मनाली: जिला लाहौल स्पीति इन दिनों बर्फ के रेगिस्तान में तबदील हो चुका है. चारों तरफ बर्फ ही बर्फ नजर आती है. ऐसे में यहां के लोग इस बर्फ के रेगिस्तान में रहते हुए भी अपनी प्राचीन संस्कृति को नहीं भूलते.
भारी सर्दी और बर्फ के बीच भी लाहौल स्पीति के लोग अपने प्राचीन त्योहार हालडा को खूब नाच गाकर मना रहे हैं. जिला लाहौल स्पीति में इन दिनों हालडा उत्सव मनाया जा रहा है. वहीं, घर से दूर पर्यटन नगरी मनाली में रह रहे लाहौल वासियों ने भी हालडा उत्सव मनाया.
मनाली में रह रहे लाहौल स्पीति की जनता ने पूरी रिति रिवाज के साथ मनाली में स्थित गोम्पा में हालडा उत्सव को धूमधाम से मनाया. मनाली में एकत्रित हुए लागों ने पारंपरिक तरीके से अपने अधीष्ठ देव की पूजा अर्चना की. इसके बाद रात के अंधेरे में मशालें लेकर गोम्पा का पूरा चक्कर लगाया और बौद्ध धर्म के अनुसार मंत्रो उच्चारण कर बुरी आत्माओं को भगाया. इसके बाद लोगों ने खूब नाच गाना भी किया.
कहा जाता है कि इन दिनों घाटी के सभी देवी देवता स्वर्ग प्रवास पर होते हैं, जिस कारण घाटी में आसुरी शक्तियों का प्रभाव रहता है और इन आसुरी शक्तियों के प्रभाव से बचने के लिए ही रात को मशालें जलाई जाती हैं. वहीं, मनाली में रह रहे जिला लाहौल स्पीति के लोगों ने हालडा के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हालडा उत्सव लाहौल स्पीति का एक प्राचीन त्यौहार है. इसे हर वर्ष परंपरा के अनुसार मनाया जाता है. इसे नववर्ष का प्रतीक भी माना जाता है और इसका बौद्व भिक्षु की और से एक उचित समय निकाल कर ही मनाते हैं.
ये भी पढ़ें: चंबा चांजू मुख्य मार्ग की हालत खस्ता, शिकायत के बाद भी कुम्भकर्णी नींद में सो रहा विभाग