कुल्लू: देश दुनिया में अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) का प्राकृतिक सौंदर्य हर साल लाखों लोगों को अपनी ओर खींच लेता है. कोरोना संकट में भी जब सभी कारोबार ठप रहे तो यहां के पर्यटन ने आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में पर्यटन ने अपनी अहम भूमिका निभाई.
वहीं, पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों के लिए भी हिमाचल प्रदेश का सौंदर्य काफी महत्व रखता है. पर्यटन कारोबार से जहां प्रदेश के लाखों लोग जुड़े हुए हैं तो वहीं, ग्रामीण क्षेत्र में भी पर्यटन लोगों की आर्थिकी का मुख्य स्त्रोत बन गया है, लेकिन अब बड़ी कंपनियों की नजर भी इस सौंदर्य पर पड़ने लगी है.
हिमाचल प्रदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर अब बड़ी कंपनियां भी अपना निवेश करने में जुट गई हैं. बड़ी कंपनी के द्वारा यहां पर संचालित होने वाले ट्रैकिंग, पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग सहित कई अन्य कारोबार पर भी अपनी नजर गड़ानी शुरू कर दी है. जिससे प्रदेश के छोटे स्तर पर जुड़े हुए पर्यटन कारोबारी चिंतित हो उठे हैं.
पर्यटन कारोबारियों को चिंता है कि अगर यह सब कारोबार बड़ी कंपनियों के हाथों में चले गए तो उनका क्या होगा और वह किस तरह से अपने परिवार का भरण पोषण कर पाएंगे. साहसिक खेलों को अपने अधीन करने पर बड़ी कंपनियां इसे अपने तरीके से संचालित करेंगी और पर्यटक भी इन्हीं की ओर खिंचा चला आएगा. जिससे छोटे स्तर पर काम करने वाले पर्यटन कारोबारियों को आर्थिक रूप से खासा नुकसान उठाना पड़ेगा.
जिला कुल्लू के पर्यटन नगरी मनाली (Manali) की अगर बात करें तो यहां पर भी 15 हजार से अधिक युवा साहसिक खेलों से जुड़े हुए हैं. जिनमें दुर्गम रास्तों पर ट्रैकिंग करना, पैराग्लाइडिंग व रिवर राफ्टिंग आदि शामिल हैं. मनाली के साथ लगते पलचान में भी बाहरी राज्य की कंपनी को प्रदेश सरकार के द्वारा साहसिक कार्यक्रमों को आयोजित करवाने की अनुमति दी गई है और इस अनुमति के मिलने के चलते अब घाटी के युवा भी चिंतित हो उठे हैं.
जिला कुल्लू के कई पहाड़ी इलाकों में देवस्थान भी है और स्थानीय कारोबारी इस बात को बखूबी जानते हैं. स्थानीय कारोबारी ना तो उन देवस्थान ऊपर कोई शोर शराबा करते हैं और वहां पर स्वच्छता का भी विशेष ख्याल रखते हैं. ऐसे में बड़ी कंपनियों के आने से स्थानीय लोगों को देव स्थलों की शांति के भंग होने की आशंका भी सता रही है.
हालांकि बीते दिनों मनाली की विभिन्न एसोसिएशन के सदस्यों ने शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर (Education Minister Govind Thakur) के साथ भी मुलाकात की थी और उनसे मांग रखी थी कि अगर बाहरी राज्यों की कंपनियों को यहां अनुमति देनी है तो उन्हें यहां के स्थानीय कारोबारियों के साथ मिलकर काम करना होगा, ताकि यहां के युवाओं का रोजगार भी बचा रह सके.
इसके अलावा यहां के देव स्थलों की शांति भी भंग न हो और पहाड़ों पर भी पर्यटक कचरा न फैला पाए. इस बारे में शिक्षा मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया था कि वे जल्द ही प्रदेश सरकार से चर्चा करेंगे और स्थानीय युवाओं की मांग को प्रमुखता से रखा जाएगा, लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकल पाया है.
जिला कुल्लू युवा कांग्रेस (Kullu Youth Congress) के उपाध्यक्ष रोहित महाजन का कहना है कि बाहरी राज्यों की कंपनियों को अगर इस तरह से अनुमति मिलती रही तो यहां का युवा बेरोजगार हो जाएगा. जिसे युवा कांग्रेस के द्वारा सहन नहीं किया जाएगा. युवा कांग्रेस ने भी इस बारे प्रदेश के राज्यपाल को ज्ञापन भेजा है और बाहरी राज्यों की कंपनियों को दी गई अनुमति को रद्द करने की मांग रखी है. अगर सरकार स्थानीय लोगों के पक्ष में फैसला नहीं देती है तो मजबूरन युवा कांग्रेस को सड़कों पर उतरना होगा.
वहीं, गाहर पंचायत के प्रधान एवं प्रसिद्ध समाजसेवी रोहित वत्स धामी का कहना है कि बाहरी राज्यों की कम्पनियों को अनुमति देना यहां के स्थानीय लोगों के हक के साथ खिलवाड़ करना है. प्रदेश सरकार को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
अगर यहां का युवा बेरोजगार होता है तो इसका खामियाजा भी प्रदेश सरकार को भुगतना होगा. जब यहां के स्थानीय लोग जल, जंगल, जमीन को बचाए रखने का अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं तो ऐसे में प्रदेश सरकार को बाहरी राज्यों की कंपनियों को अनुमति बिल्कुल भी नहीं देनी चाहिए.
कुल्लू मनाली रिवर राफ्टिंग एसोसिएशन (Kullu Manali River Rafting Association) के अध्यक्ष सुरेश शर्मा का कहना है कि अगर सरकार बाहरी कंपनियों को अनुमति देती है तो इससे कुल्लू जिला के ही 15,000 से अधिक युवा बेरोजगार हो जाएंगे. कोरोना संकट में पहले ही इस कारोबार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. ऐसे में सरकार बाहरी राज्यों को अनुमति देना बंद करें और जिन कंपनियों को अनुमति दी गई है उन्हें रद्द किया जाए.
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