हमीरपुर: देश को आजाद हुए आज 75 साल हो (Achievements 75) चुके हैं और इस वर्ष को आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) के रूप में मनाया जा रहा है. आजादी (Indian Independence Day) के इस सफर में विश्वस्तर पर देश की शान बढ़ाने वाले खेल जगत के नायकों का भी अहम योगदान रहा है. जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. इसलिए इनका जिक्र भी जरूरी है. ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं विजय कुमार. जी हां वही विजय कुमार जिनका नाम 2012 लंदन ओलंपिक के बाद भारत के घर-घर तक पहुंचा (Olympic medalist from himachal) था.
ओलंपिक में जीता था सिल्वर मेडल: आजादी के अृमत महोत्सव पर देश को 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल श्रेणी में ओलंपिक में इकलौता रजत पदक दिलाने वाले सेवानिवृत कैप्टन विजय कुमार का जिक्र भी जरूरी है. 2012 लंदन ओलंपिक में विजय कुमार (2012 London Olympics) ने शूटिंग में रजत पदक जीता था. हिमाचल के हमीरपुर (Himachal Shooter Vijay Kumar) से संबंध रखने वाले शूटर विजय कुमार ने अपने 19 साल के खेल करियर में 210 अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मेडल जीते हैं. विजय कुमार ने सेना में रहते ये सभी पदक अपने नाम (Vijay Kumar Olympic Medal) किए है.
सेना से बतौर कैप्टन रिटायर हुए विजय कुमार (Vijay Kumar of Hamirpur) एक सैनिक के तौर पर भारतीय सेना में साल 2001 में भर्ती हुए थे. यहां पर सेना के अधिकारियों ने विजय कुमार के कौशल को परखा और 2003 में आधिकारिक तौर पर उनको शूटिंग रेंज की स्पर्धा में उतारा गया. उनके बेहतरीन प्रदर्शन पर उन्हें ट्रेंड करने के लिए उनके साथ एक विदेशी कोच भी तैनात किया गया. वर्तमान में विजय कुमार हिमाचल प्रदेश पुलिस में डीएसपी के पद पर सेवारत (DSP Vijay kumar Himachal) हैं.
विजय के नाम पर शूटिंग रेंज और कई पुरस्कार: सरकार ने उन्हें पद्मश्री, अति विशिष्ट सेवा मेडल और खेल श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार अर्जुन पुरस्कार के अतिरिक्त अन्य कई सम्मान प्रदान किए हैं. हमीरपुर के हरसौर गांव के अंतरराष्ट्रीय शूटर विजय कुमार के नाम पर भोपाल में एक शूटिंग रेंज खोली जाएगी. अक्तूबर 2018 में मध्य प्रदेश की तत्कालीन खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने भोपाल की शूटिंग रेंज (Vijay kumar shooting range Bhopal) का नामकरण करने की घोषणा की थी. उस समय विजय कुमार भी वहीं मौजूद थे. घोषणा के अनुसार शूटिंग रेंज का नाम विजय कुमार शूटिंग रेंज पड़ गया है.
चोट लगने के बाद भी जीता मेडल: विजय हमीरपुर जिले के ग्रामीण परिवेश से आते हैं. उनका परिवार मध्यवर्गीय है. विजय कुमार के पिता बांकूराम ने बताया कि उनकी इच्छा थी कि बेटा कमीशन पास कर अफसर बने. लेकिन विजय जिद पकड़े हुए थे कि उन्हें सेना में भर्ती होना है. वर्ष 2001 में सेना में भर्ती होने के बाद विजय के अफसरों ने विजय की ग्रिप देख उसे पिस्टल शूटिंग में तराशा. कंधे में चोट लगने के बावजूद विजय ने इंचियोन एशियाई खेलों में पिस्टल शूटिंग में रजत पदक हासिल किया था. डॉक्टरों ने उन्हें आराम की सलाह दी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी प्रैक्टिस जारी रखी और मेडल जीता.
ओलंपिक गोल्ड पर विजय की नजर: विजय कुमार दिल्ली में नेशनल स्क्वाडमें प्रैक्टिस कर रहे है. यहां पर विदेशी कोच उन खिलाड़ियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं जिन्हें विभिन्न श्रेणियों में टाॅप थ्री में जगह मिली है. यहां पर विजय कुमार भी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. दिनभर घंटों रेंज में वह प्रैक्टिस करते हैं. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य ओलंपिक (olympic athlete vijay kumar shooter) में गोल्ड जीतना है. इस लक्ष्य को लेकर ही इन दिनों वह प्रशिक्षण ले रहे हैं.
ये भी पढ़ें: हिमाचल के वेटलिफ्टर विकास ठाकुर की कहानी, फावड़ा उठाने से लेकर CWG में मेडल की हैट्रिक तक