कुल्लू: हिमाचल प्रदेश जहां अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए देश दुनिया में मशहूर है तो वहीं इस सुंदरता पर एक काला दाग भी लगा हुआ है. वो दाग है पहाड़ों पर उगने वाली भांग. देश-दुनिया में जिला कुल्लू का नाम पर्यटन के साथ-साथ मशहूर चरस के लिए भी जाना जाता है. हालांकि हर साल पुलिस के द्वारा पहाड़ों पर उगाई जाने वाली भांग को नष्ट करने के लिए अभियान चलाया जाता है, लेकिन बीते साल कोरोना और इस साल चुनावी प्रक्रिया के चलते पहाड़ों से भांग की कटाई नहीं हो पाई. जिसके चलते भी चरस माफिया के हौसले बुलंद हैं और पहाड़ों पर भांग की खेती का दौर आज भी बदस्तूर जारी है. जिसका उदाहरण आए दिन चरस के साथ पकड़े जा रहे तस्कर हैं.
हालांकि कुल्लू पुलिस लगातार नशा तस्करों पर कार्रवाई करने में जुटी हुई है, लेकिन इसके बाद भी कुल्लू से चरस का काला दाग हटने का नाम नहीं ले रहा है. जिला कुल्लू की पहाड़ियों पर काला सोना के नाम से मशहूर भांग की बिजाई होती आ रही है. साल 2019 में भी कुल्लू पुलिस की टीम तत्कालीन एसपी गौरव सिंह की अगुवाई में रात करीब 1 बजे कुल्लू की ऊंची पहाड़ियों मे पिनसु थाच के लिए रवाना हुई. करीब 3 बजे पुलिस की स्पेशल टीम रात के अंधेरे में ऊंची पहाड़ियों की 6 घंटे तक चढ़ाई चढ़कर पिनसु थाच पहुंची. जहां पर चरस के काले कारोबार से जुड़े माफिया चरस, हशिश ऑयल और गांजा तैयार कर रहे थे. हथियारों से लैस पुलिस कर्मियों ने सभी लोगों को घेरा और उसके बाद मौके से 2 किलो 913 ग्राम चरस, 1 क्विंटल भांग का बीज और 5 हजार चरस के पौधे बरामद किए.
इसके अलावा पुलिस ने हाल ही में कार्रवाई को अंजाम दिया है. जिसमें घटनास्थल से 2 लोहे के दराट, 3 खुंखरी, 1 कुल्हाड़ी व 12 जिंदा कारतूस भी जब्त किए. इस दौरान पुलिस ने पकड़े 31 लोगों में से 2 मुख्य नशा माफिया को भी गिरफ्तार किया. इसके अलावा डेढ़ सौ के करीब रैपर बरामद किए. पकड़े गए आरोपियों में 19 लोग स्थानीय पीणी पंचायत के निवासी और 12 नेपाली थे जिनमें 5 महिलाएं भी शामिल थीं.
वहीं, साल 2020 में भी कुल्लू पुलिस ने 25 सदस्यों की एक स्पेशल टीम तैयार करके अलग-अलग स्थानों पर पेट्रोलिंग और गश्त के लिए भेजा. उस दौरान भी 1 लाख भांग के पौधों को नष्ट किया गया था और 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. जिला कुल्लू के पिणसू थाच, मलांदर थाच, ऊपर थाच, अवगल थाच, विष्णू थाच, अपर भेलिंग, लोअर भेलिंग, मैजिक वैली, बैचिंग, मीरा थाच, मणिकर्ण चौकी के एरिया में राशी रूआड़, शाड़ी आगे, कुटला, रूद्रनाग से आगे पहाड़ियों व थाच की पहाड़ियों में भांग की खेती होती है. ऐसी जगहों पर पहुंचने के लिए पूरा एक दिन लगता है और पुलिस की टीम भी संसाधन न होने के कारण इन जगहों पर नहीं पहुंच पाती है.
जिला कुल्लू की पहाड़ियों में भांग की बिजाई के लिए नेपाली मजदूरों का सहारा लिया जाता है. मजदूरों को पहाड़ियों पर रहने की व्यवस्था व खाने-पीने के लिए राशन भी नशा माफिया के द्वारा मुहैया करवाया जाता है. नेपाली मूल की महिलाएं भी इस काले कारोबार से जुड़ी रहती हैं. जिला कुल्लू के विभिन्न दुर्गम पहाड़ियों पर कोई रास्ता न होने के चलते पुलिस टीम को भी काफी मुश्किलें पेश आती हैं. ऐसे में कई बार पुलिस उच्च तकनीक का सहारा लेकर भी पहाड़ों पर भांग की खेती का पता लगाती है. उसी हिसाब से भांग को नष्ट करने के लिए अभियान का खाका तैयार किया जाता है.
मलाणा क्रीम के नाम से मशहूर चरस के चक्कर में कई विदेशी तस्कर भी जेल की हवा भी खा चुके हैं, फिर भी वे इसका मोह छोड़ने को तैयार नहीं हैं. तस्कर भी अब कोड के सहारे चरस के कारोबार को आगे बढ़ा रहे हैं. जिला कुल्लू की ऊंची पहाड़ियों में चरस के सौदागरों द्वारा हर वर्ष चरस की खेती की जा रही है. हालांकि पुलिस द्वारा हर वर्ष भांग उखाड़ो अभियान चलाया जाता है और लोगों को नशा न उगाने के बारे में जागरूक किया जाता है, लेकिन जल्द अमीर होने की चाह में तस्कर इसे उगाने का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं और आज भी मलाणा सहित बंजार, मणिकर्ण की पहाड़ियों में वन भूमि में भांग को बदस्तूर उगाया जा रहा है.
मलाणा क्रीम के नाम से मशहूर चरस में एक खास किस्म का केमिकल होता है जिसे टेट्राहाइड्रो कैनबलनोल के नाम से जाना जाता है. यह केमिकल सिर्फ मलाणा क्रीम में ही पाया जाता है. जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस चरस की कीमत 40 लाख से 50 लाख रुपये किलो तक होती है. मलाणा क्रीम की चाह में हर वर्ष हजारों विदेशी मणिकर्ण घाटी के मलाणा, कसोल, तोष, पुलगा का रुख करते हैं और उन्हें यह चरस यहां छह लाख से 10 लाख रुपये किलो के हिसाब से मिलती है.
वहीं, एसपी कुल्लू गुरदेव शर्मा (SP Kullu Gurdev Sharma) का कहना है कि जिला कुल्लू में लगातार नशा तस्करों पर कानूनी कार्रवाई की जा रही है. इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति निजी या वन भूमि में भांग की खेती करता हुआ पाया जाता है तो उस पर भी कानूनी कार्रवाई की जाती है. पुलिस अपने स्तर पर भी पहाड़ों में भांग की खेती करने वालों का पता लगा रही है ताकि उन पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सके.
ये भी पढ़ें : ग्रामीण युवाओं ने Driftwood को बनाया आत्मनिर्भर बनने का माध्यम, दूसरों के लिए बने प्रेरणास्त्रोत