हमीरपुर: प्रदेश सरकार द्वारा चुनावी साल में कर्मचारियों के प्रदर्शन पर कार्रवाई किए जाने की नोटिफिकेशन पर संयुक्त कर्मचारी महासंघ तल्ख हो गया है. ईटीवी भारत ने संयुक्त कर्मचारी महासंघ (Himachal Joint Employees Association) के मुख्य नेताओं के साथ विशेष बातचीत की और सरकार की इस अधिसूचना पर उनकी राय जानी. दरअसल प्रदेश सरकार द्वारा आदेश जारी किए गए हैं कि यदि कोई कर्मचारी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करता है, तो उनके खिलाफ नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी.
कर्मचारियों को सरकार की इस चेतावनी पर संयुक्त कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि पहले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के मंत्रियों की जुबान फिसला करती थी, लेकिन पहली बार खुद मुख्यमंत्री की जुबान (CM Jairam statement) फिसली है. मुख्यमंत्री द्वारा की गई टिप्पणी के ऊपर यह कहना गलत नहीं होगा कि हिमाचल के इतिहास में पहली बार कर्मचारियों का इस तरह से अपमान किया गया है.
उन्होंने कहा कि नए वेतनमान में 30 प्रतिशत के लगभग कर्मचारियों को रिकवरी का सामना करना पड़ा है, ऐसे में इसे वेतन आयोग नहीं, बल्कि रिकवरी आयोग कहना गलत नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा कर्मचारियों को विपक्ष द्वारा गुमराह किए जाने की बात कही जा रही है, लेकिन कर्मचारियों को न तो कांग्रेस ने गुमराह किया है और न ही अन्य राजनीतिक दलों ने. कर्मचारी नए वेतन आयोग से गुमराह हुए हैं, जिस वजह से उन्हें सड़कों पर उतरना पड़ा है.
उन्होंने कहा कि वेतन आयोग (Pay commission in Himachal) में जो विसंगतियां हैं, उस वजह से ही कर्मचारी परेशान है. वहीं, संयुक्त कर्मचारी महासंघ के कोऑर्डिनेटर कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने कहा कि यह कर्मचारियों को की आवाज को दबाने का प्रयास है. यदि मुख्यमंत्री और सरकार ने आनन-फानन में यह अधिसूचना जारी की है, तो इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए. इससे पहले भी सरकार को 13 दिन का अल्टीमेटम दिया गया था, लेकिन अब आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ा है. सरकार को ब्यूरोक्रेसी गुमराह कर रही है.
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