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Aloe Vera Farming: हिमाचल में तैयार एलोवेरा प्रोडक्टों की विदेशों में डिमांड, आर्गेनिक खेती से लाखों की कमाई संभव

हमीरपुर के रहने वाले सुनील कौशल ऑर्गेनिक एलोवेरा बरबडेंसिस मिलर की खेती (Aloe Vera Barbadensis Miller Farming in Hamirpur) कर रहे हैं. सुनील कौशल हमीरपुर जिला के गलोड़ क्षेत्र के रहने वाले हैं और वह 2014 से इस प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं. एलोवेरा की इस उन्नत किस्म से तैयार किए जा रहे 18 तरह के प्रोडक्ट की डिमांड विदेशों से भी आने लगी है.

Aloe Vera Farming in hamirpur
हमीरपुर में एलोवेरा की खेती
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Published : Aug 6, 2022, 10:28 PM IST

Updated : Aug 6, 2022, 10:34 PM IST

हमीरपुर: अमेरिकन प्रजाति की उन्नत किस्म की ऑर्गेनिक एलोवेरा बरबडेंसिस मिलर उगाकर (Aloe Vera Barbadensis Miller Farming in Hamirpur) हमीपुर के युवा उद्यमी सुनील कौशल ने 18 तरह के उत्पाद तैयार कर स्टार्टअप इंडिया योजना के जरिए मिसाल कायम की है. सुनील कौशल के इन प्रयासों की चमक अब विदेश तक पहुंचने लगी है. उन्होंने न सिर्फ इस उन्नत किस्म की एलोवेरा की खेती की है बल्कि फार्म टू कंज्यूमर व्यवसाय के जरिए इसके उत्पादों को सीधे उपभोक्ता तक पहुंचाने का भी काम किया है. एलोवेरा की इस उन्नत किस्म से तैयार किए जा रहे 18 तरह के प्रोडक्ट की डिमांड विदेशों से भी आने लगी है. भारत के अलावा तीन से चार देशों में सुनील कौशल के रुद्रा शक्ति हर्ब के (Rudra Shakti Herbs) प्रोडक्ट के लिए आर्डर मिल रहे हैं.

ऑर्गेनिक एलोवेरा से तैयार इन प्रोडक्ट से जर्मनी, सिंगापुर और फ्रांस तथा दुबई में खासी डिमांड है. सुनील कौशल हमीरपुर जिला के गलोड़ क्षेत्र के रहने वाले हैं और वह 2014 से इस प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं. सुनील के प्रयासों को केंद्र और प्रदेश सरकार ने भी सराहा है और यही वजह की उन्हें नेशनल और स्टेट लेवल पर स्टार्टअप के लिए नवाजा जा चुका है. एलोवेरा की यह खेती पूरी तरह से ऑर्गेनिक है, जिसमें किसी भी केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. रूद्रा हर्ब कंपनी की तरफ से किसानों को अनुबंध के बाद पौधे आवंटित किए जाते हैं और बाद में कंपनी खुद हर साल किसानों से इसे खरीदती है. एक बार खेत या बेकार पड़ी जमीन पर एलोवेरा का पौधा लगाने के बाद लगातार दस साल तक किसान एक ही पौधे की पत्तियों को बेचकर मुनाफा कमा सकता है.

हमीरपुर में एलोवेरा की खेती

विदेशों से लाई मशीनरी से उद्योग शुरू, खेती में 31 परिवार जोड़े: सुनील एक युवा उद्यमी के साथ-साथ एक प्रगतिशील किसान भी हैं. वह यूएसए से एलोवेरा की एलोवेरा बरबडेंसिस मिलर किस्म को दर्जनों एकड़ भूमि में उगा रहे हैं. उन्होंने करीब 31 किसान परिवारों को अपने साथ जोड़ लिया है. साल 2019 में उनके स्टार्टअप को मंजूरी मिल गई थी. सुनील 2014 से ही इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए रिसर्च में जुटे थे और 2016 से उन्होंने यह काम गुजरात, दिल्ली और पंजाब में शुरू कर दिया था. अब सुनील हमीरपुर जिले के गलोड़ क्षेत्र में एलोवेरा से 18 तरह के उत्पाद तैयार कर रहे हैं. लगभग एक करोड़ की लागत वाली विदेशों से मंगाई गई मशीनरी इस उद्योग में लगाई गई है. साल 2019 में उनके स्टार्टअप को मंजूरी मिल गई थी.

Aloe Vera Farming in hamirpur
हमीरपुर में एलोवेरा की खेती

नेशनल और स्टेट लेवल पर मिले पुरस्कार: सुनील कुमार दिल्ली में बेस्ट एंटरप्रेन्योर एंड स्टार्टअप 2021 के नेशनल अवार्ड से सम्मानित हो चुकें हैं. हाल ही उन्हें राज्य सरकार ने प्रदेश के दूसरे सर्वश्रेष्ठ युवा उद्यमी का खिताब से नवाजा है. पिछले साल जिस कार्यक्रम में उन्हें सम्मानित किया गया था, वहां पर पूरे भारत से करीब 300 नेशनल और इंटरनेशनल कंपनियों ने पार्टिसिपेट किया था. यह प्रोजेक्ट सीएसआईआर आईएचबीटी पालमपुर में स्टार्ट अप इंडिया प्रोजेक्ट के तहत हिमाचल प्रदेश उद्योग विभाग और मिनिस्ट्री ऑफ आयुष इंडिया के सहयोग से तैयार किया है.

Aloe Vera Farming in hamirpur
हमीरपुर में एलोवेरा की खेती

पिता की आकस्मिक मौत के बाद छोड़ी नौकरी, शुरू किया उद्यम: साल 2012 में सुनील कौशल के पिता मोहिंदर कुमार की ऑन ड्यूटी मौत हो गई थी. सुनील के पिता पटवारी थे. तब से ही सुनील कौशल ने ऑर्गेनिक उत्पादों को लेकर कार्य शुरू कर दिया. सुनील कहते हैं कि उन्होंने लक्ष्य रखा है कि मिलावटी और केमिकल युक्त खाद्य पदार्थों की वजह से किसी की मौत ना हो. इसके लिए उन्होंने ऑर्गेनिक एलोवेरा जूस तैयार करने का निर्णय लिया है ताकि इसके इस्तेमाल से सेहत में सुधार किया जा सके. सुनील कौशल ने विशेष बातचीत में कहा कि जब पिता की मौत अचानक हुई तो वह सेहत को लेकर चितिंत हुए. पहले उन्होंने एलोवेरा की उन्नत किस्म की खेती से हेल्थ जूस तैयार करना शुरू किया और बाद उद्यम स्थापित कर अब 18 तरह के इसके प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस उद्यम का एकमात्र लक्ष्य लोगों को एक बेहतर उत्पाद उपलब्ध करवा कर उनकी सेहत में सुधार करना है.

एक कनाल में सालाना दो से तीन लाख की कमाई: एलोवेरा बरबडेंसिस मिलर किस्म की प्रजाति को तैयार करके किसान एक कनाल में 2 से 3 लाख की कमाई कर सकते हैं. एक दफा पौधा लगाने के बाद उसे दस साल तक नहीं (Aloe Vera Farming in Hamirpur) उखाड़ा जाएगा बल्कि उसकी पत्तियों को बेचकर कर किसान हर साल मुनाफा कमा सकता है. हमीरपुर जिले में 50 एकड़ भूमि में 31 किसानों के साथ मिलकर वह एलोवेरा की इस किस्म को पैदा कर रहे हैं. सुनील कुमार अन्य युवाओं के लिए भी प्रेरणा बन गए हैं. जिन्होंने अपना उद्योग स्थापित करने का सपना देखा है. सुनील कौशल कंपनी के माध्यम से किसानों को जोड़ रहे हैं और उन्हें खेती के पौधे उपलब्ध करवा रहे हैं. कंपनी खुद इन पौधों की निगरानी भी रखती है और बाद में तैयार पौधों को खरीदती भी है जिसका मुनाफा किसान को दिया जाता है.

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हमीरपुर में एलोवेरा की खेती

खेती के दो तरीके, उजाड़ का भी डर नहीं: एलोवेरा की इस खेती के दो तरीके सुनील कौशल ने अपने उद्यम के लिए तय किये हैं. एक तरीके में किसान खेतों में एलोवेरा उगा रहे हैं और खेतों में उगने वाले अन्य पौधों और घास को हटाकर पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. दूसरे तरीके में जो लोग खेती छोड़ चुके है और घर से बाहर हैं वह एक बार अपनी जमीन पर एलोवेरा को उगाकर वन्य पर्यावरण में ही पैदा कर रहे हैं. मसलन यदि किसी नौकरी पेशा परिवार के पास जमीन में खेती के लिए समय नहीं है तो वह भी इसे एक बार उगाकर लगभग दस साल तक एक ही पौधे से फसल पाकर मुनाफा कमा सकता है. यह उन किसानों के लिए भी बेहतर विकल्प बनी है.

क्या कहते हैं किसान: महिला किसान का कहना है कि पहले वह मक्की और गेंहू की खेती करते थे उसमें फसलों की उजाड़ का डर रहता था, लेकिन अब कम मेहनत में एलोवेरा की खेती से उन्हें फायदा हो रहा है. उजाड़ का डर भी नहीं है और उनकी आय भी इस खेती से बढ़ गई है. पिछले कई सालों से इस कार्य को वह कर रहे हैं. किसान राजकुमार का कहना है कि नौकरी से सेवानिवृति के बाद उन्होंने 2015 से इस खेती को अपनाया. दो साल में उन्होंने दो लाख की कमाई की है. जबकि मक्की और गेंहू से महज आठ से 10 हजार की कमाई होगी. एलोवेरा की खेती से किसानों की आय दोगुना से कहीं अधिक इजाफा होता है. यह ऑर्गेनिक खेती है जिसका कोई खर्च भी नहीं है.

ये भी पढ़ें: सफेद के साथ ही हिमाचल में होगी लाल चंदन की खेती, जानें कैसा उगाए जा सकते हैं ये पौधे

हमीरपुर: अमेरिकन प्रजाति की उन्नत किस्म की ऑर्गेनिक एलोवेरा बरबडेंसिस मिलर उगाकर (Aloe Vera Barbadensis Miller Farming in Hamirpur) हमीपुर के युवा उद्यमी सुनील कौशल ने 18 तरह के उत्पाद तैयार कर स्टार्टअप इंडिया योजना के जरिए मिसाल कायम की है. सुनील कौशल के इन प्रयासों की चमक अब विदेश तक पहुंचने लगी है. उन्होंने न सिर्फ इस उन्नत किस्म की एलोवेरा की खेती की है बल्कि फार्म टू कंज्यूमर व्यवसाय के जरिए इसके उत्पादों को सीधे उपभोक्ता तक पहुंचाने का भी काम किया है. एलोवेरा की इस उन्नत किस्म से तैयार किए जा रहे 18 तरह के प्रोडक्ट की डिमांड विदेशों से भी आने लगी है. भारत के अलावा तीन से चार देशों में सुनील कौशल के रुद्रा शक्ति हर्ब के (Rudra Shakti Herbs) प्रोडक्ट के लिए आर्डर मिल रहे हैं.

ऑर्गेनिक एलोवेरा से तैयार इन प्रोडक्ट से जर्मनी, सिंगापुर और फ्रांस तथा दुबई में खासी डिमांड है. सुनील कौशल हमीरपुर जिला के गलोड़ क्षेत्र के रहने वाले हैं और वह 2014 से इस प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं. सुनील के प्रयासों को केंद्र और प्रदेश सरकार ने भी सराहा है और यही वजह की उन्हें नेशनल और स्टेट लेवल पर स्टार्टअप के लिए नवाजा जा चुका है. एलोवेरा की यह खेती पूरी तरह से ऑर्गेनिक है, जिसमें किसी भी केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. रूद्रा हर्ब कंपनी की तरफ से किसानों को अनुबंध के बाद पौधे आवंटित किए जाते हैं और बाद में कंपनी खुद हर साल किसानों से इसे खरीदती है. एक बार खेत या बेकार पड़ी जमीन पर एलोवेरा का पौधा लगाने के बाद लगातार दस साल तक किसान एक ही पौधे की पत्तियों को बेचकर मुनाफा कमा सकता है.

हमीरपुर में एलोवेरा की खेती

विदेशों से लाई मशीनरी से उद्योग शुरू, खेती में 31 परिवार जोड़े: सुनील एक युवा उद्यमी के साथ-साथ एक प्रगतिशील किसान भी हैं. वह यूएसए से एलोवेरा की एलोवेरा बरबडेंसिस मिलर किस्म को दर्जनों एकड़ भूमि में उगा रहे हैं. उन्होंने करीब 31 किसान परिवारों को अपने साथ जोड़ लिया है. साल 2019 में उनके स्टार्टअप को मंजूरी मिल गई थी. सुनील 2014 से ही इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए रिसर्च में जुटे थे और 2016 से उन्होंने यह काम गुजरात, दिल्ली और पंजाब में शुरू कर दिया था. अब सुनील हमीरपुर जिले के गलोड़ क्षेत्र में एलोवेरा से 18 तरह के उत्पाद तैयार कर रहे हैं. लगभग एक करोड़ की लागत वाली विदेशों से मंगाई गई मशीनरी इस उद्योग में लगाई गई है. साल 2019 में उनके स्टार्टअप को मंजूरी मिल गई थी.

Aloe Vera Farming in hamirpur
हमीरपुर में एलोवेरा की खेती

नेशनल और स्टेट लेवल पर मिले पुरस्कार: सुनील कुमार दिल्ली में बेस्ट एंटरप्रेन्योर एंड स्टार्टअप 2021 के नेशनल अवार्ड से सम्मानित हो चुकें हैं. हाल ही उन्हें राज्य सरकार ने प्रदेश के दूसरे सर्वश्रेष्ठ युवा उद्यमी का खिताब से नवाजा है. पिछले साल जिस कार्यक्रम में उन्हें सम्मानित किया गया था, वहां पर पूरे भारत से करीब 300 नेशनल और इंटरनेशनल कंपनियों ने पार्टिसिपेट किया था. यह प्रोजेक्ट सीएसआईआर आईएचबीटी पालमपुर में स्टार्ट अप इंडिया प्रोजेक्ट के तहत हिमाचल प्रदेश उद्योग विभाग और मिनिस्ट्री ऑफ आयुष इंडिया के सहयोग से तैयार किया है.

Aloe Vera Farming in hamirpur
हमीरपुर में एलोवेरा की खेती

पिता की आकस्मिक मौत के बाद छोड़ी नौकरी, शुरू किया उद्यम: साल 2012 में सुनील कौशल के पिता मोहिंदर कुमार की ऑन ड्यूटी मौत हो गई थी. सुनील के पिता पटवारी थे. तब से ही सुनील कौशल ने ऑर्गेनिक उत्पादों को लेकर कार्य शुरू कर दिया. सुनील कहते हैं कि उन्होंने लक्ष्य रखा है कि मिलावटी और केमिकल युक्त खाद्य पदार्थों की वजह से किसी की मौत ना हो. इसके लिए उन्होंने ऑर्गेनिक एलोवेरा जूस तैयार करने का निर्णय लिया है ताकि इसके इस्तेमाल से सेहत में सुधार किया जा सके. सुनील कौशल ने विशेष बातचीत में कहा कि जब पिता की मौत अचानक हुई तो वह सेहत को लेकर चितिंत हुए. पहले उन्होंने एलोवेरा की उन्नत किस्म की खेती से हेल्थ जूस तैयार करना शुरू किया और बाद उद्यम स्थापित कर अब 18 तरह के इसके प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस उद्यम का एकमात्र लक्ष्य लोगों को एक बेहतर उत्पाद उपलब्ध करवा कर उनकी सेहत में सुधार करना है.

एक कनाल में सालाना दो से तीन लाख की कमाई: एलोवेरा बरबडेंसिस मिलर किस्म की प्रजाति को तैयार करके किसान एक कनाल में 2 से 3 लाख की कमाई कर सकते हैं. एक दफा पौधा लगाने के बाद उसे दस साल तक नहीं (Aloe Vera Farming in Hamirpur) उखाड़ा जाएगा बल्कि उसकी पत्तियों को बेचकर कर किसान हर साल मुनाफा कमा सकता है. हमीरपुर जिले में 50 एकड़ भूमि में 31 किसानों के साथ मिलकर वह एलोवेरा की इस किस्म को पैदा कर रहे हैं. सुनील कुमार अन्य युवाओं के लिए भी प्रेरणा बन गए हैं. जिन्होंने अपना उद्योग स्थापित करने का सपना देखा है. सुनील कौशल कंपनी के माध्यम से किसानों को जोड़ रहे हैं और उन्हें खेती के पौधे उपलब्ध करवा रहे हैं. कंपनी खुद इन पौधों की निगरानी भी रखती है और बाद में तैयार पौधों को खरीदती भी है जिसका मुनाफा किसान को दिया जाता है.

Aloe Vera Farming in hamirpur
हमीरपुर में एलोवेरा की खेती

खेती के दो तरीके, उजाड़ का भी डर नहीं: एलोवेरा की इस खेती के दो तरीके सुनील कौशल ने अपने उद्यम के लिए तय किये हैं. एक तरीके में किसान खेतों में एलोवेरा उगा रहे हैं और खेतों में उगने वाले अन्य पौधों और घास को हटाकर पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. दूसरे तरीके में जो लोग खेती छोड़ चुके है और घर से बाहर हैं वह एक बार अपनी जमीन पर एलोवेरा को उगाकर वन्य पर्यावरण में ही पैदा कर रहे हैं. मसलन यदि किसी नौकरी पेशा परिवार के पास जमीन में खेती के लिए समय नहीं है तो वह भी इसे एक बार उगाकर लगभग दस साल तक एक ही पौधे से फसल पाकर मुनाफा कमा सकता है. यह उन किसानों के लिए भी बेहतर विकल्प बनी है.

क्या कहते हैं किसान: महिला किसान का कहना है कि पहले वह मक्की और गेंहू की खेती करते थे उसमें फसलों की उजाड़ का डर रहता था, लेकिन अब कम मेहनत में एलोवेरा की खेती से उन्हें फायदा हो रहा है. उजाड़ का डर भी नहीं है और उनकी आय भी इस खेती से बढ़ गई है. पिछले कई सालों से इस कार्य को वह कर रहे हैं. किसान राजकुमार का कहना है कि नौकरी से सेवानिवृति के बाद उन्होंने 2015 से इस खेती को अपनाया. दो साल में उन्होंने दो लाख की कमाई की है. जबकि मक्की और गेंहू से महज आठ से 10 हजार की कमाई होगी. एलोवेरा की खेती से किसानों की आय दोगुना से कहीं अधिक इजाफा होता है. यह ऑर्गेनिक खेती है जिसका कोई खर्च भी नहीं है.

ये भी पढ़ें: सफेद के साथ ही हिमाचल में होगी लाल चंदन की खेती, जानें कैसा उगाए जा सकते हैं ये पौधे

Last Updated : Aug 6, 2022, 10:34 PM IST
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