कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में आए दिन जंगलों (fire in forest at himachal) के जलने के मामले सामने आते रहते हैं. करोड़ो रुपयों की वन संपदा के साथ साथ जीव जंतु भी आग की चपेट में आ जाते हैं. चीड़ की पत्तियां भी जंगल की आग में घी का काम करती है, लेकिन कुल्लू में यह पत्तियां जंगल ना जलाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है. शिल्प मेले (craft fair in kullu) के दौरान महिलाओं के द्वारा तैयार उत्पादों को भी खूब पसंद किया जा रहा है.
कुल्लू में सजे 10 दिवसीय शिल्प मेले में चीड़ की पत्तियों से तैयार किए विभिन्न उत्पाद (products made from pine leaves) सबके लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. मेले में देशभर के शिल्पकारों के विभिन्न उत्पाद हैं. वहीं, बंजार की थाटीबीड़ की 20 महिलाओं के समूह की ओर से बनाए गए चीड़ की पत्तियों के उत्पाद सबको भा रहे हैं. मेले में स्टॉल लगा रही महिला संतोषी देवी ने बताया कि प्रगतिशील विश्वकर्मा कल्याण सभा संस्था व द डोगरा तकनीकी एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान बंजार की ओर से उन्हें निशुल्क चीड़ की पत्तियों से टोकरी, चपाती बॉक्स, फूलदान, पेंसिल बॉक्स, पेन स्टैंड, टेबल मेट, ट्रे सहित अन्य उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण प्रदान किया गया था. उसके बाद उन्होंने चीड़ की पत्तियों के उत्पाद तैयार कर बेचना शुरू किया. इससे वह आत्मनिर्भर हुई हैं.
वहीं, अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर रोजगार मुहैया करवा रही हैं. इस तकनीक से चीड़ की पत्तियां अब बेकार न होकर इनकी उपयोगिता बढ़ गई है. जंगलों में चीड़ की सूखी पत्तियों से आगजनी की घटनाओं में भी कमी आएगी. महिलाएं खड्डी पर पट्टू, जैकेट, शॉल व स्टॉल भी तैयार करती हैं. साथ ही लकड़ी के बेकार टुकड़ों को जोड़कर बच्चों के खिलौने भी तैयार कर रही हैं. कपड़ों पर कढ़ाई करने के साथ चीड़ की पत्तियों से बनी वस्तुएं भी बेच रही हैं.
संतोषी देवी ने बताया कि शिल्प मेले में लकड़ी के खिलौने भी खूब बिक रहे हैं, काफी ऑर्डर भी मिले हैं. जंगल से चीड़ की पत्तियां एकत्र करने के बाद उन्हें साफ किया जाता है. 15 मिनट तक पानी में भिंगोने के बाद रेशम के विशेष तरह के धागे के साथ जोड़कर उत्पाद तैयार किए जाते हैं. शिल्प मेले में चीड़ की पत्तियों से बने उत्पाद 300 से लेकर 500 रुपये तक उपलब्ध हैं. उन्होंने बताया कि संस्था की ओर से जिला कुल्लू सहित प्रदेशभर में महिलाओं को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से एक माह का निशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. उन्हें संस्था की ओर से ही रोजगार भी मुहैया करवाया जा रहा है और संस्था प्रदेशभर में प्रशिक्षण केंद्र खोल रही है.
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