कुल्लू: यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (united forum of bank Himachal) सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के निजीकरण के खिलाफ (bank workers strike against privatisation) हैं और इसी के विरोध में बैंक कर्मचारी दो दिन की हड़ताल पर हैं. इसी कड़ी में कुल्लू के ढालपुर मैदान में बैंक कर्मचारियों ने (bank workers strike in kullu) विरोध-प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार से आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए बैंकों का निजीकरण नहीं करने की मांग उठाई.
बैंक कर्मचारियों का कहना है कि अगर निजीकरण हुआ तो 10 लाख बैंककर्मियों के परिवारों के साथ ग्रामीण इलाकों में रहने वाले करोड़ों लोगों का नुकसान होगा. उनके लिए बैंकिंग सेवाएं महंगी हो जाएगी. उनका मानना है कि सरकारी बैंकों का निजीकरण बैंककर्मियों के साथ-साथ गरीब जनता के लिए बहुत घातक कदम होगा. गरीब जनता क्या निजी बैंकों में जाएगी, जहां पर खाता ही 5 हजार या 10 हजार की राशि से खुलता है. आज की तारीख में सारी योजनाएं सरकारी बैंकों से होकर जाती है. 97 फीसदी जनधन खाते (himachal jan dhan accounts ) सरकारी बैंकों में हैं, तो 99 फीसदी मुद्रा लोन सरकारी बैंकों ने दिया है. जब बैंकों का निजीकरण होगा तो इनके लिए भी मुश्किलें बढ़ेगी.
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर एसोसिएशन हिमाचल (All India Bank Officers Association Himachal) के सचिव एसएस कपूर का कहना है कि सरकारी क्षेत्रों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में देश भर की सरकारी बैंक कर्मचारी 2 दिनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल (bank workers strike in Himacha) कर रहे हैं. हड़ताल के दौरान देश की 1.18 लाख सरकारी बैंकों और ग्रामीण बैंकों में काम नहीं होगा. उन्होंने कहा कि निजीकरण से बैंक कर्मियों में तो असुरक्षा आएगी ही, उससे ज्यादा नुकसान गरीब लोगों और छोटे व्यापारियों को होगा, जो तीन या चार फीसदी पर लोन पा जाते हैं.
ये भी पढ़ें: शिमला में बैंक कर्मचारियों की हड़ताल, सरकार को दिया ये अल्टीमेटम