कुल्लू: देश व हिमालयी क्षेत्रों में बिगड़ रहे पर्यावरण संतुलन को बचाने के लिए काजा से 200 बौद्ध भिक्षुओं ने इको पदयात्रा की शुरुआत की है. पर्यावरण को बचाने के लिए 200 बौद्ध भिक्षुओं की यात्रा 18800 फीट ऊंचे परागला दर्रे को पार करते हुए जम्मू कश्मीर के लद्दाख में जाकर खत्म होगी.
भिक्षुओं का ये दल 13 दिन तक हिमालय के गगनचुंबी पहाड़ों और दर्रों को पैदल नापते हुए लगभग 150 किमी का पैदल सफर केरेंगे. खास बात ये है कि इस पदयात्रा में कुछ विदेशी भी शामिल हैं, जो हिमालय के पिघलते ग्लेशियर पर शोध कर रहे हैं. इस दल की अगुवाई बौद्ध धर्म के डुग्पा सम्प्रदाय के प्रमुख 12वें अवतारी ग्यालवांग डुग्पा कर रहे हैं. इसे इको पदयात्रा का नाम दिया गया है.
बता दें कि बौद्ध भिक्षुओं ने स्पीति के चिचम गांव से पदयात्रा आरंभ की है. भिक्षु तिब्बत सीमा से सटे परांगला दर्रा को पार करके पारछू नदी को छूकर लद्दाख के कोरजोक पहुंचेंगे. पदयात्रा के पहले दिन 4260 मीटर ऊंचे किब्बर गांव से भिक्षु स्पीति के अंतिम गांव धुमले पहुंचे, यहां से परांगला दर्रा सामने दिखाई देता है. दूसरे दिन धुमले से थलटक की तरफ रवाना होंगे.
ये पदयात्रा जितनी रोमांचक है, उतनी ही खतरों से भरी हुई है. पारछू नदी इसी परांगला दर्रा से निकल कर तिब्बत और फिर भारत में प्रवेश करती है. इस पदयात्रा के दौरान भिक्षुओं को हर रोज 5 घंटे का सफर तय करना पड़ेगा. 20 जुलाई को इको पदयात्रा का समापन होगा.