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नगर परिषद सुजानपुर में पार्षद कुर्सी को लेकर दांवपेच जारी, विकास कार्य पड़े ठप - नगर परिषद सुजानपुर न्यूज

नगर परिषद सुजानपुर में भाजपा और कांग्रेस के पार्षद कुर्सी को पाने के लिए दांवपेच में उलझे हुए हैं. वहीं, आमजन के लिए किए जाने वाले कामकाज ठप पड़े हुए हैं. लोगों का कहना है कि जिसके लिए प्रतिनिधियों को चुना गय था, उन विकास कार्यों की बात ही नहीं हो रही है.

councilor chair in city council Sujanpur
councilor chair in city council Sujanpur
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Published : Jan 16, 2020, 12:24 PM IST

हमीरपुरः नगर परिषद सुजानपुर में कुर्सी के लिए छिड़ी जंग में विकास कार्य पिछड़ गए हैं. कुर्सी के खेल में यहां पर सियासी दांवपेच जारी है. लोगों का कहना है कि जिसके लिए जनता ने प्रतिनिधियों को चुना गया था उन विकास कार्यों की यहां पर बात ही नहीं हो रही है.

ऐसा भी नहीं है कि यहां पर विपक्ष ना हो, लेकिन विपक्ष भी महज जोड़-तोड़ की राजनीति का माध्यम बन चुका है. नगर परिषद सुजानपुर में भाजपा समर्थित पार्षद कुर्सी के लिए लड़ रहे हैं तो वहीं, कांग्रेस के पार्षद इस लड़ाई में तमाशबीन बनकर महज किंग मेकर बनने का श्रेय लेने में जुटे हैं.

वीडियो.

पिछले डेढ़ साल से यहां पर विकास कार्य पूरी तरह से ठप हो चुके हैं. विकास की बात करने की बजाय भाजपा और कांग्रेस के पार्षद यहां पर कुर्सी के खेल में ही मशगूल हो गए हैं. कांग्रेस समर्थित पार्षद मनोज ठाकुर से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि भाजपा ने कांग्रेस का समर्थन लेकर पहले भी यहां पर अध्यक्ष की कुर्सी हासिल की थी.

मनोज ठाकुर ने कहा कि पहले अध्यक्ष के लिए भाजपा ने समर्थन मांगा था और अब उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कांग्रेस के पार्षद भाजपा समर्थित पार्षदों को अपना समर्थन दे रहे हैं. ऐसे में भाजपा समर्थित पार्षद यहां पर कुर्सी के खेल में तो व्यस्त हैं, लेकिन कांग्रेस भी विपक्ष की ठोस भूमिका नहीं निभाते नजर आ रहे है.

वहीं, इस बारे जब भाजपा समर्थित पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष अशोक मेहरा से बात की गई तो उनका कहना है कि यहां पर अपनी डफली अपना राग है. ढाई-ढाई साल के सत्ता तय होने के बाद पूर्व अध्यक्ष रमन भटनागर ने तो अपना कार्यकाल पूरा कर लिया, लेकिन उनके 1 साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाया गया.

कुर्सी की चाहत में यहां पर अपना कार्यकाल पूरा होने का रोना रो रहे हैं. विकास कार्यों के प्रति किसी को सरोकार नहीं है. लगभग एक महीना हो चुका है और नगर परिषद सुजानपुर अध्यक्ष की कुर्सी अभी तक खाली है. वहीं, अब उपाध्यक्ष का तख्तापलट भी लगभग तय है.

ये भी पढ़ेंः सेना दिवस पर पंद्रह सौ परिवारों को किया सम्मानित, वीर सपूतों की शहादत को किया याद

हमीरपुरः नगर परिषद सुजानपुर में कुर्सी के लिए छिड़ी जंग में विकास कार्य पिछड़ गए हैं. कुर्सी के खेल में यहां पर सियासी दांवपेच जारी है. लोगों का कहना है कि जिसके लिए जनता ने प्रतिनिधियों को चुना गया था उन विकास कार्यों की यहां पर बात ही नहीं हो रही है.

ऐसा भी नहीं है कि यहां पर विपक्ष ना हो, लेकिन विपक्ष भी महज जोड़-तोड़ की राजनीति का माध्यम बन चुका है. नगर परिषद सुजानपुर में भाजपा समर्थित पार्षद कुर्सी के लिए लड़ रहे हैं तो वहीं, कांग्रेस के पार्षद इस लड़ाई में तमाशबीन बनकर महज किंग मेकर बनने का श्रेय लेने में जुटे हैं.

वीडियो.

पिछले डेढ़ साल से यहां पर विकास कार्य पूरी तरह से ठप हो चुके हैं. विकास की बात करने की बजाय भाजपा और कांग्रेस के पार्षद यहां पर कुर्सी के खेल में ही मशगूल हो गए हैं. कांग्रेस समर्थित पार्षद मनोज ठाकुर से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि भाजपा ने कांग्रेस का समर्थन लेकर पहले भी यहां पर अध्यक्ष की कुर्सी हासिल की थी.

मनोज ठाकुर ने कहा कि पहले अध्यक्ष के लिए भाजपा ने समर्थन मांगा था और अब उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कांग्रेस के पार्षद भाजपा समर्थित पार्षदों को अपना समर्थन दे रहे हैं. ऐसे में भाजपा समर्थित पार्षद यहां पर कुर्सी के खेल में तो व्यस्त हैं, लेकिन कांग्रेस भी विपक्ष की ठोस भूमिका नहीं निभाते नजर आ रहे है.

वहीं, इस बारे जब भाजपा समर्थित पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष अशोक मेहरा से बात की गई तो उनका कहना है कि यहां पर अपनी डफली अपना राग है. ढाई-ढाई साल के सत्ता तय होने के बाद पूर्व अध्यक्ष रमन भटनागर ने तो अपना कार्यकाल पूरा कर लिया, लेकिन उनके 1 साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाया गया.

कुर्सी की चाहत में यहां पर अपना कार्यकाल पूरा होने का रोना रो रहे हैं. विकास कार्यों के प्रति किसी को सरोकार नहीं है. लगभग एक महीना हो चुका है और नगर परिषद सुजानपुर अध्यक्ष की कुर्सी अभी तक खाली है. वहीं, अब उपाध्यक्ष का तख्तापलट भी लगभग तय है.

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Intro: special story
नगर परिषद सुजानपुर में कांग्रेस और भाजपा समर्थित पार्षद कुर्सी के खेल में मस्त, जनता पस्त
हमीरपुर।
नगर परिषद सुजानपुर में कुर्सी के लिए छिड़ी जंग में विकास कार्य पिछड़ गए हैं कुर्सी के खेल में यहां पर सियासी दांवपेच जारी है लेकिन जिसके लिए जनता ने प्रतिनिधियों को चुना था उन विकास कार्यों की यहां पर बात ही नहीं हो रही है. ऐसा भी नहीं है कि यहां पर विपक्ष ना हो लेकिन विपक्ष भी महज जोड़-तोड़ की राजनीति का माध्यम बन चुका है. नगर परिषद सुजानपुर में भाजपा समर्थित पार्षद कुर्सी के लिए लड़ रहे हैं तो वही कांग्रेस के पार्षद इस लड़ाई में तमाशबीन बनकर महज किंग मेकर बनने का श्रेय लेने में जुटे हैं. पिछले डेढ़ साल से यहां पर विकास कार्य पूरी तरह से ठप हो चुके हैं विकास की बात करने की बजाय भाजपा और कांग्रेस के पार्षद यहां पर कुर्सी के खेल में ही मशगूल हो गए हैं.


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कांग्रेस समर्थित पार्षद मनोज ठाकुर से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि भाजपा ने कांग्रेस का समर्थन देकर पहले भी यहां पर अध्यक्ष की कुर्सी हासिल की थी. पहले अध्यक्ष के लिए उन्होंने समर्थन मांगा था और अब उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कांग्रेसी पार्षद भाजपा समर्थित पार्षदों को अपना समर्थन दे रहे हैं.

लेकिन बड़ा सवाल यह भी है कि महज कुर्सी के लिए समर्थन देने अथवा अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए दोनों दलों का एक हो जाना क्या जनता के कार्यों से ऊपर है। भाजपा समर्थित पार्षद यहां पर कुर्सी के खेल में तो व्यस्त है ही लेकिन कांग्रेस भी एक विपक्ष की भूमिका नहीं निभा पा रहा है



Conclusion:।
कुर्सी के इस खेल के बारे में जब भाजपा समर्थित पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष अशोक मेहरा से बात की गई तो उनका कहना है कि यहां पर अपनी डफली अपना राग वाला हिसाब है। ढाई ढाई साल के सत्ता तय होने के बाद पूर्व अध्यक्ष रमन भटनागर ने तो अपना कार्यकाल पूरा कर लिया लेकिन मेरा 1 साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद ही अविश्वास प्रस्ताव ला दिया।
कुर्सी के चाहवान यहां पर अपना कार्यकाल पूरा होने का रोना रो रहे हैं। विकास कार्यों के प्रति किसी को सरोकार नहीं है। लगभग एक महीना हो चुका है और नगर परिषद सुजानपुर अध्यक्ष की कुर्सी अभी तक खाली है वहीं अब उपाध्यक्ष का तख्तापलट भी लगभग तय है अब बड़ा सवाल यह भी है कि बिना अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के आप लोगों के कार्य कैसे हो पाएंगे। जबकि सुजानपुर नगर परिषद के एरिया में तमाम कर पूर्व की भांति ही लोगों से वसूले जा रहे हैं। लेकिन अपने कार्यों को लेकर लोग किस से सवाल करें इसका जवाब देने को कोई तैयार नहीं है।
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