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kullu Atal Tunnel: अटल टनल में टूटा 1 साल का ट्रैफिक रिकॉर्ड, नवंबर माह में गुजरे 1 लाख 2 हजार 920 वाहन - सैलानियों की पसंदीदा सैरगार

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाने वाली रोहतांग अटल टनल अब हिमाचल आने वाले सैलानियों की पहली पसंद बन (Tourists First Choice) गई है. ऐसे में अटल टनल के जरिए लाहौल घाटी पहुंचने वाले वाहनों की संख्या (Vehicles Cross through atal Tunnel) भी हर माह हजारों में हो गई है. ऐसे में नवंबर माह में 1 लाख 2 हजार 920 वाहन सिर्फ एक माह में ही अटल टनल का दीदार (atal tunnel New attraction for tourist) कर चुके हैं.

atal tunnel new attraction for tourist
रोहतांग अटल टनल.
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Published : Dec 7, 2021, 4:04 PM IST

Updated : Jan 4, 2022, 2:07 PM IST

कुल्लू: पर्यटन नगरी कुल्लू और शीत मरूस्थल के नाम से मशहूर लाहौल घाटी को आपस में जोड़ने वाली अटल टनल (kullu atal tunel ) में 1 साल का ट्रैफिक रिकॉर्ड टूट गया है. अटल टनल साल 2020 के अक्टूबर माह में वाहनों के लिए खोल दी गई थी. ऐसे में अटल टनल के जरिए लाहौल घाटी पहुंचने वाले वाहनों की संख्या भी हर माह हजारों में हो गई है. इस साल 4 दिसंबर को सबसे अधिक 6419 वाहन अटल टनल के माध्यम से आर पार हुए हैं. इससे पहले 25 नवंबर को भी 5113 वाहनों ने 24 घंटे में अटल टनल को आर पार किया है.

वहीं, 21 नवंबर को 5765 वाहनों ने भी अटल टनल होते हुए लाहौल घाटी का रुख किया था. 20 नवंबर को भी 5723 वाहन अटल टनल के माध्यम से आर पार हुए थे (Vehicles Cross through atal Tunnel) और 19 नवंबर को भी 4003 वाहन अटल टनल से होकर गुजरे. ऐसे में नवंबर माह में 1 लाख 2 हजार 920 वाहन सिर्फ एक माह में ही अटल टनल का दीदार (atal tunnel New attraction for tourist) कर चुके हैं. ऐसे में अटल टनल के माध्यम से लेह और लाहौल घाटी का रुख करने वाले वाहनों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. वाहनों की आवाजाही को लेकर साल 2021 के महीने दर महीने के आंकड़ों पर एक नजर डालें तो...

अटल टनल से वाहनों की आवाजाही
जनवरी 20218295
फरवरी 20219934
मार्च 202162122
अप्रैल 202150905
मई 202114235
जून 202159739
जुलाई 20211,22,090
अगस्त 202195643
सितंबर 202190147
अक्टूबर 20215849
नवंबर 20211,02,920
11 महीने6,21,879

एसपी लाहौल स्पीति मानव वर्मा ने बताया कि नवंबर माह में कोई भी दुर्घटना नहीं हुई है. वहीं, एटीआर नॉर्थ पोर्टल के इंचार्ज एएसआई धीरज सेन व उनकी टीम भी बेहतरीन तरीके से वाहनों की आवाजाही को सुचारू रखने में अपना काम कर रही है. एटीआर नॉर्थ पोर्टल यूनिट हर यात्रियों को सुरक्षित ड्राइविंग के बारे में भी सूचित कर रही है. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि जो भी वाहन अटल टनल होकर लाहौल जा रहे हैं वह शाम तक सुरक्षित तरीके से मनाली की ओर वापस पहुंच जाएं

गौर रहे कि इस टनल के खुल जाने से हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी (lahaul valley of himachal) जो सर्दियों में बर्फबारी के चलते बाकी देश से कट जाते थे, वे अब सर्दियों में भी कुल्लू के साथ संपर्क में हैं. मनाली और लेह की दूरी भी इससे खासी कम हो गई है. रोहतांग पास के जरिए मनाली से लेह जाने में 474 किलोमीटर का सफर तय करना होता है. अटल टनल से यह दूरी घटकर 428 किलोमीटर रह गई है.

टनल के भीतर कटिंग एज टेक्‍नोलॉजी का इस्‍तेमाल किया गया है. घोड़े की नाल जैसे आकार वाली यह सुरंग सिंगल ट्यूब डबल लेन (single tube double lane) वाली है. यह 10.5 मीटर चौड़ी है और मेन टनल के भीतर ही 3.6 x 2.25 मीटर की फायरप्रूफ इमरजेंसी इग्रेस टनल (Fireproof Emergency Egress Tunnel) बनाई गई है. 10,000 फीट की ऊंचाई पर इस टनल को बनाने में 10 साल लगे. इससे रोज 3,000 कारों और 1,500 ट्रकों का ट्रैफिक झेलने के लिहाज से बनाया गया है.

मनाली-लेह हाई-वे पर रोहतांग, बारालचा, लुंगालाचा ला और तालंग ला जैसे पास हैं और भारी बर्फबारी के चलते सर्दियों में यहां पहुंचना नामुमकिन हो जाता है. पहले मनाली से सिस्‍सू तक पहुंचने में 5 से 6 घंटे लग जाते थे, अब यह दूरी सिर्फ एक घंटे में पूरी की जा सकती है. इस टनल को बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) ने बनाया है.

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने 2014 में निमार्ण स्थल का दौरा कर निमार्ण कार्य का (pm modi visit atal tunnel) जायजा लिया था. इसके बाद पीएम मोदी ने दिसंबर 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में सुरंग का नाम अटल सुरंग रखने का निर्णय किया था. इस सुरंग में अग्नि शमन, रोशनी और निगरानी के व्यापक इंतजाम किये गए हैं. रोहतांग दर्रे के नीचे यह ऐतिहासिक सुरंग बनाने का निर्णय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में तीन जून 2000 में लिया गया था. इसकी आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गयी और इसके बाद से सीमा सड़क संगठन सभी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद इसे पूरा करने में जुटा था.

सेरी नाला फाल्ट जोन में 587 मीटर क्षेत्र में सुरंग बनाने का काम सबसे चुनौतीपूर्ण था और इसे 15 अक्टूबर 2017 को पूरा किया गया. सुरंग के निमार्ण पर 3200 करोड़ रुपये की लागत आई है. इस सुरंग के दोनों द्वारों पर बैरियर लगे हैं. आपात स्थिति में बातचीत के लिए हर 150 मीटर पर टेलीफोन और हर 60 मीटर पर अग्निशमन यंत्र लगे हैं. घटनाओं का स्वत: पता लगाने के लिए हर ढाई सौ मीटर पर सीसीटीवी कैमरा और हर एक किलोमीटर पर वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली लगी है. हर 25 मीटर पर आपात निकास के संकेत हैं. पूरी सुरंग में ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम लगाया गया है. सुरंग में हर 60 मीटर की दूरी पर कैमरे भी लगाये गये हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के गद्दी समुदाय में बसी है शुद्ध पहाड़ी संस्कृति, भेड़-बकरियां पालकर करते हैं गुजारा

कुल्लू: पर्यटन नगरी कुल्लू और शीत मरूस्थल के नाम से मशहूर लाहौल घाटी को आपस में जोड़ने वाली अटल टनल (kullu atal tunel ) में 1 साल का ट्रैफिक रिकॉर्ड टूट गया है. अटल टनल साल 2020 के अक्टूबर माह में वाहनों के लिए खोल दी गई थी. ऐसे में अटल टनल के जरिए लाहौल घाटी पहुंचने वाले वाहनों की संख्या भी हर माह हजारों में हो गई है. इस साल 4 दिसंबर को सबसे अधिक 6419 वाहन अटल टनल के माध्यम से आर पार हुए हैं. इससे पहले 25 नवंबर को भी 5113 वाहनों ने 24 घंटे में अटल टनल को आर पार किया है.

वहीं, 21 नवंबर को 5765 वाहनों ने भी अटल टनल होते हुए लाहौल घाटी का रुख किया था. 20 नवंबर को भी 5723 वाहन अटल टनल के माध्यम से आर पार हुए थे (Vehicles Cross through atal Tunnel) और 19 नवंबर को भी 4003 वाहन अटल टनल से होकर गुजरे. ऐसे में नवंबर माह में 1 लाख 2 हजार 920 वाहन सिर्फ एक माह में ही अटल टनल का दीदार (atal tunnel New attraction for tourist) कर चुके हैं. ऐसे में अटल टनल के माध्यम से लेह और लाहौल घाटी का रुख करने वाले वाहनों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. वाहनों की आवाजाही को लेकर साल 2021 के महीने दर महीने के आंकड़ों पर एक नजर डालें तो...

अटल टनल से वाहनों की आवाजाही
जनवरी 20218295
फरवरी 20219934
मार्च 202162122
अप्रैल 202150905
मई 202114235
जून 202159739
जुलाई 20211,22,090
अगस्त 202195643
सितंबर 202190147
अक्टूबर 20215849
नवंबर 20211,02,920
11 महीने6,21,879

एसपी लाहौल स्पीति मानव वर्मा ने बताया कि नवंबर माह में कोई भी दुर्घटना नहीं हुई है. वहीं, एटीआर नॉर्थ पोर्टल के इंचार्ज एएसआई धीरज सेन व उनकी टीम भी बेहतरीन तरीके से वाहनों की आवाजाही को सुचारू रखने में अपना काम कर रही है. एटीआर नॉर्थ पोर्टल यूनिट हर यात्रियों को सुरक्षित ड्राइविंग के बारे में भी सूचित कर रही है. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि जो भी वाहन अटल टनल होकर लाहौल जा रहे हैं वह शाम तक सुरक्षित तरीके से मनाली की ओर वापस पहुंच जाएं

गौर रहे कि इस टनल के खुल जाने से हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी (lahaul valley of himachal) जो सर्दियों में बर्फबारी के चलते बाकी देश से कट जाते थे, वे अब सर्दियों में भी कुल्लू के साथ संपर्क में हैं. मनाली और लेह की दूरी भी इससे खासी कम हो गई है. रोहतांग पास के जरिए मनाली से लेह जाने में 474 किलोमीटर का सफर तय करना होता है. अटल टनल से यह दूरी घटकर 428 किलोमीटर रह गई है.

टनल के भीतर कटिंग एज टेक्‍नोलॉजी का इस्‍तेमाल किया गया है. घोड़े की नाल जैसे आकार वाली यह सुरंग सिंगल ट्यूब डबल लेन (single tube double lane) वाली है. यह 10.5 मीटर चौड़ी है और मेन टनल के भीतर ही 3.6 x 2.25 मीटर की फायरप्रूफ इमरजेंसी इग्रेस टनल (Fireproof Emergency Egress Tunnel) बनाई गई है. 10,000 फीट की ऊंचाई पर इस टनल को बनाने में 10 साल लगे. इससे रोज 3,000 कारों और 1,500 ट्रकों का ट्रैफिक झेलने के लिहाज से बनाया गया है.

मनाली-लेह हाई-वे पर रोहतांग, बारालचा, लुंगालाचा ला और तालंग ला जैसे पास हैं और भारी बर्फबारी के चलते सर्दियों में यहां पहुंचना नामुमकिन हो जाता है. पहले मनाली से सिस्‍सू तक पहुंचने में 5 से 6 घंटे लग जाते थे, अब यह दूरी सिर्फ एक घंटे में पूरी की जा सकती है. इस टनल को बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) ने बनाया है.

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने 2014 में निमार्ण स्थल का दौरा कर निमार्ण कार्य का (pm modi visit atal tunnel) जायजा लिया था. इसके बाद पीएम मोदी ने दिसंबर 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में सुरंग का नाम अटल सुरंग रखने का निर्णय किया था. इस सुरंग में अग्नि शमन, रोशनी और निगरानी के व्यापक इंतजाम किये गए हैं. रोहतांग दर्रे के नीचे यह ऐतिहासिक सुरंग बनाने का निर्णय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में तीन जून 2000 में लिया गया था. इसकी आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गयी और इसके बाद से सीमा सड़क संगठन सभी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद इसे पूरा करने में जुटा था.

सेरी नाला फाल्ट जोन में 587 मीटर क्षेत्र में सुरंग बनाने का काम सबसे चुनौतीपूर्ण था और इसे 15 अक्टूबर 2017 को पूरा किया गया. सुरंग के निमार्ण पर 3200 करोड़ रुपये की लागत आई है. इस सुरंग के दोनों द्वारों पर बैरियर लगे हैं. आपात स्थिति में बातचीत के लिए हर 150 मीटर पर टेलीफोन और हर 60 मीटर पर अग्निशमन यंत्र लगे हैं. घटनाओं का स्वत: पता लगाने के लिए हर ढाई सौ मीटर पर सीसीटीवी कैमरा और हर एक किलोमीटर पर वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली लगी है. हर 25 मीटर पर आपात निकास के संकेत हैं. पूरी सुरंग में ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम लगाया गया है. सुरंग में हर 60 मीटर की दूरी पर कैमरे भी लगाये गये हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के गद्दी समुदाय में बसी है शुद्ध पहाड़ी संस्कृति, भेड़-बकरियां पालकर करते हैं गुजारा

Last Updated : Jan 4, 2022, 2:07 PM IST
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