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कोरोना काल में किसानों को राहत, आधे दाम में मक्की का बीज दे रही सरकार

कोरोना वायरस के दौर में किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. किसानों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार मक्की और अन्य फसलों के बीज पर 50 फीसदी सब्सिडी दे रही है. ताकि लोगों किसानों को इस मुश्किल भरे दौर में थोड़ी राहत मिल सके.

50 percent subsidy on maize seeds to farmers in himachal
कोरोना काल में किसानों को तोहफा.
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Published : May 30, 2020, 10:29 AM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू के अधिकतर इलाकों में गेहूं की कटाई खत्म होने वाली है. वहीं अब किसान भी अपने खेतों को मक्की की बिजाई के लिए तैयार कर रहे हैं. जिसके चलते कृषि विभाग भी इस साल सभी किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी मक्की के बीज पर दे रहा है. जिसका फायदा घाटी के हजारों किसानों को मिलेगा.

कृषि विभाग उपनिदेशक राजपाल शर्मा ने कहा कि जिले के विभिन्न खंडों में स्थित कृषि विक्रय केंद्रों में कृषि विभाग ने 380 क्विंटल मक्की का बीज उपलब्ध करा दिया है. वहां से किसान अपनी जरूरत के हिसाब से खरीद कर सकते हैं. हालांकि, पहले किसानों को मक्की का बीज 80 रुपए प्रति किलो दिया जाता था लेकिन कोरोना की मार से उबारने के लिए अब कृषि विभाग किसानों को मक्की के बीच पर 50 प्रतिशत सब्सिडी भी प्रदान कर रहा है. अब किसानों को यह बाकी का बीज 40 रुपए प्रति किलो की दर से मिलेगा. जिससे किसानों को काफी फायदा होगा.

इतना ही नहीं इस साल कृषि विभाग ने अन्य सब्जियों के बीजों पर भी किसानों को 50 फिसदी सब्सिडी दी है. जिसमें खीरा टमाटर व अन्य सब्जियों के बीज भी उपलब्ध किए गए हैं. कृषि विभाग के अनुसार किसानों को पशुधन के लिए चारे की समस्या ना हो. इसके लिए भी 80 क्विंटल बीज उपलब्ध करवाया गया है और किसानों को इस पर भी सब्सिडी दी जा रही है.

वीडियो रिपोर्ट.

प्रदेश के इन जिलों में होती है मक्की की खेती

मक्का प्रमुख रूप से खरीफ की फसल है. यह मोटे अनाजों में मुख्य फसल है. प्रदेश में इस फसल का उत्पादन मानसूनी वर्षा के समय होता है. इसकी बुआई जून से लेकर मध्य जुलाई तक होती है. मक्का की फसल के लिए खेत में अधिक पानी जमा होना हानिकारक माना जाता है. मक्के का उत्पादन प्रदेश के शिमला, सोलन, हमीरपुर, कांगड़ा, ऊना, मंडी, कुल्लू जिला में होता है. लाहौल-स्पीति और किन्नौर के कुछ हिस्सों में मक्की की खेती की जाती है.

ऐसे करें मक्के की बिजाई

मानसूनी वर्षा शुरू होने पर मक्के की बिजाई शुरू कर देनी चाहिए. किसानों के पास सिंचाई के साधन हो तो वर्षा शुरू होने के 10 से 15 दिन पहले ही बिजाई करनी चाहिए. मक्की की बिजाई के करीब एक माह बाद मिट्टी चढ़ाने का कार्य करना चाहिए. खेत में पौधों की संख्या 55 से लेकर 88 हजार/हेक्टेयर रखना चाहिए.

लॉकडाउन से किसानों को नुकसान

घाटी की महिला किसान शशि बाला का कहना है कि किसानों ने मक्की की बिजाई के लिए खेतों को तैयार करना शुरू कर दिया है और जल्द ही अब खेतों में मक्की की बिजाई की जाएगी. वहीं, किसान सुरेश शर्मा का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते किसानों को काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में किसानों को सब्सिडी देना सरकार का एक बेहतर निर्णय है.

लॉक डाउन व कर्फ्यू के चलते किसानों को काफी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. वहीं फसलों के उचित दाम न मिलने के चलते उन्हें भी खासा नुकसान हुआ था. अब ऐसे में बीजों पर सब्सिडी मिलने से किसानों को थोड़ी राहत मिली है.

कुल्लू: जिला कुल्लू के अधिकतर इलाकों में गेहूं की कटाई खत्म होने वाली है. वहीं अब किसान भी अपने खेतों को मक्की की बिजाई के लिए तैयार कर रहे हैं. जिसके चलते कृषि विभाग भी इस साल सभी किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी मक्की के बीज पर दे रहा है. जिसका फायदा घाटी के हजारों किसानों को मिलेगा.

कृषि विभाग उपनिदेशक राजपाल शर्मा ने कहा कि जिले के विभिन्न खंडों में स्थित कृषि विक्रय केंद्रों में कृषि विभाग ने 380 क्विंटल मक्की का बीज उपलब्ध करा दिया है. वहां से किसान अपनी जरूरत के हिसाब से खरीद कर सकते हैं. हालांकि, पहले किसानों को मक्की का बीज 80 रुपए प्रति किलो दिया जाता था लेकिन कोरोना की मार से उबारने के लिए अब कृषि विभाग किसानों को मक्की के बीच पर 50 प्रतिशत सब्सिडी भी प्रदान कर रहा है. अब किसानों को यह बाकी का बीज 40 रुपए प्रति किलो की दर से मिलेगा. जिससे किसानों को काफी फायदा होगा.

इतना ही नहीं इस साल कृषि विभाग ने अन्य सब्जियों के बीजों पर भी किसानों को 50 फिसदी सब्सिडी दी है. जिसमें खीरा टमाटर व अन्य सब्जियों के बीज भी उपलब्ध किए गए हैं. कृषि विभाग के अनुसार किसानों को पशुधन के लिए चारे की समस्या ना हो. इसके लिए भी 80 क्विंटल बीज उपलब्ध करवाया गया है और किसानों को इस पर भी सब्सिडी दी जा रही है.

वीडियो रिपोर्ट.

प्रदेश के इन जिलों में होती है मक्की की खेती

मक्का प्रमुख रूप से खरीफ की फसल है. यह मोटे अनाजों में मुख्य फसल है. प्रदेश में इस फसल का उत्पादन मानसूनी वर्षा के समय होता है. इसकी बुआई जून से लेकर मध्य जुलाई तक होती है. मक्का की फसल के लिए खेत में अधिक पानी जमा होना हानिकारक माना जाता है. मक्के का उत्पादन प्रदेश के शिमला, सोलन, हमीरपुर, कांगड़ा, ऊना, मंडी, कुल्लू जिला में होता है. लाहौल-स्पीति और किन्नौर के कुछ हिस्सों में मक्की की खेती की जाती है.

ऐसे करें मक्के की बिजाई

मानसूनी वर्षा शुरू होने पर मक्के की बिजाई शुरू कर देनी चाहिए. किसानों के पास सिंचाई के साधन हो तो वर्षा शुरू होने के 10 से 15 दिन पहले ही बिजाई करनी चाहिए. मक्की की बिजाई के करीब एक माह बाद मिट्टी चढ़ाने का कार्य करना चाहिए. खेत में पौधों की संख्या 55 से लेकर 88 हजार/हेक्टेयर रखना चाहिए.

लॉकडाउन से किसानों को नुकसान

घाटी की महिला किसान शशि बाला का कहना है कि किसानों ने मक्की की बिजाई के लिए खेतों को तैयार करना शुरू कर दिया है और जल्द ही अब खेतों में मक्की की बिजाई की जाएगी. वहीं, किसान सुरेश शर्मा का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते किसानों को काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में किसानों को सब्सिडी देना सरकार का एक बेहतर निर्णय है.

लॉक डाउन व कर्फ्यू के चलते किसानों को काफी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. वहीं फसलों के उचित दाम न मिलने के चलते उन्हें भी खासा नुकसान हुआ था. अब ऐसे में बीजों पर सब्सिडी मिलने से किसानों को थोड़ी राहत मिली है.

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