हमीरपुर: एक तरफ पूरे देश में कोरोना महामारी का प्रकोप है, तो वहीं, कोरोना संकटकाल में फ्लू और स्क्रब टायफस नामक बीमारी ने भी अपने पांव पसारना शुरू कर दिया है, जिसके चलते अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. कोविड-19 के कारण पहले से ही अर्थव्यवस्था विकास की पटरी से नीचे उतरी हुई है. ऊपर से फ्लू बीमारी आने पर लोगों दोहरी मार पड़ रही है, जिससे उनको परेशानी से दो-चार होना पड़ रहा है. हालांकि पिछले साल के मुकाबले इस साल मरीजों की संख्या में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है, लेकिन आम दिनों के मुकाबले बरसात में जो हर साल बढ़ोतरी होती हैं, वो इस बार भी देखने को मिल रही है.
मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनिल वर्मा ने बताया कि मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में बरसात के दिनों में मरीजों की संख्या बढ़ गई है, लेकिन कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए अस्पताल के अंदर दाखिल मरीजों के इलाज में सावधानी बरती जा रही है. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के गेट पर ही फ्लू ओपीडी भी लगाई गई है. उन्होंने कहा कि कोरोना के लक्षण भी आम सर्दी जुकाम की तरह ही है, जिससे लोगों नजदीकी अस्पताल जाकर अपना चेकअप करवाना चाहिए.
एमडी मेडिसिन डॉक्टर भावेश ने बताया कि जल जनित रोगों का खतरा बरसात में बढ़ जाता है, जिससे इन रोगों से बचाव जरूरी है. उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज में इन दिनों हर दिन 5 से 7 मरीज स्क्रब टायफस के सामने आ रहे हैं, जिसके चलते सावधानी बरतना आवश्यक है. साथ ही कहा कि जल जनित रोगों के अलावा खांसी, जुकाम, बुखार के मरीज भी अस्पताल में बढ़ गए हैं. वहीं, अगर किसी को पीलिया और बुखार के लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर चेकअप करवाना चाहिए.
मॉनसून में होने वाले फ्लू के लक्षण और कोरोना वायरस के लक्षण आपस में बहुत मिलते जुलते हैं. ऐसे में इनकी सही पहचान बहुत जरूरी है. मॉनसून के मौसम में लोगों को आमतौर पर खांसी, बदन में दर्द, सिरदर्द, मांसपेशियों में खिंचाव, नाक बंद होना और सांस लेने में परेशानी जैसी समस्याएं आती हैं. पीड़ित में जुकाम (नाक बहना), खांसी, सिरदर्द, आंखों का लाल होना और आंखों से पानी आना फ्लू के मुख्य लक्षण हैं.
बता दें कि मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में सर्जरी से पहले भी सावधानी बरती जा रही है. साथ ही बरसात से पहले 1000 से 1200 मरीज हर दिन इलाज करवाने के लिए अस्पताल में पहुंचते थे, लेकिन अब ये आंकड़ा डेढ़ हजार तक पहुंच चुका है. गर्मियों और बरसात के दिनों में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है, जबकि सर्दियों के दिनों में संख्या कम रहती हैं. वहीं मेडिकल कॉलेज के विभिन्न वार्ड की बात की जाए तो 300 बेड की कैपेसिटी हमीरपुर मेडिकल कॉलेज में है, लेकिन 200 से 250 बेड पर ही मरीज दाखिल हैं. सर्दियों के दिनों में सौ से डेढ़ सौ बेड पर ही मरीज होते हैं, लेकिन बरसात के दिनों में कई दफा बेड की कमी भी पेश आती है.
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