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कर्मचारी चयन आयोग के सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी,  29 नवंबर को होगी सुनवाई

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की एक खंडपीठ ने जूनियर पर्यावरण अभियंता के पद के लिए चयन से संबंधित एक मामले में जितेंद्र कंवर को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि अदालत को गुमराह करने के प्रयास के लिए लिए क्यों न उसे दंडित नहीं किया जाए. इस मामले पर सुनवाई 29 नवंबर को होगी.

Staff Selection Commission Secretary in Hamirpur
कर्मचारी चयन आयोग के सचिव को कारण बताओ नोटिस
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Published : Nov 26, 2019, 9:52 AM IST

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के सचिव जितेंद्र कंवर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने यह नोटिस अदालत को जानबूझकर गुमराह करने के कारण जारी किया है.

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की एक खंडपीठ ने जूनियर पर्यावरण अभियंता के पद के लिए चयन से संबंधित एक मामले में जितेंद्र कंवर को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि अदालत को गुमराह करने के प्रयास के लिए लिए क्यों न उसे दंडित नहीं किया जाए. इस मामले पर सुनवाई 29 नवंबर को होगी.

वीडियो रिपोर्ट

खंडपीठ ने आदेश मंडी के केहर सिंह की ओर से दायर याचिका पर दिए. केहर सिंह ने आरोप लगाया है कि कर्मचारी चयन आयोग ने हिमाचल के कनिष्ठ पर्यावरण अभियंता के 12 पदों को अधिसूचित किया था. राज्य पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में ओबीसी श्रेणी के लिए दो पद आरक्षित थे.

केहर सिंह ने याचिका में आरोप लगाया है कि चयनित सूची में 12 उम्मीदवारों को जूनियर पर्यावरण इंजीनियर की नियुक्ति के लिए सिफारिश की गई थी. राज्य पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रतीक्षा सूची और अंतिम चयन सूची भी तैयार की थी.

इस प्रतीक्षा सूची में याचिकाकर्ता क्रमांक नंबर एक पर था. उन्होंने आरोप लगाया है कि ओबीसी श्रेणी के जूनियर पर्यावरण अभियंता ने ज्वाइन करने के एक सप्ताह के भीतर ही नौकरी छोड़ दी और ओबीसी श्रेणी के खिलाफ जूनियर इंजीनियर का पद खाली हो गया. याचिकाकर्ता प्रतीक्षा सूची में अगला उम्मीदवार होने के चलते नियुक्ति के लिए विचार करने का हकदार है, लेकिन अभी तक उसके नाम पर विचार नहीं किया गया है.

याचिकाकर्ता ने रिक्त पद के खिलाफ कनिष्ठ पर्यावरण अभियंता के पद पर नियुक्ति के लिए विचार करने की प्रार्थना की है. सुनवाई के दौरान आयोग ने प्रतीक्षा सूची के संबंध में नियम 16.6 और 16.8 का हवाला दिया जबकि न्यायालय ने पाया कि नियम 16.8 में 15 सितंबर 2016 को संशोधन किया गया था. न्यायालय ने कहा कि कर्मचारी चयन आयोग की ओर से अपरिवर्तित नियमों का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता के दावे को विफल करने और न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश की गई है.

ये भी पढ़ें: पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने व स्कूलों में रिक्त पदों को भरने के लिए सड़कों पर उतरे शिक्षक, आमरण अनशन की दी चेतावनी

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के सचिव जितेंद्र कंवर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने यह नोटिस अदालत को जानबूझकर गुमराह करने के कारण जारी किया है.

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की एक खंडपीठ ने जूनियर पर्यावरण अभियंता के पद के लिए चयन से संबंधित एक मामले में जितेंद्र कंवर को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि अदालत को गुमराह करने के प्रयास के लिए लिए क्यों न उसे दंडित नहीं किया जाए. इस मामले पर सुनवाई 29 नवंबर को होगी.

वीडियो रिपोर्ट

खंडपीठ ने आदेश मंडी के केहर सिंह की ओर से दायर याचिका पर दिए. केहर सिंह ने आरोप लगाया है कि कर्मचारी चयन आयोग ने हिमाचल के कनिष्ठ पर्यावरण अभियंता के 12 पदों को अधिसूचित किया था. राज्य पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में ओबीसी श्रेणी के लिए दो पद आरक्षित थे.

केहर सिंह ने याचिका में आरोप लगाया है कि चयनित सूची में 12 उम्मीदवारों को जूनियर पर्यावरण इंजीनियर की नियुक्ति के लिए सिफारिश की गई थी. राज्य पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रतीक्षा सूची और अंतिम चयन सूची भी तैयार की थी.

इस प्रतीक्षा सूची में याचिकाकर्ता क्रमांक नंबर एक पर था. उन्होंने आरोप लगाया है कि ओबीसी श्रेणी के जूनियर पर्यावरण अभियंता ने ज्वाइन करने के एक सप्ताह के भीतर ही नौकरी छोड़ दी और ओबीसी श्रेणी के खिलाफ जूनियर इंजीनियर का पद खाली हो गया. याचिकाकर्ता प्रतीक्षा सूची में अगला उम्मीदवार होने के चलते नियुक्ति के लिए विचार करने का हकदार है, लेकिन अभी तक उसके नाम पर विचार नहीं किया गया है.

याचिकाकर्ता ने रिक्त पद के खिलाफ कनिष्ठ पर्यावरण अभियंता के पद पर नियुक्ति के लिए विचार करने की प्रार्थना की है. सुनवाई के दौरान आयोग ने प्रतीक्षा सूची के संबंध में नियम 16.6 और 16.8 का हवाला दिया जबकि न्यायालय ने पाया कि नियम 16.8 में 15 सितंबर 2016 को संशोधन किया गया था. न्यायालय ने कहा कि कर्मचारी चयन आयोग की ओर से अपरिवर्तित नियमों का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता के दावे को विफल करने और न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश की गई है.

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Intro:जानबूझकर अदालत को गुमराह करने पर प्रदेश हाईकोर्ट ने कर्मचारी चयन आयोग को जारी किया नोटिस
हमीरपुर.
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के सचिव जितेंद्र कंवर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। बताया जा रहा है कि यह नोटिस अदालत को जानबूझकर गुमराह करने के कारण जारी किया गया है. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की एक खंडपीठ ने जूनियर पर्यावरण अभियंता के पद के लिए चयन से संबंधित एक मामले में जितेंद्र कंवर को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि इसके लिए क्यों न उसे दंडित नहीं किया जाए। मामले पर सुनवाई 29 नवंबर को होगी।



Body:खंडपीठ ने ये आदेश मंडी के  केहर सिंह की ओर से दायर याचिका पर दिए। केहर सिंह ने आरोप लगाया है कि कर्मचारी चयन आयोग ने हिमाचल में कनिष्ठ पर्यावरण अभियंता के 12 पदों को अधिसूचित किया गया था। राज्य पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में ओबीसी (यूआर) श्रेणी के लिए दो पद आरक्षित थे। याचिका में आरोप लगाया है कि चयनित सूची में 12 उम्मीदवारों को जूनियर पर्यावरण इंजीनियर की नियुक्ति बारे सिफारिश की गई थी। राज्य पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रतीक्षा सूची और अंतिम चयन सूची भी तैयार की थी।

इसमें याचिकाकर्ता प्रतीक्षा सूची में क्रमांक नंबर एक पर था। उन्होंने आरोप लगाया है कि ओबीसी श्रेणी के जूनियर पर्यावरण अभियंता ने ज्वाइन करने के एक सप्ताह के भीतर नौकरी छोड़ दी और ओबीसी श्रेणी के खिलाफ  जूनियर इंजीनियर का पद खाली हो गया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि वह चयनित सूची/ प्रतीक्षा सूची में अगला उम्मीदवार होने के चलते नियुक्ति के लिए विचार करने का हकदार है, लेकिन अभी तक उसके नाम पर विचार नहीं किया गया है।



Conclusion:याचिकाकर्ता ने उनसे रिक्त पद के खिलाफ कनिष्ठ पर्यावरण अभियंता के पद पर नियुक्ति के लिए विचार करने की प्रार्थना की है। सुनवाई के दौरान आयोग द्वारा प्रतीक्षा सूची/ पैनल के संबंध में नियम 16.6 और 16.8 का हवाला दिया गया जबकि न्यायालय ने पाया कि नियम 16.8 में 15 सितंबर 2016 संशोधन कर दिया गया था। न्यायालय ने कहा कि इसमें कोई संकोच नहीं है कि कर्मचारी चयन आयोग की ओर से अपरिवर्तित नियमों का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता के दावे को विफल करने और न्यायालय को गुमराह करने कोशिश कि गई है  
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