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पुरुषों को हराकर ये बेटी लगातार तीसरी बार बनी पंचायत प्रधान, नेशनल लेवल पर चमकाया हिमाचल का नाम - national Daughters Day 2022

डॉटर्स डे हर साल सितंबर के महीने के आखिरी रविवार को मनाया जाता (National Daughters Day 2022) है. डॉटर्स डे मनाने का उद्देश्य समाज में बेटियों को बेटों के समान अधिकार दिलाना और बेटियों की अहमियत सभी को बताना है. बता दें कि डॉटर्स डे हर देश में अलग-अलग दिन मनाया जाता है. इसी तरह ईटीवी भारत एक ऐसी बेटी की कहानी आपके समक्ष लाया है जिसने प्रदेश ही नहीं देश भर में हिमाचल का नाम रोशन किया है...

national Daughters Day 2022.
नेशनल डॉटर्स डे 2022.
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Published : Sep 25, 2022, 6:41 AM IST

Updated : Sep 25, 2022, 11:00 AM IST

हमीरपुर: आज बेटियां हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुकी हैं. देश की बेटी आज पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है और हर क्षेत्र में देश व समाज का नाम रोशन कर रही हैं. माता-पिता की सेवा से लेकर देश और समाज की सेवा तक बेटियां किसी भी क्षेत्र और कार्य में पुरुषों से पीछे नहीं हैं. इसीलिए हर साल बेटियों को सम्मान देने के लिए डॉटर्स डे (National Daughters Day 2022) मनाया जाता है. डॉटर्स डे हर साल सितंबर महीने के आखिरी रविवार को मनाया जाता है. यह दिन हर बेटियों को समर्पित होता है.

राष्ट्रीय स्तर पर दिलाई पहचान: हिमाचल प्रदेश की बेटी भी आज हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही है और देश के साथ प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं. एक ऐसा ही उदाहरण जिला हमीरपुर की पंचायत प्रधान उषा बिरला ने पेश किया है. ग्राम पंचायत दडूही की प्रधान उषा बिरला (Gram Panchayat Daduhi Pradhan Usha Birla) ने प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है. विकास कार्य में कीर्तिमान स्थापित करने के साथ ही महिला प्रधान ने पंचायत में बाल कुपोषण से पंचायत को सौ फीसदी मुक्त किया है.

नेशनल डॉटर्स डे 2022.

पंचायत को बाल कुपोषण मुक्त किया: पंचायत को बाल कुपोषण से 100 फीसदी मुक्त करने पर अब विभाग एक डॉक्यूमेंट्री बना रहा (Documentry on Daduhi Panchayat Of Hamirpur) है. इस डॉक्यूमेंट्री में पंचायत की विकास गाथा को देशभर में बड़े मंचों पर दर्शाया जाएगा. खास बात यह है कि महिला पंचायत प्रधान इस पंचायत में लगातार तीसरी दफा चुन कर आई हैं. जी हां, आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने वाली उषा बिरला आज इस पंचायत में तीसरी दफा ओपन सीट से प्रधान बनी हैं.

तीसरी दफा ओपन सीट से बनी प्रधान: पुरुष प्रत्याशियों को चुनाव में पछाड़ने के साथ ही उषा बिरला (Daduhi Pradhan Usha Birla success story) ने विकास के मामले में जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश भर की पंचायतों को पछाड़ा है. आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि आरक्षण के बाद महिलाएं उन पंचायतों में ही चुनाव लड़ने के लिए आगे आती हैं जहां पर सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हो, लेकिन उषा बिरला ने इस धारणा को बदल दिया है.

शादी के बाद भी पढ़ाई को रखा जारी: डाटर्स डे (World Daughter Day) पर ईटीवी भारत हिमाचल की इस बेटी के संघर्ष और सफलता की कहानी को आपके समक्ष रखेगा. यह उस बेटी की कहानी है जो परिवार की पांच बहनों में से एक थी. साल 1995 में कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष की पढ़ाई के दौरान ही उषा बिरला की शादी माता-पिता ने करवा दी थी. घर में पांच बेटियां थी तो माता-पिता ने पढ़ाई के दौरान शादी करवा दी. शादी के बाद भी नब्बे के दशक में उषा बिरला ने पढ़ाई को पूरा किया.

महिला प्रधान को देख मिली प्रेरणा: पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाली उषा बिरला का पंचायती राज व्यवस्था में आने की कहानी भी रोचक है. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि बेटे के जन्म के बाद वह पंचायत कार्यालय में जब पहली दफा पहुंची तो उन्होंने एक महिला को प्रधान की कुर्सी पर बैठे देखा. यहीं से उन्हें पंचायती राज में कार्य करने की प्रेरणा मिली और साल 2001 में महज 24 वर्ष की उम्र में पहली दफा पंचायत में बीडीसी मेंबर चुनी गई. साल 2010 में आरक्षित सीट और बाद में वह ओपन सीट से प्रधान चुनी गई. प्रधान उषा बिरला के पिता एक पूर्व सैनिक और उनके पति हिमाचल प्रदेश सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग में सेवारत हैं.

दडूही पंचायत को मिले कई नेशनल अवार्ड: प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना में देशभर में शीर्ष स्थान, दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार 2022 और चाइल्ड फ्रेंडली ग्राम पंचायत अवार्ड 2022 जैसे राष्ट्रीय पुरस्कारों से दडूही पंचायत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नवाजा गया (National Awards To Daduhi Panchayat Of Hamirpur) है. लगभग 3400 ग्रामीणों की आबादी वाली दडूही पंचायत में लगभग 500 की संख्या प्रवासी लोगों की है. पंचायत में हर बार विकास कार्य सौ फीसदी पूरे किए जाते हैं. यहां अपने स्तर पर डोमेस्टिक वायलेंस जैसे मामले निपटाए जाते हैं. घरेलू हिंसा रोकने को अपने स्तर पर डोमेस्टिक वायलेंस कमेटी फ्रेम की गई है.

बच्चों व बड़ों के लिए हर क्षेत्र में किया विकास: पंचायत में युवाओं के लिए ओपन जिम इंस्टाल किया गया है. बच्चों के लिए सौ फीसदी शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा मुहैया करवाने के मद्देनजर यहां प्राइमरी और सीनियर सेकेंडरी स्तर के दो सरकारी और दो प्राइवेट स्कूल हैं. पंचायत की अपनी डिस्पेंसरी है. शहरों की भांति पंचायत में डोर टू डोर कचरा उठाने का प्रावधान किया गया है.

वन विभाग से 25 हेक्टेयर भूमि एडॉप्ट की: इसी तरह पंचायत में दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर, पंचायत में सोलर लाइट, सामाजिक पेंशन और गांव की हर चैंपियन बेटी का पूरा विवरण पंचायत की पट्टिका पर लिखा जाता है. पंचायत ने वन विभाग की 25 हेक्टेयर भूमि एडॉप्ट की है. जिसमें फॉरेस्ट विभाग के साथ मिलकर प्लांटेशन करवाई गई है जो सौ फीसदी सक्सेस हुई है. औषधीय पौधों की प्लांटेशन की गई है. पंचवटी वाटिका स्थापित की गई है.

अवार्ड से मिली लाखों की राशि, होंगे अनूठे विकास: स्विमिंग पूल वाली पंचायत की कल्पना पहाड़ी राज्य हिमाचल में हकीकत बनेगी. नेशनल लेवल पर अवार्ड जीतने वाली दडूही पंचायत को लाखों रुपये इनामी राशि के रूप में मिले (Daduhi Panchayat Of Hamirpur) हैं. इन रुपये को आम कार्यों पर खर्च करने की बजाए पंचायत के अलग और बेहतर कार्य करने का रोडमैप तैयार किया गया. स्विमिंग पूल और प्लेग्राउंड व पंचायत का अपना गेस्ट हाउस बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है.

दडूही पंचायत में कई बड़े संस्थान स्थापित: इस पंचायत के एरिया में हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय और हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग जैसे राज्य स्तर के बड़े संस्थान हैं. यहां बताना जरूरी है कि दडूही पंचायत की कमान 2011 से एक महिला प्रधान के हाथ में है. वह इस दफा तीसरी बार लगातार प्रधान बनी हैं और वर्ष 2000 से 2006 तक बीडीसी सदस्य भी रह चुकी हैं. दडूही पंचायत में सात वार्ड हैं और यहां की आबादी 3400 के लगभग है.

पंचायत में लग रहा प्लास्टिक मैनेजमेंट यूनिट: प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में लिए फैसले के अनुसार प्लास्टिक को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है. इसी कड़ी के तहत दडूही पंचायत प्लास्टिक मैनेजमेंट यूनिट स्थापित किया जा रहा (Plastic Waste Management Plant In Hamirpur) है. पंचायत के हर घर से प्लास्टिक इकट्ठा करेगी और उसे प्लास्टिक मैनेजमेंट यूनिट में ठिकाने लगाया जाएगा. ग्रामीणों को इस बारे में जागरूक किया जा रहा है. यहां पर यूनिट लगने से इस पंचायत को जल्द ही प्लासटिक के कचरे से मुक्त किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: धर्मशाला में एक और राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन, आज कानूनी सेवा शिविर में शामिल होंगे लॉ मिनिस्टर रिजिजू और CJI

हमीरपुर: आज बेटियां हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुकी हैं. देश की बेटी आज पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है और हर क्षेत्र में देश व समाज का नाम रोशन कर रही हैं. माता-पिता की सेवा से लेकर देश और समाज की सेवा तक बेटियां किसी भी क्षेत्र और कार्य में पुरुषों से पीछे नहीं हैं. इसीलिए हर साल बेटियों को सम्मान देने के लिए डॉटर्स डे (National Daughters Day 2022) मनाया जाता है. डॉटर्स डे हर साल सितंबर महीने के आखिरी रविवार को मनाया जाता है. यह दिन हर बेटियों को समर्पित होता है.

राष्ट्रीय स्तर पर दिलाई पहचान: हिमाचल प्रदेश की बेटी भी आज हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही है और देश के साथ प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं. एक ऐसा ही उदाहरण जिला हमीरपुर की पंचायत प्रधान उषा बिरला ने पेश किया है. ग्राम पंचायत दडूही की प्रधान उषा बिरला (Gram Panchayat Daduhi Pradhan Usha Birla) ने प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है. विकास कार्य में कीर्तिमान स्थापित करने के साथ ही महिला प्रधान ने पंचायत में बाल कुपोषण से पंचायत को सौ फीसदी मुक्त किया है.

नेशनल डॉटर्स डे 2022.

पंचायत को बाल कुपोषण मुक्त किया: पंचायत को बाल कुपोषण से 100 फीसदी मुक्त करने पर अब विभाग एक डॉक्यूमेंट्री बना रहा (Documentry on Daduhi Panchayat Of Hamirpur) है. इस डॉक्यूमेंट्री में पंचायत की विकास गाथा को देशभर में बड़े मंचों पर दर्शाया जाएगा. खास बात यह है कि महिला पंचायत प्रधान इस पंचायत में लगातार तीसरी दफा चुन कर आई हैं. जी हां, आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने वाली उषा बिरला आज इस पंचायत में तीसरी दफा ओपन सीट से प्रधान बनी हैं.

तीसरी दफा ओपन सीट से बनी प्रधान: पुरुष प्रत्याशियों को चुनाव में पछाड़ने के साथ ही उषा बिरला (Daduhi Pradhan Usha Birla success story) ने विकास के मामले में जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश भर की पंचायतों को पछाड़ा है. आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि आरक्षण के बाद महिलाएं उन पंचायतों में ही चुनाव लड़ने के लिए आगे आती हैं जहां पर सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हो, लेकिन उषा बिरला ने इस धारणा को बदल दिया है.

शादी के बाद भी पढ़ाई को रखा जारी: डाटर्स डे (World Daughter Day) पर ईटीवी भारत हिमाचल की इस बेटी के संघर्ष और सफलता की कहानी को आपके समक्ष रखेगा. यह उस बेटी की कहानी है जो परिवार की पांच बहनों में से एक थी. साल 1995 में कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष की पढ़ाई के दौरान ही उषा बिरला की शादी माता-पिता ने करवा दी थी. घर में पांच बेटियां थी तो माता-पिता ने पढ़ाई के दौरान शादी करवा दी. शादी के बाद भी नब्बे के दशक में उषा बिरला ने पढ़ाई को पूरा किया.

महिला प्रधान को देख मिली प्रेरणा: पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाली उषा बिरला का पंचायती राज व्यवस्था में आने की कहानी भी रोचक है. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि बेटे के जन्म के बाद वह पंचायत कार्यालय में जब पहली दफा पहुंची तो उन्होंने एक महिला को प्रधान की कुर्सी पर बैठे देखा. यहीं से उन्हें पंचायती राज में कार्य करने की प्रेरणा मिली और साल 2001 में महज 24 वर्ष की उम्र में पहली दफा पंचायत में बीडीसी मेंबर चुनी गई. साल 2010 में आरक्षित सीट और बाद में वह ओपन सीट से प्रधान चुनी गई. प्रधान उषा बिरला के पिता एक पूर्व सैनिक और उनके पति हिमाचल प्रदेश सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग में सेवारत हैं.

दडूही पंचायत को मिले कई नेशनल अवार्ड: प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना में देशभर में शीर्ष स्थान, दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार 2022 और चाइल्ड फ्रेंडली ग्राम पंचायत अवार्ड 2022 जैसे राष्ट्रीय पुरस्कारों से दडूही पंचायत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नवाजा गया (National Awards To Daduhi Panchayat Of Hamirpur) है. लगभग 3400 ग्रामीणों की आबादी वाली दडूही पंचायत में लगभग 500 की संख्या प्रवासी लोगों की है. पंचायत में हर बार विकास कार्य सौ फीसदी पूरे किए जाते हैं. यहां अपने स्तर पर डोमेस्टिक वायलेंस जैसे मामले निपटाए जाते हैं. घरेलू हिंसा रोकने को अपने स्तर पर डोमेस्टिक वायलेंस कमेटी फ्रेम की गई है.

बच्चों व बड़ों के लिए हर क्षेत्र में किया विकास: पंचायत में युवाओं के लिए ओपन जिम इंस्टाल किया गया है. बच्चों के लिए सौ फीसदी शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा मुहैया करवाने के मद्देनजर यहां प्राइमरी और सीनियर सेकेंडरी स्तर के दो सरकारी और दो प्राइवेट स्कूल हैं. पंचायत की अपनी डिस्पेंसरी है. शहरों की भांति पंचायत में डोर टू डोर कचरा उठाने का प्रावधान किया गया है.

वन विभाग से 25 हेक्टेयर भूमि एडॉप्ट की: इसी तरह पंचायत में दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर, पंचायत में सोलर लाइट, सामाजिक पेंशन और गांव की हर चैंपियन बेटी का पूरा विवरण पंचायत की पट्टिका पर लिखा जाता है. पंचायत ने वन विभाग की 25 हेक्टेयर भूमि एडॉप्ट की है. जिसमें फॉरेस्ट विभाग के साथ मिलकर प्लांटेशन करवाई गई है जो सौ फीसदी सक्सेस हुई है. औषधीय पौधों की प्लांटेशन की गई है. पंचवटी वाटिका स्थापित की गई है.

अवार्ड से मिली लाखों की राशि, होंगे अनूठे विकास: स्विमिंग पूल वाली पंचायत की कल्पना पहाड़ी राज्य हिमाचल में हकीकत बनेगी. नेशनल लेवल पर अवार्ड जीतने वाली दडूही पंचायत को लाखों रुपये इनामी राशि के रूप में मिले (Daduhi Panchayat Of Hamirpur) हैं. इन रुपये को आम कार्यों पर खर्च करने की बजाए पंचायत के अलग और बेहतर कार्य करने का रोडमैप तैयार किया गया. स्विमिंग पूल और प्लेग्राउंड व पंचायत का अपना गेस्ट हाउस बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है.

दडूही पंचायत में कई बड़े संस्थान स्थापित: इस पंचायत के एरिया में हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय और हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग जैसे राज्य स्तर के बड़े संस्थान हैं. यहां बताना जरूरी है कि दडूही पंचायत की कमान 2011 से एक महिला प्रधान के हाथ में है. वह इस दफा तीसरी बार लगातार प्रधान बनी हैं और वर्ष 2000 से 2006 तक बीडीसी सदस्य भी रह चुकी हैं. दडूही पंचायत में सात वार्ड हैं और यहां की आबादी 3400 के लगभग है.

पंचायत में लग रहा प्लास्टिक मैनेजमेंट यूनिट: प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में लिए फैसले के अनुसार प्लास्टिक को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है. इसी कड़ी के तहत दडूही पंचायत प्लास्टिक मैनेजमेंट यूनिट स्थापित किया जा रहा (Plastic Waste Management Plant In Hamirpur) है. पंचायत के हर घर से प्लास्टिक इकट्ठा करेगी और उसे प्लास्टिक मैनेजमेंट यूनिट में ठिकाने लगाया जाएगा. ग्रामीणों को इस बारे में जागरूक किया जा रहा है. यहां पर यूनिट लगने से इस पंचायत को जल्द ही प्लासटिक के कचरे से मुक्त किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: धर्मशाला में एक और राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन, आज कानूनी सेवा शिविर में शामिल होंगे लॉ मिनिस्टर रिजिजू और CJI

Last Updated : Sep 25, 2022, 11:00 AM IST
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