्तानपुर से रथ मैदान के लिए शोभा यात्रा के दौरान सुल्तानपुर से ढालपुर तक पूरी सड़क को क्लियर रखा जाएगा और इस दौरान लोगों को निजी गाड़ियों को सड़क के किनारे खड़ी न करने का आग्रह किया गया है. क्षेत्रीय अस्पताल से सर्कुलर सड़क को नो पार्किंग जोन घोषित किया गया है और इस सड़क पर किसी भी प्रकार की गाड़ियों की पार्क करने की इजाजत नहीं होगी. पशु मैदान गाड़ियों की पार्किंग के लिए खुला रहेगा.

ये भी पढ़ें: International Kullu Dussehra Festival: राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर करेंगे शुभारंभ

Last Updated : Oct 15, 2021, 9:30 AM IST
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