ETV Bharat / city

सुजान लोगों की नगरी में होली उत्सव का इतिहास 300 साल पुराना, जानें क्या है यहां की अनूठी परंपरा - हिमाचल प्रदेश न्यूज़

सुजानपुर में 15 मार्च को ऐतिहासिक होली उत्सव (History of Holi Fair of Sujanpur) का आगाज होगा. सुजानपुर का होली मेला देशभर में काफी प्रसिद्ध है. मेले का इतिहास तीन सौ साल पुराना है. आग पढ़ें पूरा इतिहास...

History of Holi Fair of Sujanpur
सुजानपुर होली मेला
author img

By

Published : Mar 14, 2022, 6:00 PM IST

हमीरपुर: सुजान लोगों की नगरी कही जाने वाली सुजानपुर में 15 मार्च को ऐतिहासिक होली उत्सव का आगाज होगा. इस बार यह अनूठा पर्व हिमाचल के सुजानपुर शहर में 15 से 18 मार्च तक मनाया जा रहा है. सुजानपुर की होली अपने आप में सैकड़ों वर्षो का इतिहास समेटे हुए हैं.

रियासतों के दौर में शुरू हुई परंपरा आज भी यहां पर जारी है. सुजानपुर का होली मेला देशभर में काफी प्रसिद्ध है. मेले का इतिहास तीन सौ साल पुराना है. इतिहासकारों के मुताबिक कटोच वंश के 481वें महाराजा संसार चंद ने हिमाचल (History of Holi Fair of Sujanpur) के हमीरपुर के सुजानपुर के चौगान में 1795 में प्रजा के साथ पहली बार राजमहल में तैयार खास तरह के गुलाल होली खेली थी. सुजानपुर नगर जो आज शहर हो चुका है यहां पर करीब 300 वर्ष पुराने राधा कृष्ण मंदिर से होली का राजा ने आगाज किया था.

तालाब में तैयार किया जाता था रंग: कहा जाता है कि सुजानपुर टीहरा में होली रंग तालाब में तैयार किया जाता है और यह उत्सव तीन दिन तक चलता है. रियासतों का दौर तो अब बीत गया है लेकिन इस उत्सव में मुख्य अतिथि के लिए आज ही रथ लाया जाता है. इसमें सवार होकर मुख्य अतिथि शोभायात्रा में भाग लेते हैं.

इस बार 15 मार्च यानी मंगलवार को शुरू होने वाले इस ऐतिहासिक उत्सव में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे. मंगलवार को एक बार फिर रियासतों के दौर के प्राचीन परंपराएं भी निभाई जाएंगी. हालांकि अब तालाब में रंग तैयार करने की परंपरा चलन भी नहीं रही है.

चौगान में राजा की सेनाएं करती थी अभ्यास: सुजानपुर शहर में का चौगान मैदान आज भी सुंदरता का प्रतीक है. रियासतों के दौर में कटोच वंश के राजाओं की सेनाएं जहां अभ्यास किया करती थी. बाद में जब उत्सव मनाया जाने लगा तो यहां पर लोग मिलजुलकर होली खेलते थे और राजा भी प्रजा के साथ मिलकर यह होली खेलने के लिए आते थे. यह चौगान मैदान 514 कनाल पर समतल है.

मैदान के एक कोने में राजा संसार चंद ने 1785 ई. में मुरली मनोहर मंदिर बनवाया था. इस मंदिर का निर्माण राजा संसार चंद ने बैजनाथ स्थित शिव मंदिर के अनुरूप ही करवाया था. होली मेले से मुरली मनोहर मंदिर का अहम नाता है यह पर पूजा अर्चना के बाद यह राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव शुरू होता है. रियासतों के दौर में जहां पर राजा-रानी स्वयं पूजा किया करते थे. वर्तमान में मेले में बतौर मुख्य अतिथि आने वाले राजनेता अथवा अधिकारी इस परंपरा को पूरा करते हैं.

घमंड चंद ने की थी नगर की स्थापना: इस उत्सव की गौरवमय इतिहास से पहले आपको सुजानपुर के इतिहास के बारे में बताते हैं. कहा जाता है कि नगर की स्थापना करने का कार्य 1761 ईस्वी में कटोच वंश के राजा घमंड चंद ने शुरू किया था.

इस नगर को संपूर्ण करने का श्रेय उनके पोते संसार चंद को प्राप्त हुआ. कला के प्रेमी राजा संसार चंद ने इस नगर का निर्माण कलात्मक ढंग से करवाया. यह नगर ब्यास नदी के बाएं तट पर स्थित है. कहा जाता है कि संसार चंद ने इसे अपनी राजधानी बनाया था. उन्होंने देश के विख्यात कलाकर, विद्वान एवं सुयोग्य व्यक्ति यहां लाकर बसाए. तभी से सुजान व्यक्तियों की सुंदर बस्ती सुजानपुर कहा जाने लगा.

खंडहर हो चुका है 481वें महाराजा संसार चंद का महल: सुजानपुर चौगान मैदान से 3 किलोमीटर दूर ऊंची पहाड़ी पर राजा संसार चंद के महल स्थित हैं. यह महल इन दिनों खंडहर हो चुका है. राजा संसार चंद ने अपने शासनकाल में 1775 से 1823 ई. के दौरान सुजानपुर टीहरा में अनेक भव्य भवनों एवं मंदिरों का निर्माण करवाया था. माना जाता है कि कांगड़ा चित्रकला उनके शासन काल में काफी फली-फूली. यहां के सुंदर मंदिरों की दीवारों पर आज भी कांगड़ा कलम के मनोहारी चित्र आज भी जिंदा है.

ये भी पढ़ें- सरकार के खिलाफ युवा कांग्रेस का प्रदर्शन, पुलिस ने निगम भंडारी के फाड़े कपड़े, मीडिया को कवरेज से रोका

विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

हमीरपुर: सुजान लोगों की नगरी कही जाने वाली सुजानपुर में 15 मार्च को ऐतिहासिक होली उत्सव का आगाज होगा. इस बार यह अनूठा पर्व हिमाचल के सुजानपुर शहर में 15 से 18 मार्च तक मनाया जा रहा है. सुजानपुर की होली अपने आप में सैकड़ों वर्षो का इतिहास समेटे हुए हैं.

रियासतों के दौर में शुरू हुई परंपरा आज भी यहां पर जारी है. सुजानपुर का होली मेला देशभर में काफी प्रसिद्ध है. मेले का इतिहास तीन सौ साल पुराना है. इतिहासकारों के मुताबिक कटोच वंश के 481वें महाराजा संसार चंद ने हिमाचल (History of Holi Fair of Sujanpur) के हमीरपुर के सुजानपुर के चौगान में 1795 में प्रजा के साथ पहली बार राजमहल में तैयार खास तरह के गुलाल होली खेली थी. सुजानपुर नगर जो आज शहर हो चुका है यहां पर करीब 300 वर्ष पुराने राधा कृष्ण मंदिर से होली का राजा ने आगाज किया था.

तालाब में तैयार किया जाता था रंग: कहा जाता है कि सुजानपुर टीहरा में होली रंग तालाब में तैयार किया जाता है और यह उत्सव तीन दिन तक चलता है. रियासतों का दौर तो अब बीत गया है लेकिन इस उत्सव में मुख्य अतिथि के लिए आज ही रथ लाया जाता है. इसमें सवार होकर मुख्य अतिथि शोभायात्रा में भाग लेते हैं.

इस बार 15 मार्च यानी मंगलवार को शुरू होने वाले इस ऐतिहासिक उत्सव में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे. मंगलवार को एक बार फिर रियासतों के दौर के प्राचीन परंपराएं भी निभाई जाएंगी. हालांकि अब तालाब में रंग तैयार करने की परंपरा चलन भी नहीं रही है.

चौगान में राजा की सेनाएं करती थी अभ्यास: सुजानपुर शहर में का चौगान मैदान आज भी सुंदरता का प्रतीक है. रियासतों के दौर में कटोच वंश के राजाओं की सेनाएं जहां अभ्यास किया करती थी. बाद में जब उत्सव मनाया जाने लगा तो यहां पर लोग मिलजुलकर होली खेलते थे और राजा भी प्रजा के साथ मिलकर यह होली खेलने के लिए आते थे. यह चौगान मैदान 514 कनाल पर समतल है.

मैदान के एक कोने में राजा संसार चंद ने 1785 ई. में मुरली मनोहर मंदिर बनवाया था. इस मंदिर का निर्माण राजा संसार चंद ने बैजनाथ स्थित शिव मंदिर के अनुरूप ही करवाया था. होली मेले से मुरली मनोहर मंदिर का अहम नाता है यह पर पूजा अर्चना के बाद यह राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव शुरू होता है. रियासतों के दौर में जहां पर राजा-रानी स्वयं पूजा किया करते थे. वर्तमान में मेले में बतौर मुख्य अतिथि आने वाले राजनेता अथवा अधिकारी इस परंपरा को पूरा करते हैं.

घमंड चंद ने की थी नगर की स्थापना: इस उत्सव की गौरवमय इतिहास से पहले आपको सुजानपुर के इतिहास के बारे में बताते हैं. कहा जाता है कि नगर की स्थापना करने का कार्य 1761 ईस्वी में कटोच वंश के राजा घमंड चंद ने शुरू किया था.

इस नगर को संपूर्ण करने का श्रेय उनके पोते संसार चंद को प्राप्त हुआ. कला के प्रेमी राजा संसार चंद ने इस नगर का निर्माण कलात्मक ढंग से करवाया. यह नगर ब्यास नदी के बाएं तट पर स्थित है. कहा जाता है कि संसार चंद ने इसे अपनी राजधानी बनाया था. उन्होंने देश के विख्यात कलाकर, विद्वान एवं सुयोग्य व्यक्ति यहां लाकर बसाए. तभी से सुजान व्यक्तियों की सुंदर बस्ती सुजानपुर कहा जाने लगा.

खंडहर हो चुका है 481वें महाराजा संसार चंद का महल: सुजानपुर चौगान मैदान से 3 किलोमीटर दूर ऊंची पहाड़ी पर राजा संसार चंद के महल स्थित हैं. यह महल इन दिनों खंडहर हो चुका है. राजा संसार चंद ने अपने शासनकाल में 1775 से 1823 ई. के दौरान सुजानपुर टीहरा में अनेक भव्य भवनों एवं मंदिरों का निर्माण करवाया था. माना जाता है कि कांगड़ा चित्रकला उनके शासन काल में काफी फली-फूली. यहां के सुंदर मंदिरों की दीवारों पर आज भी कांगड़ा कलम के मनोहारी चित्र आज भी जिंदा है.

ये भी पढ़ें- सरकार के खिलाफ युवा कांग्रेस का प्रदर्शन, पुलिस ने निगम भंडारी के फाड़े कपड़े, मीडिया को कवरेज से रोका

विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.