हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश एक ऐसा राज्य है जो अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपरा के लिए अलग पहचान रखता है. हिमाचल में पूरे साल कई त्योहारों और मेलों का आयोजन किया जाता है. जो देशी और विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं. इस तरह हिमाचल का हमीर उत्सव भी (hamir festival celebrated in hamirpur) है, जो जिला हमीरपुर में मनाया जाता है. लेकिन कोरोना काल से अब तक जिला हमीरपुर में राज्यस्तरीय हमीर उत्सव का आयोजन नहीं किया गया. इस साल भी अभी तक इस उत्सव की तैयारियां होती नजर नहीं आ रही (hamirpur administration not started hamir festival preprations) हैं.
हमीरपुर के गठन से जुड़ा हमीर उत्सव: जिला प्रशासन की तरफ से इस सिलसिले में अभी तक एक भी बैठक का आयोजन नहीं किया गया. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या इस बार हमीर उत्सव का आयोजन होगा या नहीं? इस राज्य स्तरीय आयोजन का इतिहास हमीरपुर जिला के गठन के अस्तित्व से जुड़ा हुआ है.
हमीर उत्सव को लेकर नहीं मिली गाइडलाइन: अधिकारियों का तर्क है कि अभी आयोजन को लेकर कोई तैयारियां नहीं है. डीसी हमीरपुर देबश्वेता बनिक का कहना है कि इस सिलसिले में अभी उन्हें कोई गाइडलाइन नहीं मिली है. अभी आयोजन को लेकर कोई तैयारियां नहीं चल रही है. उन्होंने कहा कि इस पर टिप्पणी नहीं की जा सकती है. ऐसे में इस आयोजन को लेकर जिला प्रशासन का गंभीर ना होना भी अपने आप में बड़ा सवाल है.
हमीर उत्सव को ना भूले जिला प्रशासन: हमीर उत्सव के आयोजन की तैयारियां शुरू ना होने पर उपभोक्ता संरक्षण संगठन हमीरपुर के पूर्व अध्यक्ष एवं मुख्य संरक्षक सुशील शर्मा ने सवाल उठाए हैं. वीरवार को सुशील शर्मा ने कहा कि हमीरपुर में हमीर उत्सव का आयोजन सितंबर माह के दौरान किया जाता है, लेकिन इस बार आयोजन को लेकर तैयारियां नहीं की जा रही हैं. पिछले कुछ सालों से लगातार आयोजन को लेकर टालमटोल की जा रही है जो गलत है. पिछले 5 सालों में यह देखने को मिला है कि सरकार और जिला प्रशासन हमीर उत्सव के आयोजन के लिए संजीदा नहीं (hamir festival celebrated in himachal) है.
प्रशासन से की ये अपील: एडवोकेट सुशील शर्मा ने जिला प्रशासन से मांग की है कि हमीरपुर जिले के गठन के उपलक्ष्य में तीन दिन तक मनाए जाने वाले हमीर उत्सव की तैयारियां शुरू करें. उन्होंने कहा कि हमीरपुर जिला के गठन के उपल्क्ष्य में मनाए जाने वाले हमीर उत्सव को पहले चुनावों, फिर उसके उपरांत कोरोना के कारण नहीं मनाया जा सका. उन्होंने कहा कि हमीरपुर जिले के लोगों को साल भर हमीर उत्सव का इंतजार रहता है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के अन्य जिलों में मिंजर, शिवरात्री, दशहरे का आयोजन किया जा सकता तो हमीरपुर में हमीर उत्सव का आयोजन भी किया जाना चाहिए.
क्यों मनाते हैं हमीर उत्सव: जिला हमीरपुर 1 सितंबर 1972 को अपने अस्तित्व में आया. 18वीं शताब्दी के प्रथम चरण में कांगड़ा क्षेत्र में कटोच वंश के उदय होने के समय जिला हमीरपुर ने अपने ऐतिहासिक क्षेत्र में प्रवेश किया है. इसका अस्तित्व राजा हमीर चंद के शासनकाल से संबंधित है जिसने 18वीं शताब्दी में हीरानगर के समीप सामरिक दृष्टि से एक दुर्ग का निर्माण करवाया था. उसी के नाम से जिले का नाम हमीरपुर पड़ा (hamir festival is celebrated at which place in hp) है.
अस्तित्व राजा हमीर चंद के शासनकाल से संबंधित: इसका अस्तित्व राजा हमीर चंद के शासनकाल से संबंधित है, जिसने 18वीं शताब्दी में हीरानगर के समीप सामरिक दृष्टि से एक दुर्ग का निर्माण करवाया था. उसी के नाम से जिले का नाम हमीरपुर पड़ा (why hamir festival celebrated) है. 1740 व 1780 ईस्वी तक वह कांगड़ा रियासत के शासक रहे थे. हमीरपुर नगर में एक बड़ा तहसील भवन जो 1988 में बनाया गया था, नगर के गौरवपूर्ण अतीत के रूप में शेष है. इस नगर की स्थापना की नींव कांगड़ा के राजा घमंड चंद ने 1761 से 1773 में रखी थी और इनके पौत्र महाराजा संसार चंद ने 1775 से 1823 ई को इस नगर को गरिमा प्रदान की. इनके शासनकाल में सुजानपुर टीहरा होली उत्सव श्रद्धा व उल्लास से मनाया जाने लगा.
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