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लॉकडाउन में गर्भवती महिलाओं की नहीं हुई नियमित जांच, हमीरपुर में 1838 बच्चे जन्मे

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Published : Aug 21, 2020, 2:25 PM IST

Updated : Aug 22, 2020, 11:31 AM IST

कोविड-19 की वजह से घोषित हुए लॉकडाउन में गर्भवती महिलाओं को टेस्ट और अल्ट्रासाउंड की सुविधा ना मिलने पर परेशानी का सामना करना पड़ा था. हालांकि अनलॉक प्रक्रिया शुरू होने से अब ये सुविधाएं गर्भवती महिलाओं को मिल रही हैं.

pregnant women had face problem due to no facility for Routine checkup during lockdown
डिजाइन फोटो

सुजानपुर/ हमीरपुर: कोरोना महामारी के कारण घोषित हुए लॉकडाउन की वजह से गर्भवती महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ा था, क्योंकि इस दौरान गर्भवती महिलाओं के टेस्ट और अल्ट्रासाउंड नहीं हुए थे. वहीं, अस्पताल प्रशासन का दावा है कि इस अवधी में गर्भवती महिलाओं को कोई दिक्कतें नहीं आई हैं. इसके अलावा इसी मियाद में मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में 1 हजार 838 बच्चों ने जन्म लिया है, जबकि बड़सर के सिविल अस्पताल में 32 बच्चों की किलकारियां गुंजी हैं.

गर्भवती महिला दीक्षा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनके टेस्ट और अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाए थे, जिससे उन्हें समस्या आई थी. हालांकि अनलॉक प्रक्रिया शुरू होने से अब सरकारी अस्पताल में टेस्ट और अल्ट्रासाउंड होना शुरू हो गए हैं.

वीडियो

वहीं, हमीरपुर मेडिकल कॉलेज में भी लॉकडाउन से लेकर अब तक 1838 बच्चों की किलकारियां गूंज चुकी हैं, जिसमें से 421 नॉर्मल डिलीवरी हुई हैं, जबकि 1 हजार 417 बच्चों का जन्म ऑपरेशन से हुआ है. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना महामारी से बचाने के लिए जच्चा और बच्चा को लेकर पूरी ऐहतियात बरती थी.

बड़सर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ राकेश ठाकुर ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान बड़सर अस्पताल में 32 बच्चों ने जन्म लिया है. उन्होंने कहा कि बड़सर अस्पताल में केवल नॉर्मल डिलीवरी ही करवाई जाती है, जबकि सीरियस और सिजेरियन डिलीवरी वाली गर्भवती महिलाओं को हमीरपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाता है, क्योंकि बड़सर अस्पताल में गायनी स्पेश्लिस्ट का पद स्वीकृत नहीं है.

मेडिकल कॉलेज के एमएस अनिल वर्मा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान अस्पताल पूरी तरह से खुला रहा था. इस दौरान 1 हजार 850 डिलीवरी करवाई गई हैं. उन्होंने कहा कि डिलीवरी के वक्त कोरोना संक्रमण के बचाव को पूरा ध्यान में रखा गया, ताकि कोविड-19 का खतरा मां और बच्चे पर ना पड़े.

बता दें कि मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में हर रोज कई मरीज इलाज करवाने के लिए अस्पताल पहुंचते हैं. वहीं, अब अस्पताल में फ्लू और स्क्रब टायफस के मरीज भी आना शुरू हो गए हैं, जिससे अस्पताल में मरीजों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है.

मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में सर्जरी से पहले भी सावधानी बरती जा रही है. साथ ही बरसात से पहले 1000 से 1200 मरीज हर दिन इलाज करवाने के लिए अस्पताल में पहुंचते थे, लेकिन अब ये आंकड़ा डेढ़ हजार तक पहुंच चुका है. गर्मियों और बरसात के दिनों में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है, जबकि सर्दियों के दिनों में संख्या कम रहती है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल प्रदेश में आज क्या रहेंगे पेट्रोल और डीजल के दाम, जानिए यहां

सुजानपुर/ हमीरपुर: कोरोना महामारी के कारण घोषित हुए लॉकडाउन की वजह से गर्भवती महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ा था, क्योंकि इस दौरान गर्भवती महिलाओं के टेस्ट और अल्ट्रासाउंड नहीं हुए थे. वहीं, अस्पताल प्रशासन का दावा है कि इस अवधी में गर्भवती महिलाओं को कोई दिक्कतें नहीं आई हैं. इसके अलावा इसी मियाद में मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में 1 हजार 838 बच्चों ने जन्म लिया है, जबकि बड़सर के सिविल अस्पताल में 32 बच्चों की किलकारियां गुंजी हैं.

गर्भवती महिला दीक्षा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनके टेस्ट और अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाए थे, जिससे उन्हें समस्या आई थी. हालांकि अनलॉक प्रक्रिया शुरू होने से अब सरकारी अस्पताल में टेस्ट और अल्ट्रासाउंड होना शुरू हो गए हैं.

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वहीं, हमीरपुर मेडिकल कॉलेज में भी लॉकडाउन से लेकर अब तक 1838 बच्चों की किलकारियां गूंज चुकी हैं, जिसमें से 421 नॉर्मल डिलीवरी हुई हैं, जबकि 1 हजार 417 बच्चों का जन्म ऑपरेशन से हुआ है. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना महामारी से बचाने के लिए जच्चा और बच्चा को लेकर पूरी ऐहतियात बरती थी.

बड़सर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ राकेश ठाकुर ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान बड़सर अस्पताल में 32 बच्चों ने जन्म लिया है. उन्होंने कहा कि बड़सर अस्पताल में केवल नॉर्मल डिलीवरी ही करवाई जाती है, जबकि सीरियस और सिजेरियन डिलीवरी वाली गर्भवती महिलाओं को हमीरपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाता है, क्योंकि बड़सर अस्पताल में गायनी स्पेश्लिस्ट का पद स्वीकृत नहीं है.

मेडिकल कॉलेज के एमएस अनिल वर्मा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान अस्पताल पूरी तरह से खुला रहा था. इस दौरान 1 हजार 850 डिलीवरी करवाई गई हैं. उन्होंने कहा कि डिलीवरी के वक्त कोरोना संक्रमण के बचाव को पूरा ध्यान में रखा गया, ताकि कोविड-19 का खतरा मां और बच्चे पर ना पड़े.

बता दें कि मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में हर रोज कई मरीज इलाज करवाने के लिए अस्पताल पहुंचते हैं. वहीं, अब अस्पताल में फ्लू और स्क्रब टायफस के मरीज भी आना शुरू हो गए हैं, जिससे अस्पताल में मरीजों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है.

मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में सर्जरी से पहले भी सावधानी बरती जा रही है. साथ ही बरसात से पहले 1000 से 1200 मरीज हर दिन इलाज करवाने के लिए अस्पताल में पहुंचते थे, लेकिन अब ये आंकड़ा डेढ़ हजार तक पहुंच चुका है. गर्मियों और बरसात के दिनों में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है, जबकि सर्दियों के दिनों में संख्या कम रहती है.

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Last Updated : Aug 22, 2020, 11:31 AM IST
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