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Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: जब हुआ था अटल और मनाली का मिलन तो कविताओं से खिलखिलाया हर मन - मनाली में कवि सम्मेलन

Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की आज जयंती (atal bihari vajpayee birth anniversary) है. अटल बिहारी वाजपेयी एक कवि भी थे. उनकी कविताओं में हर रस था जो किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता था. हिमाचल से उनके लगाव की गवाही उनकी कविताएं भी देती हैं. वो हिमाचल को अपना दूसरा घर कहते थे और कुल्लू के प्रीणी गांव में अटल जी का घर भी है.

atal bihari vajpayee poem recitation in manali
मनाली में अटल बिहारी वाजपेयी का कविता पाठ
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Published : Dec 25, 2021, 7:30 AM IST

कुल्लू: Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की आज जयंती (atal bihari vajpayee birth anniversary) है. उनका जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्‍य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. देशभर में उनकी याद में आज कई कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का हिमाचल से विशेष लगाव था. वो हिमाचल को अपना दूसरा घर (atal bihari connection with himachal) कहते थे और कुल्लू के प्रीणी गांव में अटल जी का घर भी है.

हिमाचल और अटल की कविताएं: अटल बिहारी वाजपेयी एक कवि भी थे. उनकी कविताओं में हर रस था, जो किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता था. उनकी कविताएं हास्य से लेकर कटाक्ष और प्रेरणा से भरपूर होती थीं. हिमाचल से उनके लगाव की गवाही उनकी कविताएं भी देती हैं. उनकी कई कविताओं में हिमाचल का जिक्र (vajpayee poems in himachal) होता था खासकर मनाली का.

जब हुआ अटल और मनाली का मिलन: अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने दूसरे 'घर' हिमाचल में तीन बार कविता पाठ भी किया था. मनाली में माउंटनेयरिंग इंस्टीट्यूट में दो बार और एक दफा अन्य स्थान पर कवि सम्मेलन आयोजित किया गया था. जहां उनकी 'मनाली बुला रही है' कविता पर वहां मौजूद कवि भी झूम उठे.

न केवल प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के दौरान बल्कि वीरभद्र सिंह सरकार के कार्यकाल में भी अटल जी के कवि सम्मेलन हुए. हिमाचल के राज्यपाल स्व. विष्णुकांत शास्त्री भी एक कवि सम्मेलन में मौजूद थे. 'मौत से ठन गई' कविता पाठ के दौरान अटल जी के साथ स्व. विष्णुकांत शास्त्री भी स्टेज पर थे.

मनाली में कवि सम्मेलन (Kavi Sammelan in Manali) के दौरान हिमाचल के कई लेखकों ने अटल बिहारी वाजपेयी को अपनी पुस्तकें भेंट की थीं. उस दौरान मंच संचालन हिमाचल के वरिष्ठ लेखक और तब के भाषा विभाग के उप निदेशक सुदर्शन वशिष्ठ ने किया था. उनका कविता पढ़ने का अंदाज प्रभावशाली रहता था. प्रधानमंत्री बनने के बाद आयोजित कवि सम्मलेन में अटल जी ने कहा था कि अब जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं तो कविता लिखना नहीं हो पाता.

ये भी पढ़ें: 25 दिसंबर : कभी न भूलने वाले शख्सियत थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, एक नजर

कुल्लू: Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की आज जयंती (atal bihari vajpayee birth anniversary) है. उनका जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्‍य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. देशभर में उनकी याद में आज कई कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का हिमाचल से विशेष लगाव था. वो हिमाचल को अपना दूसरा घर (atal bihari connection with himachal) कहते थे और कुल्लू के प्रीणी गांव में अटल जी का घर भी है.

हिमाचल और अटल की कविताएं: अटल बिहारी वाजपेयी एक कवि भी थे. उनकी कविताओं में हर रस था, जो किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता था. उनकी कविताएं हास्य से लेकर कटाक्ष और प्रेरणा से भरपूर होती थीं. हिमाचल से उनके लगाव की गवाही उनकी कविताएं भी देती हैं. उनकी कई कविताओं में हिमाचल का जिक्र (vajpayee poems in himachal) होता था खासकर मनाली का.

जब हुआ अटल और मनाली का मिलन: अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने दूसरे 'घर' हिमाचल में तीन बार कविता पाठ भी किया था. मनाली में माउंटनेयरिंग इंस्टीट्यूट में दो बार और एक दफा अन्य स्थान पर कवि सम्मेलन आयोजित किया गया था. जहां उनकी 'मनाली बुला रही है' कविता पर वहां मौजूद कवि भी झूम उठे.

न केवल प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के दौरान बल्कि वीरभद्र सिंह सरकार के कार्यकाल में भी अटल जी के कवि सम्मेलन हुए. हिमाचल के राज्यपाल स्व. विष्णुकांत शास्त्री भी एक कवि सम्मेलन में मौजूद थे. 'मौत से ठन गई' कविता पाठ के दौरान अटल जी के साथ स्व. विष्णुकांत शास्त्री भी स्टेज पर थे.

मनाली में कवि सम्मेलन (Kavi Sammelan in Manali) के दौरान हिमाचल के कई लेखकों ने अटल बिहारी वाजपेयी को अपनी पुस्तकें भेंट की थीं. उस दौरान मंच संचालन हिमाचल के वरिष्ठ लेखक और तब के भाषा विभाग के उप निदेशक सुदर्शन वशिष्ठ ने किया था. उनका कविता पढ़ने का अंदाज प्रभावशाली रहता था. प्रधानमंत्री बनने के बाद आयोजित कवि सम्मलेन में अटल जी ने कहा था कि अब जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं तो कविता लिखना नहीं हो पाता.

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