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कुल्लू में धूमधाम से मनाया गया हरियाली तीज का त्योहार, शिव-पार्वती को पूज मांगा वरदान

गुरुवार को हरियाली तीज का त्योहार कुल्लू में धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान अखाड़ा बाजार में महिलाओं ने शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना कर भगवान से सुख शांति की कामना की.वहीं, तीज के दिन झूला झूलने की परंपरा को भी पूरा किया.

कुल्लू
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Published : Sep 9, 2021, 7:16 PM IST

कुल्लू: हरियाली तीज का त्योहार महिलाओं ने धूमधाम से मनाया. वहीं, इस दौरान महिलाओं ने भगवान शिव और पार्वती की विशेष पूजा आराधना कर शंकर पार्वती से जुड़े भजनों को गाया. इस मौके पर प्रदेश सहित पूरे देश में शांति बनी रहे इसके लिए बाबा भोलेनाथ से प्रार्थन की गई. अखाड़ा बाजार में भी महिलाओं ने मिलकर हरियाली तीज का त्योहार मनाया. पौराणिक महत्व के अनुसार हरियाली तीज के दिन मेहंदी का विशेष महत्व बताया गया है.

मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को मनाने के लिए अपने हाथों में मेहंदी रचाई थी. मां पार्वती की हथेली में रची मेहंदी को देखकर भगवान शिव बेहद प्रसन्न हुए. इसलिए इस दिन महिलाएं व्रत करके मां पार्वती और भोलेनाथ से अटल सुहाग की कामना करती हैं. श्रावणी तीज के दिन झूले झूलने की भी परंपरा रही है. कहा जाता है इस दिन झूला जरूर झूलना चाहिए. इससे सारे पाप नष्ट हो जाते हैं.

वीडियो.

हरियाली तीज के संबंध में कहा जाता है कि इस दिन सैकड़ों वर्षों की तपस्या के बाद माता पार्वती भगवान शिव से मिल पाई थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने 107 बार जन्म लिया, फिर भी वे उन्हें पा ना सकी. उन्होंने 108वीं बार पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया और शिव को पति रूप में पाने के लिए पुन: तप प्रारंभ किया. इस बार श्रावण शुक्ल तृतीया के दिन उनके तप का फल मिला और शिव जी को पति के रूप में प्राप्त किया.

कहते हैं इस दिन जो महिलाएं सोलह श्रृंगार करके शिव-पार्वती की विधिवत पूजा करती हैं, उनकी जोड़ी को लंबी आयु का वरदान शिवजी से प्राप्त होता है. स्थानीय महिला उर्मिला सूद का कहना है कि हर साल महिलाओं के साथ मिलकर इस त्योहार को मनाती है. इस त्योहार को पूरी तरह से निराहार रहकर ही मनाया जाता है और भगवान शिव व पार्वती की आराधना का भी इसमें विशेष महत्व है.

ये भी पढ़ें :परमवीर विक्रम बत्रा की जयंती, करगिल का वो 'शेरशाह', जिसके किस्से आपमें जोश भर देंगे

कुल्लू: हरियाली तीज का त्योहार महिलाओं ने धूमधाम से मनाया. वहीं, इस दौरान महिलाओं ने भगवान शिव और पार्वती की विशेष पूजा आराधना कर शंकर पार्वती से जुड़े भजनों को गाया. इस मौके पर प्रदेश सहित पूरे देश में शांति बनी रहे इसके लिए बाबा भोलेनाथ से प्रार्थन की गई. अखाड़ा बाजार में भी महिलाओं ने मिलकर हरियाली तीज का त्योहार मनाया. पौराणिक महत्व के अनुसार हरियाली तीज के दिन मेहंदी का विशेष महत्व बताया गया है.

मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को मनाने के लिए अपने हाथों में मेहंदी रचाई थी. मां पार्वती की हथेली में रची मेहंदी को देखकर भगवान शिव बेहद प्रसन्न हुए. इसलिए इस दिन महिलाएं व्रत करके मां पार्वती और भोलेनाथ से अटल सुहाग की कामना करती हैं. श्रावणी तीज के दिन झूले झूलने की भी परंपरा रही है. कहा जाता है इस दिन झूला जरूर झूलना चाहिए. इससे सारे पाप नष्ट हो जाते हैं.

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हरियाली तीज के संबंध में कहा जाता है कि इस दिन सैकड़ों वर्षों की तपस्या के बाद माता पार्वती भगवान शिव से मिल पाई थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने 107 बार जन्म लिया, फिर भी वे उन्हें पा ना सकी. उन्होंने 108वीं बार पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया और शिव को पति रूप में पाने के लिए पुन: तप प्रारंभ किया. इस बार श्रावण शुक्ल तृतीया के दिन उनके तप का फल मिला और शिव जी को पति के रूप में प्राप्त किया.

कहते हैं इस दिन जो महिलाएं सोलह श्रृंगार करके शिव-पार्वती की विधिवत पूजा करती हैं, उनकी जोड़ी को लंबी आयु का वरदान शिवजी से प्राप्त होता है. स्थानीय महिला उर्मिला सूद का कहना है कि हर साल महिलाओं के साथ मिलकर इस त्योहार को मनाती है. इस त्योहार को पूरी तरह से निराहार रहकर ही मनाया जाता है और भगवान शिव व पार्वती की आराधना का भी इसमें विशेष महत्व है.

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