हमीरपुर: जिला हमीरपुर के अंतर्गत वन परिक्षेत्र बिझड़ी के खारल जंगल में लॉकडाउन के दौरान वन माफिया ने खैर के दर्जनों पेड़ों का सफाया कर दिया. ये जंगल डीपीएफ श्रेणी में आता है, जहां से किसी भी गतिविधि के लिए विशेष अनुमति की जरूरत होती है, लेकिन इसी डीपीएफ एरिया में वन माफिया ने दर्जनों पेड़ों को काटकर लॉकडाउन के दौरान ही ठिकाने लगा दिये.
पेड़ों के इस अवैध कटान का मामला क्षेत्र के लोगों की वन विभाग को की गई शिकायत के बाद उजागर हुआ. विभाग के उच्च अधिकारियों के संज्ञान में जब मामला आया तो उप वन संरक्षक ने खारल जंगल के कुछ भाग का मुआयना कर मौके पर 26 खैर के पेड़ों के कटे होने की पुष्टि की और इनमें से 21 पेड़ों की पांच लोगों के नाम डैमेज रिपोर्ट काटी गई. इस डैमेज रिपोर्ट में लगभग नौ लाख 14 हजार की पेनल्टी लगाई गई है, जबकि जंगल में खैर के सैकड़ों पेड़ों के कटे होने की संभावना जताई जा रही है. इन पेड़ों की कीमत करोड़ों में बताई जा रही है.
वन विभाग में की गई शिकायत में 200 पेड़ कटे होने का दावा किया गया है. बेशक विभाग ने कुछ लोगों के नाम डैमेज रिपोर्ट काटकर काम खत्म कर दिया है, लेकिन पेड़ काटने वाले असली सरगना का पता नहीं चल पाया है. बताया जा रहा है कि वन माफिया ने अपने आप को पीछे रखकर कुछ मोहरों को आगे कर दिया है, ताकि उनकी छवि जनता के बीच पाक साफ बनी रहे.
हैरत की बात ये भी है कि बिझड़ी वन परिक्षेत्र कार्यालय व पैहरवीं बीट गार्ड कार्यालय से खारल जंगल की दूरी मात्र 500 मीटर है. यानि विभाग के नाक के नीचे करोड़ों की वन संपदा उजाड़ दी गई, लेकिन विभाग मूकदर्शक बना रहा. ऐसे में विभागीय कर्मियों की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में है.
बिझड़ी वन परिक्षेत्र अधिकारी अंकुश ठाकुर का कहना है कि उसने हाल ही में ज्वाइन किया है. शिकायत के आधार पर एसीएफ के नेतृत्व में विभाग की टीम ने दौरा किया, जिसमें 26 खैर के पेड़ों के कटे होने की पुष्टि की गई है. खारल जंगल में और भी पेड़ों के कटे होने की संभावना के चलते जंगल का निरीक्षण किया जा रहा है. दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा. जरूरत पड़ी तो इनके खिलाफ एफआईआर भी करवाई जाएगी.
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