हमीरपुर: शिमला स्थित सेना मुख्यालय के ट्रेनिंग कमान आरट्रैक को मेरठ शिफ्ट न करने की मांग के सिलसिले में रक्षा मंत्री को लिखे पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के पत्र का रक्षा मंत्रालय ने जवाब देते हुए कहा कि आरट्रैक को मेरठ शिफ्ट करने की चर्चाओं पर विराम लगा दिया है.
रक्षा मंत्रालय ने पूर्व मुख्यमंत्री के पत्र के जवाब में लिखा है कि रक्षा मंत्रालय के स्तर पर आरट्रैक को शिमला से मेरठ शिफ्ट करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. जिससे अब आउट सोर्स के माध्यम से सेवाएं दे रहे सैकड़ों कर्मचारियों के रोजगार पर मंडरा रहा खतरा टल गया है. वहीं, जवाब मिलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का आभार जताते हुए कहा है कि रक्षा मंत्रालय ने पत्र के जवाब में कहा कि मंत्रालय का इस तरह का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.
आरट्रैक का इतिहास
बता दें कि शिमला में आरट्रैक 31 मार्च 1993 से चल रहा है. आजादी से पहले ब्रिटिश हुकूमत के समय यहां 1864 से 1939 तक सेना का मुख्यालय था. बाद में 1956 में इसे सेना की पश्चिमी कमान का मुख्यालय बनाया गया. पश्चिमी कमान बाद में चंडी मंदिर चली गई और यहां आर्मी ट्रेनिंग का मुख्यालय बनाया गया.
बता दें कि करीब 1000 लोगों को ट्रेनिंग कमांड मुख्यालय में आउट सोर्स के आधार पर रोजगार मिला है. इससे पहले हिमाचल प्रदेश विधानसभा में भी प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने भी इस विषय पर ध्यानाकर्षण किया था. खबरें आ रही थी कि इस मुख्यालय को मेरठ में शिफ्ट किया जा रहा है. ऐसे में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी सदन को उस वक्त भरोसा दिलाते हुए कहा था कि राज्य सरकार आरट्रैक को शिमला से मेरठ स्विफ्ट ना करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल नहीं बनी वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को इस बारे में पत्र लिखकर आरट्रैक को शिफ्ट ना करने की मांग उठाई थी.